दिनांक 04 अप्रैल, रविवार
विक्रम संवत : 2077, शक संवत : 1942
अयन - उत्तरायण
वसंत ऋतु
चैत्र मास (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार - फाल्गुन)
कृष्ण पक्ष
अष्टमी तिथि 05 अप्रैल प्रातः 02:59 तत्पश्चात नवमी
पूर्वाषाढा नक्षत्र 05 अप्रैल रात्रि 02:06 तक तत्पश्चात उत्तराषाढा
परिघ योग शाम 06:43 तक तत्पश्चात शिव
राहुकाल - शाम 05:21 से शाम 06:54 तक
सूर्योदय - 06:30 बजे, सूर्यास्त - 18:53 बजे
दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण
विशेष
अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
अष्टमी तिथि और रविवार के दिन ब्रह्मचर्य पालन करे तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)
रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)
स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।
पारिवारिक कलह नाशक प्रयोग
पति-पत्नी में झगड़ा हो गया हो और उसका शमन करना हो तो पति-पत्नी दोनों पार्वतीजी को तिलक करके उनकी ओर एकटक देखें तथा प्रार्थना करें। अगर पति पत्नी को निकाल देना चाहता है तो पत्नी यह प्रयोग करें। इससे झगड़ा शांत हो जायेगा।
दही कैसी खाना
दही खट्टा दुश्मन को भी नहीं खिलाना और दही खाने से तो नाड़ियों में blockage होता है बड़ी उम्र में; दही को मथ के लस्सी बनाओ फिर मक्खन सब खा लो; लस्सी पी सकते हैं, दही नहीं, और दही खट्टा तो बहुत नुकसान करता है।
घर को तीर्थ जैसा पवित्र बनाएं
सुबह - शाम घी का दीपक करें।
जहाँ सोते हैं वहां २-३ दिन पुरानी चादर न बिछी रहे। एक या दूसरे दिन चादर बदल दें।फिर भले पानी से ही धो कर सुखा दें।
घर में नाश्ता करने से पहले सफाई हो जानी चाहिए। ऐसा करने वाले के घर से लक्ष्मी जाती नहीं।
जूठे बर्तन रख कर न सो जाएँ।
पंचक
7 अप्रैल दोपहर 3 बजे से 12 अप्रैल प्रात: 11.30 बजे तक
व्रत का विवरण
07 अप्रैल : पापमोचिनी एकादशी
09 अप्रैल : प्रदोष व्रत
23 अप्रैल : कामदा एकादशी
24 अप्रैल : शनि प्रदोष व्रत
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