वैश्विक महामारी कोरोना वायरस एक तरफ कहर बरपा रही है। दूसरी तरफ कोरोना संक्रमितों के परिवारी जन उनकी देखभाल के लिए परेशान हैं। उनकी पत्नी कोरोना संक्रमित हो गई हैं। ऐसे में चार वर्षीय पुत्री की देखभाल के लिए छुट्टी नहीं मिलने पर झांसी के सीओ सदर मनीष सोनकर ने इस्तीफा दे दिया। वह एसएसपी के अवकाश देने से इंकार करने से आहत हो गए। नाराजगी जताते हुए इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे के बाद एसएसपी को लिखा पत्र भी वायरल हो रहा है।
वर्ष 2005 बैच के पीपीएस अफसर मनीष चंद्र सोनकर वर्तमान समय में झांसी सदर के सीओ हैं। उनकी पत्नी और चार वर्षीय पुत्री भी उनके साथ ही रहती हैं। पत्नी कोरोना पॉजिटिव हैं। उन दोनों की देखभाल के लिए सीओ सदर मनीष चंद्र सोनकर ने छह दिन का अवकाश मांगा था। एसएसपी ने अवकाश देने से इंकार कर दिया।
एसएसपी ने राज्यपाल को भेजा इस्तीफा
झांसी के एसएसपी रोहन पी कनय ने सीओ के इस्तीफे को स्वीकार करने के लिए अपनी संस्तुति के साथ राज्यपाल को भेज दिया है। एसएसपी ने पहले अवकाश देने से इनकार कर दिया था। इस्तीफा देने के बाद अवकाश स्वीकृत कर दिया।
आतंकियों के खिलाफ बड़े ऑपरेशन में रहे शामिल
सीओ मनीष सोनकर यूपी एटीएस में रहे हैं। इस दौरान आतंकियों के खिलाफ बड़े ऑपरेशन में शामिल रहे और उन्हें सफलतापूर्वक अंजाम भी दिया। आईएसआईएस के खुरासान मॉड्यूल और नक्सलियों के खिलाफ भी कई ऑपरेशन कर चुके हैं। एसएसपी पर अमानवीय व्यवहार करने का आरोप लगाया है।
यह है सीओ का वायरल पत्र
जय हिंद दोस्तों। मेरा नाम मनीष चंद्र सोनकर है। मैं 2005 बैच का यूपी पीपीएस ऑफिसर हूं। वर्तमान में जनपद झांसी में क्षेत्राधिकारी सदर के पद पर नियुक्त हूं। मेरे साथ मेरी पत्नी और 4 साल की बेटी रह रही है। विगत 12 सालों से पूर्ण निष्ठा और मनोयोग से अपने पद के कर्तव्यों के निर्वहन करते हुए सेवा दे रहा हूं। चाहे जैसी भी परिस्थितियां आई हों चाहे परिवार में कोई भी परेशानी आई हो ,मेरे परिवार में चाहे कोई कितना भी बीमार रहा हो चाहे कोई मर भी गया हो कोई न कोई ऑल्टरनेट व्यवस्था का प्रयास कर हमेशा स्वयं से आगे पुलिस सेवा ( thank less)को रखा है। यह मैं सिर्फ इस लिए कर पाया क्योंकि परिवारीजन विशेषकर मेरी पत्नी द्वारा हमेशा unconditional support दिया गया। इस के बावजूद इस महामारी के काल में जब एक बार मेरे परिवार को मेरी ज़रूरत पड़ी सिर्फ एक बार, जब मैं मेरे किसी परिवारिजन या इष्टजन को नहीं बुला सकता अपनी जगह काम करने के लिए ( बिना उनके जीवन को भय में डालें) तो भी ये विभाग और इसके कर्णधार को ये गंवारा नहीं हुआ कि मुझे मेरे परिवार के साथ इस विपित्ता काल में अकेले छोड़ दें मदद करने के बजाए प्रताड़ना करना शुरू कर दिया।
