दिनांक 14 मार्च 2021
दिन - रविवार
विक्रम संवत - 2077
शक संवत - 1942
अयन - उत्तरायण
ऋतु - वसंत
मास - फाल्गुन
पक्ष - शुक्ल
तिथि - प्रतिपदा शाम 05:06 तक तत्पश्चात द्वितीया
नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद 15 मार्च रात्रि 02:20 तक तत्पश्चात रेवती
योग - शुभ सुबह 07:40 तक तत्पश्चात शुक्ल
राहुकाल - शाम 05:18 से शाम 06:48 तक
सूर्योदय - 06:49
सूर्यास्त - 18:46
दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण - षडशीती संक्रांति (पुण्यकाल दोपहर 11:39 से शाम 06:04 तक), चन्द्र-दर्शशन
विशेष - प्रतिपदा को कूष्माण्ड(कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
रविवार के दिन ब्रह्मचर्य पालन करे तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)
रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)
स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।
प्रायश्चित जप
पूर्वजन्म या इस जन्म का जो भी कुछ पाप-ताप है, उसे निवृत्त करने के लिए अथवा संचित नित्य दोष के प्रभाव को दूर करने के लिए प्रायश्चितरूप जो जप किया जाता है उसे प्रायश्चित जप कहते हैं |
कोई पाप हो गया, कुछ गल्तियाँ हो गयीं, इससे कुल-खानदान में कुछ समस्याएँ हैं अथवा अपने से गल्ती हो गयी और आत्म-अशांति है अथवा भविष्य में उस पाप का दंड न मिले इसलिए प्रायश्चित – संबंधी जप किया जाता है |
ॐ ऋतं च सत्यं चाभिद्धात्तपसोऽध्यजायत
ततो रात्र्यजायत तत: समुद्रो अर्णव:
समुद्रादर्णवादधि संवत्सरो अजायत
अहोरात्राणि विदधद्विश्वस्य मिषतो वशी
सूर्याचन्द्रमसौ धाता यथापूर्वमकल्पयत्
दिवं च पृथिवीं चान्तरिक्षमथो स्व: || (ऋग्वेद :मंडल १०, सूक्त १९०, मंत्र १ - ३ )
इन वेदमंत्रों को पढ़कर त्रिकाल संध्या करें तो किया हुआ पाप माफ हो जाता है, उसके बदले में दूसरी नीच योनियाँ नहीं मिलतीं | इस प्रकार की विधि है |
लक्ष्मी कहा विराजती है
जहाँ भगवान व उनके भक्तों का यश गाया जाता है वहीँ भगवान की प्राणप्रिया भगवती लक्ष्मी सदा विराजती है | (श्रीमद् देवी भागवत )
मन चंचल हो तो
जब भी संध्या करने बैठे सुबह या शाम को | तो २४ बार मन में राम नाम का उच्चारण करके फिर बैठे | खाली २४ बार, उँगलियों पर नहीं गिनना १,२,३ मन में ही जपना मन में ही गिनती करना | मन चंचल हो तो इससे मन शांत हो जाता है कई लोग बोलते हैं न हम जप करने बैठते हैं मन नहीं लगता | तो २४ बार करके बैठे | अपनी मन की आँखों के आगे अपने इष्ट अपने को रखें | कि मेरा मन जप में, ध्यान में, उपासना में लग जाये | तो बड़ा भारी लाभ होता है | तो ब्रह्म राम ते नाम बड़, वरदायक वरदानी | ये नाम जो है वरदान देने वालो को भी वर देने वाला है | ऐसी इस नाम में शक्ति है
पंचक
11 मार्च प्रात: 9.19 बजे से 16 मार्च प्रात: 4.45 बजे तक
7 अप्रैल दोपहर 3 बजे से 12 अप्रैल प्रात: 11.30 बजे तक
आमलकी एकादशी गुरुवार, 25 मार्च 2021
26 मार्च: प्रदोष व्रत फाल्गुन पूर्णिमा 28 मार्च, रविवार
फाल्गुनी अमावस्या- शनिवार, 13 मार्च 2021.
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