CMO Letter No needed For Hospitalization Of Corona Infected : कोरोना संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती के लिए अब सीएमओ के पत्र की जरूर नहीं

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  • कोरोना संक्रमितों की तेजी से बढ़ती संख्या को देख अस्पतालों में बदली भर्ती व्यवस्था
  • सरकारी अस्पतालो में 30 फीसद बेड पर कोरोना संक्रमित अब सीधे हो सकेंगे भर्ती



प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, लखनऊ


कोरोना वायरस का संक्रमण बेकाबू हो गया है। संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। इसे देखते हुए शासन ने कोरोना संक्रमित मरीजों को भर्ती करने की प्रक्रिया में बदलाव किया है। अब इंटीग्रेटेड कोविड कमांड सेंटर (आई-ट्रिपलसी) से बेड आवंटन, जिला प्रशासन और मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पत्र की जरूरत नहीं होगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इसकी बाध्यता को खत्म कर दिया गया है। यह बदलाव तत्काल प्रभाव से लेकर 30 जून 2021 तक प्रभावी रहेंगे।


अब निजी अस्पतालों में सीधे भर्ती होंगे संक्रमित


कोरोना संक्रमितों की तेजी से बढ़ती संख्या से बढ़ती अराजक स्थिति को देखते हुए शासन ने आदेश दिया है कि निजी अस्पतालों के कोविड हॉस्पिटल में संक्रमित अब कोरोना की पॉजिटिव रिपोर्ट के आधार पर सीधे भर्ती हो सकेंगे। हालांकि इन अस्पतालों को भर्ती करने के बाद मरीजों की सूचना यूपी पोर्टल पर अपलोड करनी होगी। इन अस्पतालों में 10 फीसद बेड, आइसोलेशन, एचडीयू और आइसीयू के आरक्षित रहेंगे, जिनमें आई-ट्रिपलसी के माध्यम से भर्ती किए जाएंगे।


चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद ने जारी आदेश में कहा है कि बदली हुई प्रक्रिया के तहत निजी अस्पतालों को कोविड संक्रमित को भर्ती करने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार के पोर्टल पर उनकी सूचना अपलोड करनी होगी। संक्रमित मरीज अपनी मर्जी के हिसाब से किसी भी कोविड सेंटर में भर्ती होने के लिए स्वतंत्र होंगे। अगर संक्रमित आई-ट्रिपलसी से एंबुलेंस की मांग करते हैं तो संबंधित निजी अस्पताल के पत्र के आधार पर तत्काल एंबुलेंस उपलब्ध कराई जाएगी। इसके लिए डेडिकेटेट व्हाट्सएप नंबर भी सार्वजनिक किया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी निरीक्षण कर व्यवस्था देखेंगे। इसकी नियमित निगरानी भी करेंगे।



राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों के कोविड सेंटर में संक्रमित मरीजों की भर्ती इंटीग्रेटेड कोविड कमांड सेंटर के माध्यम से होगी। इसके लिए 70 फीसद बेड रिजर्व रहेंगे। वहीं, अस्पताल प्रशासन 30 फीसद बेड पर आपात स्थिति के आधार पर संक्रमित मरीजों को सीधे भर्ती कर सकेगा। कमांड सेंटर से जिला प्रशासन की ओर से जारी एडमिशन पत्र को संबंधित अस्पताल को स्वीकार करना जरूरी होगा। ऐसा नहीं करने पर संबंधित अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। कमांड सेंटर पर चिकित्सा शिक्षा विभाग का भी एक अधिकारी तैनात किया जाएगा, जो मेडिकल कॉलेजों से समन्वय स्थापित करेगा।


नि:शुल्क इलाज का करना होगा अनुरोध


कोविड कमांड सेंटर पर फोन कर जो मरीज नि:शुल्क इलाज का अनुरोध करेंगे। उन्हें भर्ती कराने की प्रक्रिया कमांड सेंटर से ही होगी। कमांड सेंटर के डॉक्टर मरीजों की स्थिति के हिसाब से उन्हें अस्पताल आवंटित करेंगे। ऐसे मरीज कोविड कमांड सेंटर पर सीधे फोन भी कर सकेंगे। इसके लिए फोन नंबर को भी सार्वजनिक करना होगा।


जिला प्रशासन बना सकता हेल्प डेस्क


नि:शुल्क इलाज के अनुरोध पत्र के लिए जिला प्रशासन कई जगहों पर हेल्प डेस्क भी बना सकता है। जहां जरूरतमंद मरीजों के परिवारीजन संपर्क कर उन्हें अस्पतालों में भर्ती करा सकेंगे। उन्हें बेवजह इधर-उधर दौड़ना नहीं पड़ेगा।


निर्धारित दर पर ही करना होगा इलाज


शासन ने स्पष्ट किया है कि निजी अस्पतालों के कोविड सेंटर पर सरकार की ओर से निर्धारित दरों पर ही इलाज किया जाएगा। अगर इसके अतिरिक्त शुल्क वसूली की शिकायत मिलने पर उत्तर प्रदेश महामारी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। जिला प्रशासन को निजी अस्पतालों की सूची, बेड की संख्या और दरों की सूची पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित करानी होगी।


आमजन को देनी होगी सूचना


निजी और सरकारी अस्पतालों को सुबह आठ तथा शाम चार बजे खाली आइसोलेशन बेड, आॅक्सीजन बेड, आइसीयू व एचडीयू बेड की संख्या की सूचना अस्पताल के बाहर प्रदर्शित करनी होगी। ताकि जनसमान्य को जानकारी हो सके। इसकी सूचना इंट्रीग्रेटेड कोविड कमांड सेंटर को भी देनी होगी।

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