जैसा कि मैं पहले बता चुका हूं कि मैं अपनी पत्नी और 4 साल की बच्ची झांसी में नियुक्ति के दौरान रह रहे हैं और सुरक्षा कारणों से कोरॉना काल की शुरुआत से ही घर के अलग अलग हिस्से में रह रहे हैं । मेरी पत्नी को पिछले कई दिनों से हाई डिग्री का fever आ रहा था। उससे पहले 20 अप्रैल 2021 से मैं हाई डिग्री के fever से पीड़ित रहा। पांच बार टेस्ट कराया पर निगेटिव कोरोना रिपोर्ट आई, इसलिए मैं दवाइयां लेकर कार्य करता रहा। इस दौरान मेरी पत्नी पूरी सावधानियां रखते हुए मेरा पूरा खयाल रखती रहीं। मेरी दवाइयां (पत्नी स्वयं होमियोपैथिक डॉक्टर हैं) खाना पीना और उसके ऊपर प्रेमवत व्यवहार रखते हुए मुझे जल्दी ठीक कर दिया। इस दौरान जब जब कार्य सरकार के कारण क्राइम सीन विजिट lockdown enforcement mask ka enforcement मीटिंग जांच strong room की चेकिंग पुलिस पार्टी की रवानगी कार्यालय विवेचना आदि का कार्य उच्चाधिकारियों के आदेश निर्देश के क्रम में दवाइयां लेते हुए करता रहा।
30 अप्रैल 2021 को मेरी पत्नी मेरा और मेरी बेटी का कोविड टेस्ट कराया जिसमें मेरी पत्नी का रैंडम test positive आया मेरी पत्नी को तुरंत आइसोलेट करना पड़ा। मेरी 4 वर्ष बेटी जो जन्म के बाद से ही सिर्फ अपनी मां के साथ ही रही है को मेरे पास आना पड़ा, क्योंकी मैं घर में अकेला एडल्ट मेंबर बचा। मेरी पत्नी की सेवा करने की जिम्मेदारी मेरे ऊपर आ गई। जानपहचान के लोगों से मदद इसलिए नहीं ले सकते थे क्योंकि मेरी पत्नी के corona positive होने से पहले बेटी लगातार उसके साथ रह रही थी। ताकि बीमारी जान पहचान वालों में और न फैल जाए। मेरी पत्नी जो स्वयं डॉक्टर है अपने सभी vitals को मेरी मदद से लगातार मॉनिटर करते हुए सही खान पान और corona kit की दवाइयों और होम्योपैथिक दवाइयों को जुडिशियसली प्रयोग कर अपना इलाज कर सकती हैं पर एक मां के रूप में उसकी सबसे बड़ी चिंता उसकी बेटी है जिसको वो किसी भी अनजान आदमी को देकर नहीं सुकून से रह सकती हैं। जिस वजह से वह बहुत घबरा रही थी जो किसी भी फेफड़े के संभावित रोगी के लिए बहुत ही ज्यादा हानिकारक है। हमारी स्वास्थ सेवाएं already बहुत ज्यादा स्ट्रेच हो चुकी हैं और पेशेंट को वो कितना केटर करेंगी हम सब जानते हैं उसपर कॉमेंट करने की आवश्यकता ही नहीं है। अतः मेरी पत्नी की तबियत जल्दी ठीक हो जाए और मेरी पुत्री का स्वास्थ बनी रहे बिना और बीमारी फैलाए इसलिए सिर्फ मैं ही उनकी सेवा कर सकता था जो पूर्व में उनके सबसे करीब रहा है।
इसलिए मैने जरिए दूरभाष एसएसपी झांसी महोदय को अवगत कराते हुए जरिए पत्र दिनांक 1 मई 2021 से 6 दिवस आकस्मिक अवकाश प्रदान करने हेतु आवेदन किया। परंतु इस कठिन समय में साथी अधिकारी के रूप में मेरे साथ संवेदना पूर्वक व्यवहार करने के बजाए एसएसपी झांसी द्वारा मेरी ड्यूटी 2 मई से 3 मई तक बड़ागांव ब्लॉक के पंचायत चुनाव की मतगणना में लगा दी।
साथी अधिकारी व कर्मचारीगणों के साथ पूर्ण समन्वय करते हुए मैने ये सुनिश्चित करा कि समस्त पुलिस बल ड्यूटी पर पहुंच जाए और साथी अधिकारी व कर्मचारीगणों के साथ दूरभाष पर लगातार संपर्क पर रहा व 2 मई को मेरे द्वारा अवकाश हेतु एसएसपी झांसी से जरिए दूरभाष पुनः निवेदन किया गया। परंतु उनके द्वारा बोला गया कि फॉलोवर के भरोसे अकेले को 4 साल की बेटी को छोड़ कर ड्यूटी पर चले आओ (जो एक दिन पहले आया था। चाहे वो बेटी के साथ कैसा भी व्यहवार करे उसको देखने के लिए कोई घर पर नहीं होगा, पत्नी की प्रयोग की गई चीजों को सुरक्षित ढंग से रखे या ना रखे, बेटी जो बार बार पत्नी के पास जाने के लिए मचल रही हो उसको मारपीट कर दुर्व्यवार कर उसको चुप कराए। खिलाए पिलाए)
