देश में बेकाबू हो चुके कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए विपक्ष लगातार केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बड़ी रैलियों तथा रोड शो पर लगातार सवाल उठा रहा है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पश्चिम बंगाल में अपनी सभी प्रस्तावित रैलियों को रद कर दिया है। राहुल गांधी के फैसले के बाद भाजपा की किरकिरी हो रही थी, जिससे भाजपा भी जगी है। उनकी देखा-देखी छोटी जनसभा करने का फैसला लिया है।
राहुल गांधी ने पेश की नजीर
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कोरोना वायरस के संक्रमण के बेकाबू होते हालात को देखते हुए पश्चिम बंगाल चुनावों की रैलियां नहीं करने का फैसला किया था। उन्होंने अपनी सभी रैलियां रद कर दी थीं। उन्होंने कहा था कि राजनैतिक दलों को सोचना चाहिए कि ऐसे समय में इन रैलियों से जनता और देश को कितना खतरा है। कांग्रेस की तरफ से आधिकारिक बयान भी जारी कर दिया गया कि अब पार्टी वहां कोई बड़ी रैली नहीं करेगी। इसकी जानकारी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने दी है।
प्रधानमंत्री की जनसभा में 500 लोग हाेंगे शामिल
कांग्रेस के इस फैसले के बाद भाजपा भी जागी है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा में अब सिर्फ 500 लोगों को ही शामिल हाेने की अनुमति होगी। भाजपा मंगलवार से अपना बूथ-कोरोना मुक्त अभियान चलाएगी। पार्टी के स्तर से राज्य की जनता को छह करोड़ मास्क एवं सैनिटाइजर का भी वितरण किया जाएगा।
दीदी ने भी किया बड़ी रैली से किनारा
पश्चिम बंगाल में कोराना वायरस के बढ़ते कहर को देखते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी बड़ी रैली नहीं करने का एेलान किया है। ममता बनर्जी अब पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार नहीं करेंगी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ी रैली से किनारा कर लिया है। तृणमुल कांग्रेस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि टीएमसी अब कोलकाता में छोटी-छोटी चुनावी सभा करेगी।
जनता की जिंदगी से न खेले चुनाव आयोग : ममता बनर्जी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चाकुलिया में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि मैं चुनाव आयोग से हाथ जोड़कर निवेदन करती हूुं कि बाकी बचे तीन चरणों के चुनाव को एक या दो दिन में कराया जाए। कृपया जनता के जीवन के साथ खिलवाड़ न किया जाए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को वैक्सीन, दवाइयों और ऑक्सीजन सिलिंडर की आपूर्ति सुनिश्चित करनी चाहिए। नाइट कर्फ्यू कोई स्थाई समाधान नहीं है। राज्यों के अस्पतालों मेंइ 20 फीसद तक बेड की क्षमता बढ़ाई जाए। इलाज के लिए संसाधन भी जुटाए जाएं।
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