दिनांक 02 मार्च 2021
दिन - मंगलवार
विक्रम संवत - 2077
शक संवत - 1942
अयन - उत्तरायण
ऋतु - वसंत
मास - फाल्गुन (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार - माघ)
पक्ष - कृष्ण
तिथि - चतुर्थी 03 मार्च प्रातः 03:00 तक तत्पश्चात पंचमी
नक्षत्र - हस्त 03 मार्च प्रातः 03:29 तक तत्पश्चात स्वाती
योग - गण्ड सुबह 09:26 तक तत्पश्चात वृद्धि
राहुकाल - शाम 03:47 से शाम 05:15 तक
सूर्योदय - 06:59
सूर्यास्त - 18:42
(सूर्योदय और सूर्यास्त के समय मे जिलेवार अंतर संभव है)
दिशाशूल - उत्तर दिशा में
व्रत पर्व विवरण - अंगारकी-मंगलवारी चतुर्थी (सूर्योदय से 03 मार्च प्रातः 03:00 तक), संकष्ट चतुर्थी (चन्द्रोदय रात्रि 09:58)
विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
मंगलवारी चतुर्थी
मंत्र जप व शुभ संकल्प की सिद्धि के लिए विशेष योग
मंगलवारी चतुर्थी को किये गए जप-संकल्प, मौन व यज्ञ का फल अक्षय होता है ।
मंगलवार चतुर्थी को सब काम छोड़ कर जप-ध्यान करना ... जप, ध्यान, तप सूर्य-ग्रहण जितना फलदायी है...
मंगलवारी चतुर्थी
अंगार चतुर्थी को सब काम छोड़ कर जप-ध्यान करना …जप, ध्यान, तप सूर्य-ग्रहण जितना फलदायी है…
*बिना नमक का भोजन करें
*मंगल देव का मानसिक आह्वान करो
*चन्द्रमा में गणपति की भावना करके अर्घ्य दें
कितना भी कर्ज़दार हो ..काम धंधे से बेरोजगार हो ..रोज़ी रोटी तो मिलेगी और कर्जे से छुटकारा मिलेगा |
कोई कष्ट हो तो
हमारे जीवन में बहुत समस्याएँ आती रहती हैं, मिटती नहीं हैं ।, कभी कोई कष्ट, कभी कोई समस्या | ऐसे लोग शिवपुराण में बताया हुआ एक प्रयोग कर सकते हैं कि, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (मतलब पुर्णिमा के बाद की चतुर्थी ) आती है | उस दिन सुबह छः मंत्र बोलते हुये गणपतिजी को प्रणाम करें कि हमारे घर में ये बार-बार कष्ट और समस्याएं आ रही हैं वो नष्ट हों |
छः मंत्र इस प्रकार हैं –
ॐ सुमुखाय नम: : सुंदर मुख वाले; हमारे मुख पर भी सच्ची भक्ति प्रदान सुंदरता रहे ।
ॐ दुर्मुखाय नम: : मतलब भक्त को जब कोई आसुरी प्रवृत्ति वाला सताता है तो… भैरव देख दुष्ट घबराये ।
ॐ मोदाय नम: : मुदित रहने वाले, प्रसन्न रहने वाले । उनका सुमिरन करने वाले भी प्रसन्न हो जायें ।
ॐ प्रमोदाय नम: : प्रमोदाय; दूसरों को भी आनंदित करते हैं । भक्त भी प्रमोदी होता है और अभक्त प्रमादी होता है, आलसी । आलसी आदमी को लक्ष्मी छोड़ कर चली जाती है । और जो प्रमादी न हो, लक्ष्मी स्थायी होती है ।
ॐ अविघ्नाय नम:
ॐ विघ्नकरत्र्येय नम:
पंचक
11 मार्च प्रात: 9.19 बजे से 16 मार्च प्रात: 4.45 बजे तक
7 अप्रैल दोपहर 3 बजे से 12 अप्रैल प्रात: 11.30 बजे तक
जया एकादशी मंगलवार, 23 फरवरी 2021
विजया एकादशी मंगलवार, 09 मार्च 2021
आमलकी एकादशी गुरुवार, 25 मार्च 2021
24 फरवरी: प्रदोष व्रत
10 मार्च: प्रदोष व्रत
26 मार्च: प्रदोष व्रत
माघ पूर्णिमा 27 फरवरी, शनिवार
फाल्गुन पूर्णिमा 28 मार्च, रविवार
फाल्गुनी अमावस्या- शनिवार, 13 मार्च 2021
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