मैने आने में असमर्थता जतायी और उनसे पुनः अवकाश स्वीकृत करने हेतु निवेदन किया जिसका उन्होंने मना कर दिया। मैंने उनसे बोला कि आप अवकाश स्वीकृत नहीं कर सकते तो मैं इस स्थिति में कार्य करने को तैयार नहीं हूं और मैं अपना त्यागपत्र दे रहा हूं। उन्होंने कहा ठीक है और फोन काट दिया । मैंने माननीय राज्यपाल को संबोधित त्यागपत्र को जरिए उचित माध्यम प्रेषित कर दिया। मेरा त्यागपत्र हेतु आवेदन प्राप्त करते ही दिनांक 2 मई को ही माननीय वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदय द्वारा संज्ञान लेते हुए अग्रिम कार्यवाही हेतु संबंधित अधिकारी और पुलिस मुख्यालय को आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित किया गया है। साथ ही insult over injury करते हुए मेरे 1 मई के आवेदन के क्रम में दिनाक 3 मई से 6 मई तक अवकाश प्रदान कर दिया गया जब कि बड़ागांव मतगणना लगातार जारी ही थी।
अब झांसी के बड़ागांव ब्लॉक में मतगणना सकुशल समाप्त हो चुकी है और अगर मुझे त्यागपत्र के आवेदन के बाद छुट्टी मिल सकती थी तो पहले भी मिल सकती थी । ऐसी unprecedented विपित्ताकाल में भी छुट्टी न देना मतलब साफ है कि इस प्रकार के आईपीएस ( जो स्वयं कितना पुलिस ऑफिस आते हैं और क्षेत्र में निकलते हैं ये जगजाहिर है ) हमें अपने से कमतर मनुष्य समझते हैं और अभी भी कोलोनियल और सामंती विचारों से ही पीड़ित है जिसने हमको इस कोरोनो काल में दुनिया में सबसे भयावह स्थिति पर ला दिया है जहां हम ह्यूमन suffering की extreme se पीढ़ित हो रहे corona victims, corona warriors और सबसे ऊपर उनके परिवारीजनों (जोकी संक्रमित माहौल में काम कर रहे corona warriors की वजह से संक्रमित हुए हैं) से क्रूरता से निबटने की सोच रहे हैं।
एक समाज के रूप में हम और कितना गिरेंगे जब हम एक परिवार ( जो कि समाज की इकाई है ) को जीवन रक्षक सुविधा देने की बजाए उनको स्वयं को बचाने के प्रयासों को भी करने में आड़े आयेंगे। मेरे त्यागपत्र स्वीकार होने के बाद भी मेरा परिवार दुखी नहीं होगा, क्योंकि हम सब साथ में होंगे और जीवन यापन के लिए कुछ न कुछ तो कर ही सकता हूं ।
ये भी तय है कि ये काल भी बीत जाएगा पर मानव वेदनाएं और चित्कार सुन सुन कर भी यह व्यवस्था और नीति निर्धारक colonial bosses और काले अंग्रेजों की तरह अमानवीय होकर बहरे होते जा रहे हैं क्योंकि वो व्यक्ति या उनके बीच का नहीं या फिर बड़ा नाम नहीं है । जिस वजह से यह भी तय है कि आने वाली पीढ़ियां हमारी व्यवस्था को कोसेगी जैसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद नाजी जर्मनी की व्यवस्था के साथ किया था ।
सादर
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