दिनांक : 16 अप्रैल 2021, दिन : शुक्रवार
विक्रम संवत : 2078 (गुजरात - 2077)
शक संवत : 1943
अयन : उत्तरायण
वसंत ऋतु
चैत्र मास
शुक्ल पक्ष
चतुर्थी तिथि शाम 06:05 बजे तक तत्पश्चात पंचमी
रोहिणी नक्षत्र रात्रि 11:40 बजे तक तत्पश्चात मॄगशिरा
योग : सौभाग्य शाम 06:24 बजे तक तत्पश्चात शोभन
राहुकाल : सुबह 11:04 बजे से दोपहर 12:39 बजे तक
सूर्योदय : सुबह 06:20 बजे
सूर्यास्त : शाम 18:56 बजे
(सूर्योदय और सूर्यास्त के समय में जिलेवार अंतर संभव है)
दिशाशूल : पश्चिम दिशा में
पंचक
4 मई रात्रि 8.41 बजे से 9 मई सायं 5.30 बजे तक
1 जून रात्रि 3.57 बजे से 5 जून रात्रि 11.27 बजे तक
28 जून प्रात: 12.57 बजे से 3 जुलाई प्रात: 6.15 बजे तक
व्रत-पर्व विवरण
23 अप्रैल : शुक्रवार कामदा एकादशी
24 अप्रैल : शनि प्रदोष
26 अप्रैल : सोमवार चैत्र पूर्णिमा
07 मई : शुक्रवार वरुथिनी एकादशी
08 मई : शनि प्रदोष
11 मई : मंगलवार वैशाख अमावस्या
23 मई : रविवार मोहिनी एकादशी
24 मई : सोमवार प्रदोष
06 जून : रविवार अपरा एकादशी
07 जून : सोमवार प्रदोष व्रत
10 जून बृहस्पतिवार, ज्येष्ठ अमावस्या
21 जून : सोमवार निर्जला एकादशी
22 जून : भौम प्रदोष
व्रत पर्व महात्म्य
विनायक चतुर्थी
विशेष
चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
आप चाहते हैं कि आपकी मनोकामना पूरी हो जाए। या देवी से किसी मन्नत के पूरी होने की प्रार्थना कर रहे हैं, तो नवरात्रि के 9 दिनों में से कभी भी देवी के मंदिर में लाल पताका जरूर चढ़ाएं। ऐसा आप घर के मंदिर में भी कर सकते हैं और देवी मां के मंदिर में भी। मन की कोई आस पूरी न हो पा रही हो तो नवरात्रि में पूरे कुछ दिन पांच प्रकार के सूखे मेवे लाल चुनरी में रखकर देवी को भोग लगाएं और बाद में इस भोग का सेवन सिर्फ आप करें।
नवरात्रि की पंचमी तिथि
17 अप्रैल 2021 शनिवार को चैत्र - शुक्ल पक्ष की पंचमी की बड़ी महिमा है। इसको श्री पंचमी भी कहते हैं। यह संपत्ति वर्धक भी है।
इन दिनों में लक्ष्मी पूजा की भी महिमा है। हृदय में भक्तिरूपी श्री आये इसलिए ये उपासाना करें। इस पंचमी के दिन हमारी श्री बढ़े, हमारी गुरु के प्रति भक्तिरूपी श्री बढ़े। उसके लिए भी व्रत, उपासाना आदि करना चाहिए। पंचमं स्कंध मातेति। स्कंध माता कार्तिक स्वामी की माँ पार्वतीजी .... उस दिन मंत्र बोलो – ॐ श्री लक्ष्मीये नम:।
चैत्र नवरात्रि
चैत्र मास की नवरात्रि का आरंभ 13 अप्रैल, मंगलवार से हो गया है। नवरात्रि में रोज देवी को अलग-अलग भोग लगाने से तथा बाद में इन चीजों का दान करने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है। जानिए नवरात्रि में किस तिथि को देवी को क्या भोग लगाएं :
नवरात्रि के चौथे दिन यानी चतुर्थी तिथि को माता दुर्गा को मालपुआ का भोग लगाएं। इससे समस्याओं का अंत होता है।
रोग, शोक दूर करती हैं मां कूष्मांडा
नवरात्रि की चतुर्थी तिथि की प्रमुख देवी मां कूष्मांडा हैं। देवी कूष्मांडा रोगों को तुरंत नष्ट करने वाली हैं। इनकी भक्ति करने वाले श्रद्धालु को धन-धान्य और संपदा के साथ-साथ अच्छा स्वास्थ्य भी प्राप्त होता है। मां दुर्गा के इस चतुर्थ रूप कूष्मांडा ने अपने उदर से अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न किया। इसी वजह से दुर्गा के इस स्वरूप का नाम कूष्मांडा पड़ा।
उपासना से रोग व शोक होते दूर
मां कूष्मांडा के पूजन से हमारे शरीर का अनाहत चक्रजागृत होता है। इनकी उपासना से हमारे समस्त रोग व शोक दूर हो जाते हैं। साथ ही, भक्तों को आयु, यश, बल और आरोग्य के साथ-साथ सभी भौतिक और आध्यात्मिक सुख भी प्राप्त होते हैं।
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