- प्रयागराज मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर की सूचना पर दबोचा
- 6890 रुपये मूल्य का इंजेक्शन 11 हजार रुपये में बेच रहे थे
- कानपुर समेत कई जिलों में तक पहुंचा रहे थे नकली इंजेक्शन
कोरोना के साथ ब्लैक फंगस कहर बरपा रहा है। इस आपदा को अवसर में बदले में कालाबाजारी एवं मिलावट खाेर सक्रिय हो गए हैं। रेमडेसिविर इंजेक्शन की तरह अब ब्लैक फंगस के इलाज में कारगर एम्फोटेरेसिन बी इंजेक्शन भी नकली बनाने लगे हैं। इन नकली इंजेक्शन भी धड़ल्ले से बेच रहे हैं। गुरुवार को प्रयागराज के राजकीय मेडिकल कॉलेज के एक डॉक्टर की सूचना पर एसीपी कर्नलगंज ने गिरोह के दो सदस्यों को 68 इंजेक्शन व 1.80 लाख रुपये के साथ दबोच लिया।
पूछताछ में सामने आया है कि यह गिरोह कानपुर समेत प्रदेश के आधा दर्जन जिलों में नकली एम्फोटेरेसिन बी इंजेक्शन तैयार करके बेच रहा है। कानपुर पुलिस ने संबंधित जिलों की पुलिस को अवगत करा दिया है। ब्लैक फंगस यानी म्यूकर माइकोसिस के इलाज में कारगर इंजेक्शन का नकली माल उतार कर बाजार में बेचने की देश में दूसरी और प्रदेश में पहली घटना है।
एसीपी कर्नलगंज त्रिपुरारी पांडेय ने बताया कि प्रयागराज के राजकीय मेडिकल कॉलेज में सीनियर आर्थोपैडिक डॉ. करन सिंह चौहान ने गुरुवार की सुबह कमिश्नरेट पुलिस से संपर्क किया। सूचना दी कि कानपुर के एक गिरोह ने उनके एक रिश्तेदार के इलाज के लिए एम्फोटेरेसिन बी इंजेक्शन की 30 वाॅयल 2.10 लाख रुपये में बेची है। जांच पड़ताल के बाद सामने आया कि उन्हें जो इंजेक्शन दिए गए थे, वह नकली हैं। इसी वजह से उनके मरीज की मृत्यु हो गई। डॉ. करन ने अपने साथी विनीत की मदद से दोबारा से गिरोह को इंजेक्शन खरीदने के लिए बुलाया, जिसे पुलिस टीम ने दबोच लिया।
एसीपी कर्नलगंज ने बताया कि पुलिस ने घेराबंदी करके रतनदीप अपार्टमेंट निवासी मेडिकल रिप्रजेंटेटिव ज्ञानेश शर्मा पुत्र गोपाल शर्मा और प्रॉपर्टी डीलर का काम करने वाले के ब्लॉक यशोदा नगर निवासी प्रकाश मिश्रा पुत्र जनार्दन मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया। दोनों के पास से पुलिस ने 68 नकली एम्फोटेरेसिन बी बरामद हुए। पूछताछ में इंजेक्शन नकली होने का पता चला पुलिस ने डॉ. करन द्वारा आरोपियों को दिए गए 2.10 लाख रुपये में से 1.80 लाख रुपये बरामद भी कर लिए हैं।
एसीपी ने बताया कि पूछताछ में सामने आया है कि यह गिरोह कानपुर समेत प्रयागराज, आगरा, लखनऊ, नोएडा और बनारस में भी नकली इंजेक्शन बेचने का काम कर रहा है। संबंधित जिलों की पुलिस को सूचनाएं दे दी गई हैं। जानकारी मिली है कि गिरोह 6890 रुपये एमआरपी प्रिंट के इंजेक्शन की प्रति वाॅयल 11 हजार रुपये में बचे रहे थे।
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