विक्रम संवत : 2077
शक संवत : 1942
अयन : उत्तरायण
ऋतु : वसंत
मास : चैत्र (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार - फाल्गुन)
पक्ष : कृष्ण
तिथि : एकादशी 08 अप्रैल रात्रि 02:29 बजे तक तत्पश्चात द्वादशी
नक्षत्र : धनिष्ठा 08 अप्रैल रात्रि 03:33 बजे तक तत्पश्चात शतभिषा
योग : साध्य दोपहर 02:30 तक तत्पश्चात शुभ
राहुकाल : दोपहर 12:41 बजे से दोपहर 02:14 बजे तक
सूर्योदय : 06:27 बजे
सूर्यास्त : 18:53 बजे
दिशाशूल : उत्तर दिशा में
पंचक
7 अप्रैल दोपहर 3 बजे से 12 अप्रैल प्रात: 11.30 बजे तक
07 अप्रैल : पापमोचिनी एकादशी
09 अप्रैल : प्रदोष व्रत
23 अप्रैल : कामदा एकादशी
24 अप्रैल : शनि प्रदोष व्रत
व्रत-उपवास और शांति उपाय
पापमोचनी एकादशी
07 अप्रैल 2021 बुधवार को रात्रि 02:10 से 08 अप्रैल, गुरुवार को रात्रि 02:29 बजे तक (यानी 07 अप्रैल, बुधवार को पूरा दिन) एकादशी है।
विशेष
जो श्रेष्ठ मनुष्य ‘पापमोचनी एकादशी’ का व्रत करते हैं उनके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इसको पढ़ने और सुनने से सहस्र गौदान का फल मिलता है। ब्रह्महत्या, सुवर्ण की चोरी, सुरापान और गुरुपत्नीगमन करनेवाले महापातकी भी इस व्रत को करने से पापमुक्त हो जाते हैं। यह व्रत बहुत पुण्यमय है।
महात्म्य
हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है।
राम रामेति रामेति। रमे रामे मनोरमे।।
सहस्त्र नाम त तुल्यं। राम नाम वरानने।।
आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है।
- एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।
- एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है।
- एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।
- जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।
कलह-क्लेश, रोग व दुर्बलता मिटाने का उपाय
जिसको घर में कलह-क्लेश मिटाना हो, रोग या शारीरिक दुर्बलता मिटाना हो वह इस चौपाई की पुनरावृत्ति किया करें:-
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौ पवन-कुमार।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
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