Speaker of the Uttar Prades Assembly : विधानसभा अध्यक्ष हृदय नाराण दीक्षित बोले-नदियां औद्योगिक कचरा, झीलों का वध एवं ग्रामीण जलाशय में अवैध कब्जे

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प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, उन्नाव


उत्तर प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि जल जीवन है। जल से अन्न, वनस्पति और औषधियां हैं। देश में हजारों वर्षों से सदानीरा जल संस्कृति रही है। जल संरक्षण सामाजिक कर्तव्य रहा है, लेकिन 50-60 वर्षों से जल प्रदूषण की सुनामी है। नदियां औद्योगिक कचरा की पेटी बन गईं हैं। झीलों का वध हो रहा और ग्रामीण जलाशय में अवैध कब्जे हो रहे हैं। वह लखनऊ के विधान भवन के संवैधानिक एवं संसदीय अध्ययन संस्थान की क्षेत्रीय शाखा की ओर से उन्नाव के नवाबगंज स्थित शहीद चन्द्रशेखर आजाद पक्षी विहार के राही पर्यटक आवास गृह में सोमवार को आयोजित जल का महत्व-संकट एवं समाधान विषयक गोष्ठ में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।


नदियां प्रदूषण की शिकार



उन्होंने कहा कि नदियां औद्योगिक कचरा की पेटी बन रही हैं। झीलों का वध हो रहा है। ग्रामीण जलाशय अवैध कब्जे के शिकार हैं। तेलंगाना हैदराबाद के बीच से बहने वाली मुसी नदी सर्वाधिक प्रदूषित है। यमुना का प्रदूषण भयावह है। पांच राज्यों में प्रवाहमान गंगा का प्रदूषण राष्ट्रीय बेचैनी है। इसका अविरल निर्मल प्रवाह केन्द्र एवं प्रदेश सरकार की कार्यसूची में है। चेन्नई महानगर से होकर बहने वाली कुअम, मुम्बई में प्रवाहित मीठी, पुणे की मुलामुथा, बेगलुरू की वृषभावती, गुजरात की साबरमती, लखनऊ की गोमती और पश्चिम बंगाल व झारखण्ड की दामोदर आदि नदियां प्रदूषण की शिकार हैं।


अब गंगा-यमुना को व्यक्ति माना



नैनीताल उच्च न्यायालय ने गंगा-यमुना को व्यक्ति माना है। पूर्वजों ने हजारों बरस पहले ही नदियों को प्राणवान जाना था। न्यूजीलैण्ड ने भी वांगानुई नदी को संवैधानिक दर्जा दिया है। बेशक यह शुभ संदेश है, लेकिन जलस्रोतों की हत्या का मूलभूत प्रश्न जस का तस है। नदियां जबरदस्त कूड़ा-करकट और औद्योगिक कचरे से पटी हैं। कश्मीर की डल झील सुंदर मानी जाती थी। इसके रखरखाव पर करोड़ों का खर्च हो रहा है, लेकिन इसका आकार लगभग आधा रह गया है। बेंगलुरू को झीलों का नगर कहा जाता था। कुछ समय पहले यहां लगभग तीन सौ सुंदर जलाशय थे। उत्तर प्रदेश के नैमिष नगर के जलाशय की पौराणिक मान्यता है, प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं, लेकिन जल निर्मल नहीं है।


गंगा जैसी नदी में बहता है सीवेज



उन्होंने कहा कि गंगा तट पर 100 से ज्यादा आधुनिक नगर और हजारों गांव बसे हैं। इन नगरों एवं महानगरों का सीवेज गंगा जैसी नदियों में बहता है। उत्तर प्रदेश के कानपुर एवं उन्नाव क्षेत्रों में चमड़े के उद्योग हैं। इनका पानी भी गंगा में जाता है। पशु वधशालाओं के रक्त नाले भी गंगा में गिरते हैं। जलशोधन संयंत्रों को लगाने के हजारों निर्देश होते हैं, लेकिन निर्देश न मानने वालों के विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्नाव औद्योगिक क्षेत्र से निकली लोन नदी के तट पर बसे लगभग 500 गावों में हैण्डपम्प का पानी जानलेवा रसायनों से भरा है।


जैव विविधता के अस्तित्व पर संकट


उन्होंने कहा कि जल प्रदूषण की वजह से मनुष्य के अलावा जलीय जीव-जंतु भी मर रहे हैं। जैव विविधता के अस्तित्व पर संकट है। औद्योगिक विकास का उद्देश्य राष्ट्रीय समृद्धि का संवर्द्धन है, न की विनाश। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जल प्रदूषणकारी उद्योगों के स्थानान्तरण पर गंभीर हैं।


जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं


आयोजन अध्यक्ष मानवेन्द्र सिंह सभापति विधान परिषद ने मुख्य अतिथि सहित अन्य अतिथियों का का स्वागत करते हुए कहा कि गोष्ठी में व्यक्त विचार से आम जनमानस को विकास के नये क्षितिज को स्पर्श करने की सीख मिलेगी। जल का महत्व, संकट एवं समाधान जरुरी है। जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। जलपर मनुष्य ही नहीं जीव-जन्तु अपितु पेड़-पौधे भी निर्भर हैं। जल का कोई विकल्प नहीं है। जल कृषि में मदद के साथ हमारे वनों की रक्षा भी करता है। जल संरक्षण से ऊर्जा की बचत और पर्यावरण की रक्षा होती है। संचालन दीपक मिश्र ने किया। इस अवसर पर जलशक्ति मंत्री डाॅ. महेन्द्र सिंह, विधायक बृजेश रावत, विधान परिषद सदस्य डॉ. राजेश सिंह व विधान सभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे मौजूद रहे।


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