Big News For Covid-19 : फेफड़े के साथ दिल के लिए भी कोरोना घातक

0

  • कोरोना से मृत्युदर बढ़ने की वजह को लेकर विशेषज्ञों के मंथन में अहम तथ्य सामने आए



प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, कानपुर


कोरोना की दूसरी लहर में रूप बदल कर आया वायरस फेफड़े के साथ दिल को भी संक्रमित कर रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि फेफड़े और हार्ट के बीच दूरी कम होने से जल्दी पहुंच जाता है। हार्ट में जाकर उसकी मांसपेशियों में सूजन करता है, जिससे दिल कार्य क्षमता प्रभावित होती है। कोरोना से मृत्युदर बढ़ने की वजह को लेकर विशेषज्ञों के मंथन में अहम तथ्य सामने आए हैं। इस मंथन में लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान के कार्डियक वैस्कुलर थेरोसिक सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो. राकेश वर्मा भी शामिल रहे।


हृदय रोग संस्थान के चीफ कार्डियक सर्जन डॉ. राकेश वर्मा के मुताबिक कोरोना का संक्रमण फेफड़े के साथ ही दिल को तीन तरह से प्रभावित करता है। हार्ट की मांसपेशियों पर कोरोना का संक्रमण होने से सूजन आ जाती है, जिसे मायोकार्डिटिस्ट कहते हैं। इससे हार्ट का फंक्शन प्रभावित होने से पंपिंग कम होने से हार्ट फेल हो जाता है।


इसी तरह हार्ट को खून की सप्लाई करोनरी आर्टरी से होती है। जब कोरोना इसके अंदर पहुंच कर रिएक्शन करता है तो माइक्रो थमबाई (खून के छोटे-छोटे थक्के) बनने लगते हैं, जिससे खून की आपूर्ति में बाधा होने से हार्ट अटैक पड़ता है।


वहीं, कोरोना वायरस जब हार्ट के गति सर्किट को प्रभावित करता है। हार्ट की गति अनियंत्रित हो जाती है। वैंटिकुलर टैकिकार्डिया एवं वैंटिकुलर फैब्रिलेशन होने से हार्ट से शरीर को खून की सप्लाई धीमी हो जाती है। इससे हार्ट शरीर को खून की सफलाई ठीक से नहीं कर पाता, लोड बढ़ने से हार्ट रुक जाता है, जिसे हार्ट अरेस्ट यानी हार्ट बंद हो जाता है।


विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना की दूसरी लहर में वायरस के सबसे जटिल रूप में हृदय को प्रभावित किया है। इस वजह से संक्रमितों का संक्रमण से उबरने के बाद सबसे अधिक हार्ट फेल्योर हुआ है।


यह हैं लक्षण


मायोकार्डिटिस्ट : सीने में भीषण दर्द और सांस तेजी से फूलने लगती है। इसका मतलब है कि फेफड़े के साथ-साथ हार्ट भी प्रभावित हाे चुका है।


करोनरी आर्टरी (थम्बस डिजीज) : जब सीने, जबड़े, गर्दन, दोनों हाथों में कंधे से भीषण दर्द होने लगे। पीठ की तरफ भी भीषण दर्द उठने लगे। यह इस बीमारी का प्रमुख लक्षण है।


हार्ट गति के सर्किट (कंडक्शन टिश्यू) : हृदय की धड़कन अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती है। बैठे-बैठे अचानक से सांस फूलने लगती है।


कोरोना के बाद ऐसी समस्या में यह जांच जरूरी


खून की ट्रोपनिन टेस्ट, सीपीकेएमबी, सीआरपी, डी-डाइमर, ईएसआर की जांच कराएं। अगर ट्रेपनिन टेस्ट नार्मल आए तो यह समझें कि हार्ट में संक्रमण नहीं पहुंचा है। अगर प्लेटलेट्स काउंट कम है और प्रोथाबिंग टाइम बढ़ा हुआ आए। अगर खून की जांच के अन्य मार्कर बढ़े हुए हैं तो समझ लें, पूरे शरीर की नसों में कोरोना का संक्रमण फैल चुका है।


ईसीजी से पता करें दिल का हाल


इको कार्डियोग्राम (ईसीजी) जैसी सामान्य जांच से हार्ट की स्थिति का लगभग पूरी तरह से पता कर सकते हैं। अगर ईसीजी का ग्राफ ऊपर की तरफ भागता है तो मायोकार्डिटिस्ट है। अगर ईसीजी तेजी से ऊपर एवं नीचे की तरफ आता है तो थम्बस डिजीज की समस्या है। अगर हार्ट रेट 200 एवं ईसीजी का ग्राफ पूरी तरह बिगड़ जाए तो समझें कंडक्शन टिश्यू की समस्या है। इसके अलावा इको, कार्डियक एमआरआइ एवं सीटी एंजियोग्राफ से हार्ट की स्थिति एवं नसों में रुकावट का पता लगाया जाता है।


ऐसे किया जाता है इलाज


कोरोना संक्रमित सामान्य एवं मध्यम लक्षण के मरीजों का इलाज दवाइयों से ही किया जाता है। उन्हें खून पतला करने से लेकर हार्ट की दवाइयां चलाई जाती हैं। अगर सीने में दर्द है तो नाइट्रो ग्लिसरिन चलाई जाती है।


एक्मो के सपोर्ट से ऑक्सीजन एवं पंपिंग की जाती


अगर मरीज की स्थिति गंभीर है। उसके फेफड़े और हार्ट पूरी तरह से फेल हो गए हैं। एेसे में मरीज को एक्मो (एस्ट्रा कॉपोरियल मेम्बरेन ऑक्सीजनेशन) मशीन के सपोर्ट पर रखा जाता है। इसके जरिए हार्ट, फेफड़े और ब्लड प्रेशर को मेंटेन किया जाता है। इस मशीन से हार्ट की पंपिंग कम होने की समस्या दूर की जाती है। साथ ही ऑक्सीजन की कमी भी पूरी की जाती है। यह मशीन फेफड़े और हार्ट का 70 फीसद कार्य करती है, जिससे हार्ट और फेफड़े पर लोड कम होने से तेजी से सूजन कम होने लगती है। धड़कन भी सामान्य होने लगती है।


Post a Comment

0 Comments

if you have any doubt,pl let me know

Post a Comment (0)
To Top