11 अप्रैल 2021, रविवार
विक्रम संवत : 2077
शक संवत : 1942
अयन : उत्तरायण
ऋतु : वसंत
मास : चैत्र (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार - फाल्गुन)
पक्ष : कृष्ण
तिथि : अमावस्या पूर्ण रात्रि तक
नक्षत्र : उत्तर भाद्रपद सुबह 08:58 बजे तक तत्पश्चात रेवती
योग : इन्द्र दोपहर 01:53 बजे तक तत्पश्चात वैधृति
राहुकाल : शाम 05:22 बजे से शाम 06:57 बजे तक
सूर्योदय : सुबह 06:24 बजे
सूर्यास्त : शाम 18:55 बजे
दिशाशूल : पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण
दर्श अमावस्या, अमावस्या वृद्धि तिथि
विशेष
अमावस्या और रविवार के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)
रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)
स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।
सोमवती अमावस्या : दरिद्रता निवारण
12 अप्रैल 2021 सोमवार सूर्योदय से सुबह 08:01 बजे तक सोमवती अमावस्या है। सोमवती अमावस्या के पर्व में स्नान-दान का बड़ा महत्त्व है। इस दिन भी मौन रहकर स्नान करने से हजार गौदान का फल होता है। इस दिन पीपल और भगवान विष्णु का पूजन तथा उनकी 108 प्रदक्षिणा करने का विधान है। 108 में से 8 प्रदक्षिणा पीपल के वृक्ष को कच्चा सूत लपेटते हुए की जाती है। प्रदक्षिणा करते समय 108 फल पृथक रखे जाते हैं। बाद में वे भगवान का भजन करने वाले ब्राह्मणों या ब्राह्मणियों में वितरित कर दिये जाते हैं। ऐसा करने से संतान चिरंजीवी होती है। इस दिन तुलसी की 108 परिक्रमा करने से दरिद्रता मिटती है।
ग़रीबी - दरिद्रता मिटाने के लिए
सोमवती अमावस्या के दिन 108 बार अगर तुलसी की परिक्रमा करते हो, ॐकार का थोड़ा जप करते हो, सूर्य नारायण को अर्घ्य देते हो; यह सब साथ में करो तो अच्छा है, नहीं तो खाली तुलसी को 108 बार प्रदक्षिणा करने से तुम्हारे घर से दरिद्रता भाग जाएगी।
समृद्धि बढ़ाने के लिए
कर्जा हो गया है तो अमावस्या के दूसरे दिन से पूनम तक रोज रात को चन्द्रमा को अर्घ्य दे, समृद्धि बढ़गी।
दीक्षा मे जो मंत्र मिला है उसका खूब श्रध्दा से जप करना शुरू करें, जो भी समस्या है हल हो जायेगी।
व्रत-उपवास
23 अप्रैल : कामदा एकादशी
24 अप्रैल : शनि प्रदोष व्रत
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