प्रारब्ध धर्म अध्यात्म डेस्क, लखनऊ
चैत्र नवरात्रि की अष्टमी यानी आठवें दिन माता दुर्गा को नारियल का भोग लगाएं। ऐसा करने से माता प्रसन्न होती हैं और घर में सुख समृद्धि आती है। नवरात्रि की नवमी तिथि यानी अंतिम दिन माता दुर्गा को विभिन्न प्रकार के अनाज का भोग लगाएं। इससे वैभव व यश मिलता है।
चैत्र नवरात्रि का महात्म्य
मां महागौरी की पूजा से मन की शांति मिलती है। नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। आदिशक्ति श्री दुर्गा का अष्टम रूप श्री महागौरी हैं। मां महागौरी का रंग अत्यंत गोरा है, इसलिए इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि का आठवां दिन हमारे शरीर का सोम चक्रजागृत करने का दिन है। सोमचक्र ललाट में स्थित होता है। श्री महागौरी की आराधना से सोमचक्र जागृत हो जाता हैै। इस चक्र से संबंधित सभी शक्तियां श्रद्धालु को प्राप्त हो जाती हैं। मां महागौरी के प्रसन्न होने पर भक्तों को सभी सुख स्वत: ही प्राप्त हो जाते हैं। इनकी भक्ति से हमें मन की शांति भी मिलती है।
सुख-समृद्धि के लिए मां सिद्धिदात्री की पूजा
चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री भक्तों को हर प्रकार की सिद्धि प्रदान करती हैं। अंतिम दिन भक्तों को पूजा के समय अपना सारा ध्यान निर्वाण चक्र, जो कि हमारे कपाल के मध्य स्थित होता है, वहां लगाना चाहिए। ऐसा करने पर देवी की कृपा से इस चक्र से संबंधित शक्तियां स्वत: ही भक्त को प्राप्त हो जाती हैं। सिद्धिदात्री के आशीर्वाद के बाद श्रद्धालु के लिए कोई कार्य असंभव नहीं रह जाता और उसे सभी सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
अष्टमी के दिन कन्या पूजन
नौ कन्या का पूजन कर सकें तो अति उत्तम लेकिन अगर संभव नहीं हो तो किसी एक छोटी सी प्यारी सी कन्या को लाल रंग की समस्त सुंदर-सुंदर सामग्री भेंट करें। इनमें खेल सामग्री, शिक्षा सामग्री, परिधान, श्रृंगार सामग्री हो सकती है। फूल, फल, मिठाई और दक्षिणा साथ में अवश्य रखें।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कन्याओं के रूप में मां ही घर में प्रवेश करती हैं। कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप मानकर पूजा- अर्चना की जानी चाहिए। 3 से 9 वर्ष की कन्याओं का कन्या पूजन किया जाना चाहिए। इस उम्र की कन्याओं को मां का साक्षात स्वरूप कहा जाता है।
कन्या पूजन का महात्म्य
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार 9 कन्याओं का पूजन किया जाता है। हर कन्या का अलग और विशेष महत्व होता है। एक कन्या का पूजन करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। दो कन्याओं का पूजन करने से भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है। तीन कन्याओं का पूजन करने से अर्थ, धर्म और काम की प्राप्ति होती है। चार कन्याओं का पूजन करने से राज्यपद की प्राप्ति होती है। पांच कन्याओं का पूजन करने से विद्या की प्राप्ति होती है। छह कन्याओं का पूजन करने से छह प्रकार की सिद्धि प्राप्त होती है। सात कन्याओं का पूजन करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। आठ कन्याओं का पूजन करने से सुख-संपदा की प्राप्ति होती है। नौ कन्याओं का पूजन करने से पृथ्वी के प्रभुत्व की प्राप्ति होती है।
इन बातों का रखें ध्यान
कन्याओं को हलवा, पुड़ी और चने का प्रसाद खिलाना चाहिए। कन्याओं को दक्षिणा देना न भूलें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कन्याओं को दक्षिणा देने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं
सुहागिन स्त्री को भेंट
नवरात्रि के अंतिम दिनों में कभी भी किसी सुहागिन स्त्री को चांदी की बिछिया, कुंकुं से भरी चांदी डिबिया, पायल, अंबे मां का चांदी का सिक्का व अन्य श्रृंगार सामग्री भेंट करने से भी मां की विशेष कृपा आपको मिल सकती है।
ससुराल में तकलीफ हो तो
जिनको शादी के बाद ससुराल में कठिनाई हो रही हो। उनको चैत्र मास शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को – ॐ ह्रीं गौरिये नम:। ॐ ह्रीं गौरिये नम: का जप करना चाहिए। साथ ही प्रार्थना करें कि शिवजी की अति प्रिय हो माँ... हमारे परिवार में ये समस्या न रहे।
आपके परिचितों में किसी को भी बेटी और बहन की शादी के बाद दिक्कतें आती हों तो आप इनको बता दें। ऐसा करें बेटी न कर पाये तो पिता करें, भाई करें, बहन करें की मेरी बेटी, बहन को ऐसी तकलीफ न हो ऐसा संकल्प करें, नाम और गोत्र का उच्चारण करके।
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