- कोरोना वायरस के कहर के बावजूद नहीं मिल रही चिकित्सकीय सुविधाएं
- कोरोना की बात दूर, सामान्य बीमारियों की भी यहां दवाइयां उपलब्ध नहीं
शहर में एक माह से कोरोना वायरस कहर बरपा रहा है। शिक्षक, कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में छात्र संक्रमित हो चुके हैं। बावूजद इसके लखनऊ विश्वविद्यालय के ओल्ड कैंपस स्थित विश्वविद्यालय की डिस्पेंसरी का हाल बेहाल है। यहां न डॉक्टर है और न ही जरूरी दवाइयां हैं। यहां तैनात डॉक्टर को अनुबंध भी समाप्त हो चुका है। उनका दोबारा अनुबंध नहीं होने से कभी कभार एक-डेढ़ घंटे ही खुलती हालांकि अनुबंध बढ़ाने के लिए डीएसडब्ल्यू ने संस्तुति की है। प्रस्ताव विश्वविद्यालय की वित्त समिति के पास लंबित है, अभी तक लेटर जारी नहीं हुआ है।
अनुबंधन आगे बढ़ाने की संस्तुति
विश्वविद्यालय की डिस्पेंसरी में तैनात चिकित्सक का अनुबंध कई माह पहले ही खत्म हो गया था। उनका अनुबंधन आगे बढ़ाने के लिए संस्तुति की गई है। प्रस्ताव विवि की वित्त समिति के पास लंबित है। डॉक्टर को अनुबंध पत्र आज तक जारी नहीं किया है। इस वजह से डिस्पेंसरी एक-डेढ़ घंटे के लिए ही खुलती है। यहां कोविड की बात दूर, सामान्य बीमारियों की भी दवाएं उपलब्ध नहीं हैं। शिक्षक, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं सुबह 11 बजे के बाद वहां जाते हैं तो ताला बंद मिलता है। वहां फार्मासिस्ट एवं अन्य कर्मचारी ही मिलते हैं। ऐसे में इलाज नहीं मिल पाता है, उन्हें निराश होकर लौटना पड़ता है।
कोरोना के इलाज बंदोबस्त की मांग
विश्वविद्यालय के शिक्षक एवं कर्मचारी कोरोना वायरस के बेकाबू हालात को देखते हुए डिस्पेंसरी में कोरोना के इलाज बंदोबस्त की मांग कर रहे हैं। आपात स्थिति से निपटने के लिए ऑक्सीजन एवं आइसोलेशन की व्यवस्था करने की मांग उठाई जा रही है। हद तो यह है कि यहां सामान्य बीमारियों का इलाज संभव नहीं है तो कोरोना के इलाज की बात सोची भी नहीं जा सकती है। वहीं, विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि तीन दिन होम्योपैथिक चिकित्सक और तीन दिन न्यू कैंपस में एलोपैथिक डॉक्टर सेवा दे रहे हैं।
शिक्षक संघ दो बार उठा चुका है आवाज
लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ पहले भी डिस्पेंसरी में बेहतर चिकित्सकीय व्यवस्था के लिए आवाज उठा चुका है। शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. विनीत वर्मा ने कुलपति प्रो. अालोक कुमार राय को पत्र लिखकर डिस्पेंसरी की व्यवस्था सुधारने की मांग की है। उसमें कोरोना के इलाज की प्रारंभिक व्यवस्था एवं अन्य बीमारियों के इलाज एवं दवाइयों की व्यवस्था के लिए कहा गया था। साथ ही डिस्पेंटरी में शिफ्ट के हिसाब से डॉक्टर एवं कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाए ताकि इमरजेंसी की स्थिति में प्राथमिक उपचार मिल सके।
विश्वविद्यालय के ओल्ड कैंपस में तैनात एलोपैथिक डॉक्टर सेवानिवृत्त हो गए हैं। उनकी सेवा विस्तार का प्रस्ताव भी मंजूर हो गया है। अभी तक पत्र जारी नहीं होने की वजह नहीं पता है। कोरोना वायरस के इलाज या आइसोलेशन की व्यवस्था यहां नहीं संभव है। होम्योपैथिक डॉक्टर यहां अनवरत अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
- प्रो. पूनम टंडन, डीएसडब्ल्यू, लखनऊ विश्वविद्यालय।
डिस्पेंसरी में डॉक्टर नहीं होने का प्रकरण मेरी जानकारी में नहीं है। विवि खुलने पर इसके बारे में पता कराएंगे। हॉस्टल खाली हैं, इसलिए हो सकता है समय कम किया गया हो। शिक्षक एवं कर्मचारियों को समय की जानकारी होगी तो वह निर्धारित समय पर डिस्पेंसरी आएंगे। फिर भी डिस्पेंसरी की चिकित्सकीय व्यवस्था को बेहतर करने का प्रयास करेंगे।
- डॉ. विनोद कुमार सिंह, रजिस्ट्रार, लखनऊ विश्वविद्यालय।
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