गर्मियों का मौसम जहां बीमारियों को लेकर आता है। इस मौसम में तरह-तरह के स्वादिष्ट फल भी खाने को मिलते हैं। इसमें तरबूज, खरबूज, खीरा और ककड़ी। गर्मी के मौसम में फलों का राजा आम बच्चों से लेकर बुजुर्गों के बीच सबसे अधिक पसंद किया जाता है। आज आम के सेवन से होने वाले फायदों के बारे में दादी मां के नुस्खे जानें। आम किस तरह स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहत के लिए कितना लाभकाराी है, आएं जानें :-
पका आम बहुत ही पौष्टिक होता है। इसमें प्रोटीन, विटामिन व खनिज पदार्थ, कार्बोहाइड्रेट तथा शर्करा प्रचूर मात्रा में होती है। आम मीठा, चिकना, शौच साफ़ लानेवाला, तृप्तिदायक, हृदय को बलप्रद, वीर्य की शुद्धि तथा वृद्धि करनेवाला है। यह वायु एवं पित्त नाशक परंतु कफकारक होता है। आम का सेवन कांतिवर्धक, रक्त की शुद्धि करनेवाला एवं भूख बढ़ानेवाला भी होता है। अगर मौसम में नियमित आम का सेवन किया जाए तो रोग प्रतिरोधक शक्ति भी बढ़ती है।
शुक्राणों में कमी आदि विकारों के कारण जिनको संतानोत्पत्ति न होती है, उनके लिए पका आम लाभदायक है। कलमी की अपेक्षा देसी आम जल्दी पचनेवाला, त्रिदोषशामक व विशेष गुणयुक्त होता है। रेशासहित, मीठा, पतली या छोटी गुठलीवाला आम उत्तम माना गया है। यह आमाशय, यकृत, फेफड़ों के रोग तथा अल्सर, रक्ताल्पता आदि में लाभकारी होता है।
आम के सेवन से रक्त, मांस आदि सप्तधातुओं तथा वसा की वृद्धि और हड्डियों का पोषण होता है। यूनानी डॉक्टरों के मतानुसार पका आम आलस्य दूर करता है, मूत्र साफ़ लाता है, क्षयरोग (टीबी) मिटाता है तथा गुर्दें व मूत्राशय के लिए शक्तिदायक है।
आम का औषधि-प्रयोग
भूखवृद्धि : आम के रस में घी और सौंठ डालकर सेवन करने से जठराग्नि जाग्रत होती है।
वायु रोग या पाचनतंत्र की दुर्बलता : आम के रस में अदरक मिलाकर लेना हितकारी है।
शहद के साथ पके आम के सेवन से प्लीहा, वायु और कफ के दोष तथा क्षयरोग दूर होते हैं।
आम का पना
केरी (कच्चा आम ) को पानी में उबालें अथवा गोबर के कंडे की आग में दबा दें। भुन जाने पर छिलका उतार दें और गूदा मथकर उसमें गुड़, जीरा, धनिया, काली मिर्च तथा नमक मिलाकर दोबारा मथें। आवश्यकता अनुसार पानी मिलायें और पियें।
लू लगने पर : आम का पना एक-एक कप दिन में 2-3 बार पियें।
भुने हुए कच्चे आम के गूदेको पैरों के तलवों पर लगाने से भी लू से राहत मिलती है।
वजन बढ़ाने के लिए : पके और मीठे आम नियमित रूप से खाने से दुबले-पतले व्यक्ति का वजन बढ़ सकता है।
दस्त में रक्त आने पर : छाछ में आम की गुठली का २ से ३ ग्राम चूर्ण मिलाकर पीने से लाभ होता है।
पेट के कीड़े : सुबह चौथाई चम्मच आम की गुठलियों का चूर्ण गर्म पानी के साथ लेने से पेट के कीड़े मर जाते है।
प्रदर रोग : आम की गुठली का २ से ३ ग्राम चूर्ण शहद के साथ चाटने से रक्त-प्रदर में लाभ होता है।
दाँतों के रोग : आम के पत्तों को खूब चबा-चबाकर थूकते रहने से कुछ ही दोनों में दाँतों का हिलना और मसूड़ों से खून आना बंद हो जाता है। आम की
गुठली की गिरी के महीन चूर्ण का मंजन करने से पायरिया ठीक होता है।
घमौरियाँ : आम की गुठली के चूर्ण से स्नान करने से घमौरियाँ दूर होती है।
पुष्ट और सुडौल शरीर : यदि एक वक्त के आहार में सुबह या शाम केवल आम चूसकर जरा-सा अदरक लें तथा डेढ -दो घंटे के बाद दूध पियें तो 40 दिन में शरीर पुष्ट व सुडौल हो जाता। आम और दूध एक साथ खाना आयुर्वेद की दृष्टि से विरुद्ध आहार है। इससे आगे चलकर चमड़ी के रोग होते हैं।
यह सावधानी भी जरूरी
खाने के पहले आम को पानी में रखना चाहिए। इससे उसकी गर्मी निकल जाती है। भूखे पेट आम नहीं खाना चाहिए। अधिक आम खाने से गैस बनती है और पेट के विकार पैदा होते हैं। कच्चा, खट्टा तथा अति पका हुआ आम खाने से लाभ के बजाय हानि हो सकती है। कच्चे आम के सीधे सेवन से कब्ज व मंदाग्नि हो सकती है।
बाजार में बिकनेवाला डिब्बाबंद आम का रस स्वास्थ्य के लिए हितकारी नहीं होता है। लम्बे समय तक रखा हुआ बासी रस वायुकारक, पचने में भारी एवं हृदय के लिए नुकसानदायक होता है।
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