Prarabdh Dharm-Aadhyatm : आज का पंचांग एवं व्रत-त्योहार

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आज का पंचांग 

दिनांक 17 मार्च 2021

दिन - बुधवार

विक्रम संवत - 2077

शक संवत - 1942

अयन - उत्तरायण

ऋतु - वसंत

मास - फाल्गुन

पक्ष - शुक्ल 

तिथि - चतुर्थी रात्रि 11:28 तक तत्पश्चात पंचमी

नक्षत्र - अश्विनी सुबह 07:31 तक तत्पश्चात भरणी

योग - इन्द्र सुबह 09:00 तक तत्पश्चात वैधृति

राहुकाल - दोपहर 12:47 से दोपहर 02:17 तक

सूर्योदय - 06:46 

सूर्यास्त - 18:47

सूर्योदय और सूर्यास्त के समय मे जिलेवार अंतर संभव है।

दिशाशूल - उत्तर दिशा में

व्रत पर्व विवरण - विनायक चतुर्थी

विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

बुढ़ापे में झुर्रियों  से बचने हेतु  

-बड़ी उम्रवालों को सूखा नारियल चबाके खाना चाहिये तो झुर्रियां नहीं पड़ेगी | नारंगी खाना चाहिये तो झुर्रियां नहीं पड़ेगी |

मास अनुसार देवपूजन 

-माघ मास में सूर्य पूजन का विशेष विधान है | भविष्य पुराण आदि में वर्णन आता है | आरोग्यप्राप्ति हेतु बोले, माघ मास आया तो सूर्य उपासना करों |

-फाल्गुन मास आया तो होली का पूजन किया जाता है.. बच्चों की सुरक्षा हेतु |

-चैत्र मास आता है चैत्र मास में ब्रम्हा, दिक्पाल आदि का पूजन कियाजाता है ताकि वर्षभर हमारे घर में सुख-शांति रहें |

-वैशाख मास भगवान माधव का पूजन किया जाता है ताकि, मरने के बाद वैकुंठलोक की प्राप्ति हो | ॐ नमो भगवते वासुदेवाय... |

-जेष्ठ मास में यमराज की पूजा की जाती है जो की वटसावित्री का व्रत सुहागन देवियाँ करती हैं | यमराज की पूजा की जाती है ताकि, सौभाग्य की प्राप्ति हो, दुर्भाग्य दूर हो |

-श्रावण मास में दीर्घायु की प्राप्ति हो, श्रावण मास में शिवजी की पूजाकी जाती है | अकाल मृत्यु हरणं सर्व व्याधि विनाशनम् |

-भाद्रपद मास में गणपति की पूजा करते है की, निर्विध्नता की प्राप्ति हेतु |

-आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में फिर पितृ पूजन करते है की, वंश वृद्धि हेतु | और अश्विन मास के शुक्ल पक्ष में माँ दुर्गा की पूजा होती है की, शत्रुओं पर विजय प्राप्ति हेतु नवरात्रियां  |

-कार्तिक मास में लक्ष्मी पूजा की जाती है, सम्पति बढ़ाने हेतु |

-मार्गशीर्ष मास में विश्वदेवताओं का पूजन किया जाता है कि जो गुजर गये उनकी आत्मा की शांति हेतु ताकि उनको शांति मिले | जीवनकाल में तो बिचारेशांति न लें पाये और चीजों में उनकी शांति दिखती रही पर मिली नहीं | तो मार्गशीर्ष मास में विश्व देवताओं का पूजन करते हैं भटकते जीवों के सद्गति हेतु |

-आषाढ़ मास में जो अपने गुरुदेव का पूजन करते हैं अपने कल्याण हेतु और गुरुदेव का पूजन करते हैं तो फिर बाकी सब देवी-देवताओं की पूजा से जो फल मिलता है वह फल सद्गुरु की पूजा से भी प्राप्त हो सकता है, शिष्य की भावना पक्की हो की – सर्वदेवोमय गुरु | सभी देवों का वास मेरे गुरुदेव में हैं | तोअन्य देवताओं की पूजा से अलग-अलग मास में अलग-अलग देव की पूजा से अलग-अलग फल मिलता है पर उसमें द्वैत बना रहता है और फल जो मिलता है वो छुपने वाला होता है | पर गुरुदेव की पूजा-उपासना से ये फल भी मिल जाते है और धीरे-धीरे द्वैत मिटता जाता है | अद्वैत में स्थिति होती जाती है |

चंदन तिलक की महिमा 

चंदनस्य  महतपुण्यं पवित्रं पाप नाशनम |

आपदं हरति नित्यं लक्ष्मी तिष्ठति सर्वदा ||

चंदन का तीलक महापुण्यदायी है |आपदा हर देता है |

पंचक

7 अप्रैल दोपहर 3 बजे से 12 अप्रैल प्रात: 11.30 बजे तक

आमलकी एकादशी-गुरुवार, 25 मार्च2021

26 मार्च: प्रदोष व्रत

फाल्गुन पूर्णिमा-28 मार्च, रविवार

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