Covid-19 : कोरोना से बचने की सलाह, सांस लेने में तकलीफ का मतलब फेफड़े हो गए संक्रमित

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प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, लखनऊ


वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का संक्रमण देश में कहर बरपा रहा है। तेजी से संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है। कोरोना से मौतों का ग्राफ भी चढ़ता जा रहा है। संक्रमितों की संख्या के आगे अस्पतालों में बेड कम पड़ रहे हैं। ऑक्सीजन एवं दवाइयों की किल्लत तो जगजागही हो चुकी है। भयावह स्थिति को देखते हुए कोविड इलाज प्रबंधन में लगे डॉक्टरों का कहना है कि सतर्कता एवं सजगता से कोरोना के संक्रमण को पहले ही पहचाना जा सकता है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के कोविड आईसीयू के नोडल अफसर डॉ. चंद्रशेखर सिंह का कहना है कि देश के कई कोविड अस्पतालों में बड़ी संख्या में काेरोना संक्रमित मरीजों की जांच के आधार पर निष्कर्ष निकाला है कि सांस लेने में तकलीफ होने का मतलब है कि कोरोना वायरस का संक्रमण फेफड़ों तक पहुंच चुका है। अगर संक्रमण के तीन लक्षणों पर ध्यान दिया जाए तो गंभीरता से बचा जा सकता है।



डॉ. सिंह का कहना है कि  हमारे फेफड़े संक्रमण को सबसे पहले पहचानते हैं। इनके जरिए कोरोना वायरस के संक्रमण के तीन लक्षणों का संकेत भी देते हैं। अगर आपको इन तीन में से कुछ भी संकेत फेफड़ों से मिले तो समय लीजिए यह आपको सतर्क कर रहे हैं। आप फेफड़े के संकेत को पहचानें और तत्काल कोरोना के संक्रमण से निपटने के लिए डॉक्टर के संपर्क में पहुंच जाएं, ताकि इलाज शुरू हो जाए। आएं जाने उन लक्षणों काे जो हमारे फेफड़े वायरस के अंदर पहुंचते ही देने लगते हैं :-




कोरोना वायरस के संक्रमण के लक्षण


  • सांस लेते समय सीने में हल्का या तेज दर्द का अहसास होना
  • सूखी खांसी आना और खांसते समय सीने में भीषण दर्द होना
  • सीने के निचले हिस्से में दर्द या फेफड़ों में सूजन महसूस होना


डॉ सिंह का कहना है कि ऐसे लक्षण प्रकट होने के बाद भी पीड़ित लापरवाही बरते हैं। खतरे की बात यह है कि जब पीड़ित डॉक्टर के पास पहुंचते हैं तब तक उनके फेफड़े 20 से 25 फीसद तक संक्रमित हो चुके होते हैं। काेरोना वायरस का नया रूप सीधे फेफड़ों को संक्रमित करने लगा है। इसकी वजह से सांस लेने में दिक्कत होती है। अगर संक्रमित व्यक्ति की उम्र अधिक है। उन्हें साथ ही हृदय रोग, कैंसर या मधुमेह (डायबिटीज) होने पर स्थिति और गंभीर हो जाती है। ऐसे गंभीर रोगी भी विलंग से इलाज के लिए आ रहे हैं।



वायरस से फेफड़ों की होती लड़ाई


कोरोना की दूसरी लहर में सामने आया वायरस का नया रूप हमारे शरीर के श्वसन मार्ग में तेजी से संक्रमण फैलाता है। हालांकि 80 फीसद पीड़ितों में यह लक्षण सामान्य एवं मध्यम श्रेणी के होते हैं। इसमें लापरवाही बरतने पर सामान्य संक्रमण निमोनिया और फेफड़ों में गंभीर संक्रमण में बदलने लगता है। संक्रमण की वजह से ही फेफड़ों में सूजन आने लगती है। इसका यह संकेत है कि फेफड़ों की लड़ाई कोरोना वायरस से हो रही है। वायरस को शरीर के दूसरे अंगों को प्रभावित करने से रोक रहे हैं। अगर मरीज के शरीर की प्रतिरक्षण प्रणाली कमजोर हुई तो संक्रमण तेजी से संपूर्ण फेफड़ों को संक्रमित कर देता है, जो जानलेवा साबित होता है।


तेजी से फैलते संक्रमण का यह होता है नतीजा


डॉ. सिंह का कहना है कि कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से पीड़ित को निमोनिया और सांस लेने में अत्याधिक तकलीफ होने लगती है। संक्रमित हांफने लगता है और फेफड़े काम करना बंद कर देते हैं यानी फेल हो जाते हैं। ऐसे में संक्रमित को जीवन रक्षण उपकरणों यानी वेंटिलेटर, हाई फ्लो नेजल कैनुला और बाईपैप पर रखना पड़ता है। ऐसे में संक्रमित की मौत भी हो जाती है। निमोनिया की वजह से फेफड़ों में पानी भरने लगता है। उस वजह से फेफड़ों में सूजन, सांस लेने में दिक्कत और तेज खांसी आने लगती है। शरीर में ऑक्सीजन का स्तर तेजी से घटने लगता है। ऐसे पीड़ितों को ऑक्सीजन न मिलने से दम तोड़ देते हैं।



राहत की बात, स्वस्थ भी हो रहे संक्रमित


डॉ. सिंह का कहना है कि राहत की बात यह है कि कोरोना के संक्रमण से होने वाले निमोनिया से अधिकतर संक्रमित स्वस्थ भी हो रहे हैं। उनके फेफड़ों पर लंबे समय की क्षति भी नहीं हो रही है। कुछ मामलों में सांस लेने में लंबे समय तक तकलीफ बनी रह सकती है।


ऐसे फेफड़ों को बनाए मजबूत


  • स्वस्थ व्यक्ति रोजाना 30-60 मिनट तक ऐसे व्यायाम करे, जिसमें उसे हांफना भी पड़े।
  • फेफड़ों की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाएं, ताकि ज्यादा ऑक्सीजन लेकर शरीर को दे सकें।
  • अधिक ऑक्सीजन के लिए दौड़ना, साइकिल चलाना और तैराकी सबसे अच्छे व्यायाम हैं।
  • गहरी सांस लेने का अभ्यास करने से फेफड़े अधिक खुलने से उनकी कार्यक्षमता बढ़ती है।


इनके सेवन से शरीर में बढ़ती ऑक्सीजन की मात्रा


फेफड़ों की सेहत सुधारने के लिए केला, सेब, टमाटर, अंगूर आदि का सेवन करें। इन फलों में प्राकृतिक एंटी ऑक्सिडेंट होते हैं, जो फेफड़ों की सूजन को कम करने में कारगर साबित होते हैं। 

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