- 90 के दशक में संगीत की दुनिया में मशहूर थी नदीम-श्रवण की जोड़ी
- कोरोना का संक्रमण होने पर रहेजा अस्पताल के आइसीयू में थे भर्ती
बॉलीवुड को एक बड़ा झटका लगा है। हिंदी सिनेमा के मशहूर संगीतकार 66 वर्षीय श्रवण राठौड़ का गुरुवार देर रात निधन हो गया। उन्हें कोरोना वायरस का संक्रमण हो गया था, उसके बाद से रहेजा हॉस्पिटल के आइसीयू में भर्ती थे। 90 के दशक में बॉलीवुड के संगीत की दुनिया की मशहूर संगीतकार जोड़ी नदीम-श्रवण के श्रवण राठौर ने गुरुवार देर रात दुनिया को अलविदा कह गए। श्रवण मधुमेह से पीड़ित होने के साथ ही कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में आ गए थे। संक्रमण की वजह से उनके फेफड़े प्रभावित हो गए थे। डॉक्टरों का कहना है कि लाख प्रयास के बावजूद उन्हें बचा नहीं सके।
संगीतकार श्रवण का इलाज मुंबई के माहेजा स्थित रहेजा अस्पताल में इलाज चल रहा था। अस्पताल की डॉ. कीर्ति भूषण ने श्रवण की मौत की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि संगतीकार श्रवण का निधन गुरुवार रात 9 बजकर 30 मिनट पर हुआ है। उन्हें बेहतर इलाज मुहैया कराते हुए बचाने का पूरा प्रयास किया गया, लेकिन वह फेफड़े के संक्रमण से उबर नहीं सके।
डॉ. कीर्ति ने बताया कि कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से उन्हें कार्डियोमायोपैथी हो गई थी, जिसकी वजह से उन्हें पल्मोनरी एडिमा हो गया। उसके बाद धीरे-धीरे वह मल्टीपल ऑर्गन फेलियर में चले गए। उनके निधन की खबर से उनके फैंस एवं बॉलबुड को गहरा सदमा पहुंचा है।
संगीतकार श्रवण राठौड़ के दोस्त समीर अंजान ने उनके निधन पर भावुक होते हुए एक चैनल से कहा कि मेरा दोस्त चला गया। मेरे बोल को संगीत देने वाला और उन्हें लोगों के दिलों तक पहुंचाने वाला संगीतकार चला गया है। अभी इतनी जल्दी क्या थी भाई। ईश्वर उन्हें अपने चरणाें में स्थान दे। साथ ही आपके परिवार को इस दुख को सहने की शक्ति प्रदान करे।
बॉलीवुड में हिट की नदीम-श्रवण की जोड़ी
बॉलीवुड में संगीतकार नदीम और श्रवण की जोड़ी 90 के दशक में हिट थी। इन दोनों ने मिलकर एक से बढ़कर एक गाने बनाए। दोनों ने पहली बार बालीवुड में फिल्म जीना सिख लिया के लिए संगीत दिया था। हालांकि फिल्म आशिकी में दिए संगीत से उन्हें बड़ी सफलता मिली। श्रवण के निधन से बॉलीवुड को भारी नुकसान पहुंचा है। उनकी कमी भी कभी भरपाई नहीं हो सकती है।
निधन की खबर से सदम में उनके फैंस
श्रवण के निधन की खबर सुनते ही उनके फैंस सदम में आ गए। उन्हें बड़ा झटका लगा है। श्रवण राठौड़ एक जमाने में नदीम सैफी के साथ मिलकर एक से एक गाने बनाया करते थे। इस जोड़ी को ऑडियन्स भी उतना की पसंद करती थी। दोनों ने संगीत की दुनिया में कम समय में अहम मुकाम हासिल कर लिया था।
कामयाबी के अर्श पर चढ़ी जोड़ी अचानक हुई धाराशायी
एक समय ऐसा वक्त आया कि कामयाबी के अर्श पर चढ़ी नदीम-श्रवण की जोड़ी अचानक धाराशायी हो गई। उस समय यह हुआ कि जोड़ीदार नदीम सैफी पर टी सीरीज के संस्थापक की हत्या की साजिश का आरोप लग गया। बस आशिकी जैसी फिल्म में आकॉनिक म्यूजिक देने वाली यह मशहूर जोड़ी वहीं से टूट गई। वर्ष 2005 में दोस्ती फिल्म में संगीत देने के बाद दोनों के रास्ते जुदा हो गए।
भोजपुरी फिल्म से की संगीत की शुरूआत
पहली बार इस जोड़ी ने वर्ष 1979 में भोजपुरी फिल्म दंगल के लिए संगीत दिया था। हालांकि नदीम-श्रवण की जोड़ी को पहचान फिल्म आशिकी से मिली। इस फिल्म के गाने सुपरहिट रहे। इनकी जोड़ी उस समय टी सीरीज के गुलशन कुमार की पसंदीदा जोड़ी थी।
देश छोड़कर लंदन में बस गए नदीम
गुलशन कुमार की हत्या के आरोप में नदीम सैफी को देश छोड़कर लंदन में बसना पड़ा। नदीम वर्ष 2000 से लंदन में रह रहे हैं। वर्ष 1997 में नदीम पर गुलशन कुमार की हत्या की साजिश का आरोप लगा था। बाद में वर्ष 2002 में सबूत नहीं मिलने के कारण अदालत ने इस मामले को रद कर दिया था। हालांकि इस दौरान नदीम पर गिरफ्तारी का वारंट वापस नहीं लिया गया।
नदीम बोले थे- मुझे न्याय मिलना चाहिए
एक इंटरव्यू के दौरान नदीम ने कहा था कि इस मामले में मुझे न्याय मिलना चाहिए। बगैर न्याय हासिल किए मैं मरना नहीं चाहता हूं। मेरे माता-पिता को पता चले कि मैं निर्दोष था। मैं इंसाफ का इंतजार कर रहा हूं। भारत सरकार मुझे न्याय दे। मेरे बच्चों को यह पता चले कि उनके पापा ने कोई गलत काम नहीं किया था।
पूजा कर लौट रहे गुलशन कुमार की हुई थी हत्या
12 अगस्त 1997 को मुंबई के अंधेरी में गुलशन कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्या के समय गुलशन कुमार जीतेश्वर महादेव मंदिर में पूजा करने के बाद लौट रहे थे। तभी शूटर राजा ने गुलशन कुमार के शरीर में 16 गोलियां दागी थीं। इस मामले में अदालन में 19 संदिग्ध में से सिफ एक को ही दोषी पाया था।
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