श्याम बिहार मिश्र की फाइल फोटो।
भाजपा की राजनीति से लेकर व्यापारियों की अगुवाई करने वाले चाचा श्याम बिहारी मिश्रा और भतीजा हनुमान मिश्रा दोनों ही महारथी थे। अपनी बेहनत एवं आमजन में लोकप्रियता की वजह से सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए। श्याम बिहारी मिश्रा जहां चार बार सांसद चुने गए, वहीं भाजपा के तमाम संगठनों में प्रदेश स्तर के पदों को सुशोधित करने वाले हनुमान मिश्रा दो बार विधानसभा चुनाव भी लड़े। एक बार वह गोविंद नगर से प्रत्याशी रहे तो दूसरी बार सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र से। हालांकि उन्हें दोनों ही बार हार का मुंह देखना पड़ा।
श्याम बिहारी मिश्रा ने व्यापारियों की राजनीति के माध्यम से अपनी जमीन मजबूत बनाई और उसके दम पर व्यापारिक संगठन खड़ा कर दिया। वह अपने संगठन के राष्ट्रीय और प्रदेश अध्यक्ष रहे। वहीं, हनुमान मिश्रा विद्यार्थी परिषद के जरिए संगठन में आगे तक पहुंचे थे। वर्ष 1991-92 में कानपुर में विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अधिवेशन में उन्होंने जिम्मेदारी संभाली। यहीं से उनके राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के साथ संबंध बने।
हनुमान मिश्रा की फाइल फोटो।
हनुमान मिश्रा का लखनऊ के संजय गांधी पीजीआई में मंगलवार सुबह निधन हुआ। कानपुर में शाम को भैरवघाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। जिस समय उनका अंतिम संस्कार किया जा रहा था, ऐन वक्त पर चाचा श्याम बिहारी मिश्रा के निधन की सूचना पहुंची।
श्याम बिहारी मिश्रा का व्यापारिक राजनीति में कद इतना बड़ा था कि विरोधी संगठन के नेता थे भी उन्हें चाचा कहते थे। वह कलक्टरगंज और नौबस्ता गल्ला मंडी से जुड़े रहे। उनके निधन पर कलक्टरगंज और गल्ला मंडी बुधवार को बंद रहीं। जगह-जगह व्यापारियों ने उन्हें श्रद्धांजलि भी दी।
अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के प्रांतीय महामंत्री ज्ञानेश मिश्रा ने पूरे शहर के बाजार बुधवार को बंद रखने के साथ शाम को अपने घरों में श्याम बिहारी मिश्रा की स्मृति में दीप जलाने की अपील की। पी रोड व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष महेश मेघानी ने भी उनके निधन पर शोक जताया।
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