विक्रम संवत 2077, शक संवत 1942
अयन : उत्तरायण , वसंत ऋतु
चैत्र मास (गुजरात एवं महाराष्ट्र में फाल्गुन)
कृष्ण पक्ष, चतुर्थी सुबह 10:59 तक तत्पश्चात पंचमी
सूर्य नक्षत्र -उत्तराभाद्रपदा
चन्द्र नक्षत्र -चित्रा
नक्षत्र - विशाखा सुबह 07:22 तक तत्पश्चात अनुराधा
राहुकाल - दोपहर 02:15 से शाम 03:58 तक
सूर्योदय सुबह 06:33 बजे, सूर्यास्त शाम 18:52 बजे
दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
पंचक
7 अप्रैल दोपहर 3 बजे से 12 अप्रैल प्रात: 11.30 बजे तक
अप्रैल माह के व्रत
एकादशी
07 अप्रैल: पापमोचिनी एकादशी
23 अप्रैल: कामदा एकादशी
प्रदोष
09 अप्रैल- प्रदोष व्रत
24 अप्रैल- शनि प्रदोष व्रत
अगर दैनिक कार्यो में बाधा आती है या कार्य बनते बनते बिगड़ जाता है या दुकानदार की दुकान से ग्राहक आ कर के बिना कुछ खरीदे वापिस हो जाता है तो ये उपाय जरूर आजमाए
आरती में लौंग : सुबह पूजा के बाद आरती करते समय दीपक में 2 लौंग डाल कर आरती करें या कपूर में दो फूल वाले लौंग डालकर आरती करें। आपके हर काम सुगमता से होंगे और किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आएगी
व्यतिपात योग
व्यतिपात योग की ऐसी महिमा है कि उस समय जप पाठ प्राणायम, माला से जप या मानसिक जप करने से भगवान की और विशेष कर भगवान सूर्यनारायण की प्रसन्नता प्राप्त होती है जप करने वालों को, व्यतिपात योग में जो कुछ भी किया जाता है उसका १ लाख गुना फल मिलता है।
वाराह पुराण में ये बात आती है व्यतिपात योग की।
व्यतिपात योग माने क्या कि देवताओं के गुरु बृहस्पति की धर्मपत्नी तारा पर चन्द्र देव की गलत नजर थी जिसके कारण सूर्य देव अप्रसन्न हुऐ नाराज हुऐ, उन्होनें चन्द्रदेव को समझाया पर चन्द्रदेव ने उनकी बात को अनसुना कर दिया तो सूर्य देव को दुःख हुआ कि मैने इनको सही बात बताई फिर भी ध्यान नही दिया और सूर्यदेव को अपने गुरुदेव की याद आई कि कैसा गुरुदेव के लिये आदर प्रेम श्रद्धा होना चाहिये पर इसको इतना नही थोडा भूल रहा है ये, सूर्यदेव को गुरुदेव की याद आई और आँखों से आँसु बहे वो समय व्यतिपात योग कहलाता है। और उस समय किया हुआ जप, सुमिरन, पाठ, प्रायाणाम, गुरुदर्शन की खूब महिमा बताई है वाराह पुराण में।
विशेष - 02 अप्रैल 2021 शुक्रवार को प्रातः 02:48 से रात्रि 11:40 तक (यानी 02 अप्रैल, शुक्रवार को पूरा दिन) व्यतिपात योग है।
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