एकल विद्यालय के माध्यम से देश के ग्रामीण एवं जनजातिय क्षेत्र (ट्राइबल) में शिक्षा का ज्ञान देकर उन्हें आत्मनिर्भर एवं सशक्त बना रहे हैं। एकल विद्यालय एक अभियान है जिसमें देश में एक लाख से अधिक शिक्षक एवं आठ हजार से अधिक कार्यकर्ता, 10 क्षेत्रीय संगठन, 28 लाख विद्यार्थी व आठ सहायक एजेंसियां जुड़ी हुईं हैं। यह जानकारी एकल भारत लोक शिक्षा परिषद की एकल विद्यालय को लेकर हुई प्रेसवार्ता में वरिष्ठ हड्डी एवं जोड़ प्रत्यारोपण विशेषड डॉ. एएस प्रसाद ने दी।
उन्होंने स्वरूप नगर के हैरिटेज होम में पत्रकारों से बातचीत के दौरान बताया कि इस अभियान में एक लाख से अधिक स्कूल जुड़े हैं, जो 28 लाख विद्यार्थयों को शिक्षित बनाने में लगे हैं। सीखने के न्यूनतम स्तरों के राष्ट्रीय आधारों को प्राप्त करने हेतु एकल विद्यालय ग्रामीणों के आत्म विकास के लिए शिक्षा के 5 आयाम-प्राथमिक शिक्षा, स्वास्थ्य शिक्षा, ग्राम विकास शिक्षा, जागरण शिक्षा तथा जीवन मूल्य एवं संस्कार शिक्षा के माध्यम से सशक्त बनाना चाह रहहा है। एकल अभियान के अंतर्गत गौ संवर्धन व पर्यावरण संरक्षण का कार्य भी हो रहा है। उन्होंने कहा कि एकल भारत लोक शिक्षा परिषद कानपुर चैप्टर की महिला विंग भी सराहनीय कार्य कर रही है।
वहीं, एकल भारत लोक शिक्षा परिषद के कानपुर चैप्टर के सचिव ध्रुव रूइया ने बताया कि कानपुर महिला विंग ने उत्कृष्ट कार्य किया है। महिला विंग की अध्यक्ष अनुराधा वार्ष्णेय एवं सचिव देविका मुखर्जी के नेतृत्व में बच्चों की शिक्षा से लेकर उन्हें कुपोषण से बचाने के लिए पोषण वाटिका जैसे अच्छे कार्य हो रहे हैं। 480 एकल विद्यालयों में रनिंग पुस्तकालय खोला गया है जो बेहतर ढंग से चलाया जा रहा है।
एकल भारत लोक शिक्षा परिषद महिला विंग की अध्यक्ष अनुराधा वार्ष्णेय व सचिव देविका मुखर्जी ने बताया कि एकल परिवार गौसंवर्धन व पर्यावरण संरक्षण पर कार्य कर रहा है। गायों के गोबर से बने कंडे से होलिका दहन करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसमें प्रयास है कि अधिक से अधिक जगह कंडे की होली जलाई जाए।
कार्यक्रम की संयोजक प्रेमा झाबर व शालिनी ताश्नीवाल ने कहा कि गाय हिंदू धर्म में मां समान पूजनीय है। वेद-पुराण, उपनिषदों तथा रामायण और दूसरे ग्रंथों में इसकी महिमा का गान है। उसी गाय के गोबर को सभी प्रकार के धार्मिक अवसरों और कर्मकांडों के संपादन के दौरान पवित्रता से भूमि लेपन में प्रयोग करने का विधान है। वातावरण को पवित्र करने, प्रदूषण दूर करने में भी गोबर को महत्वपूर्ण माना गया है। पहली सांस से आखिरी सांस तक जीवन के हर क्षण के लिए उपयोगी है गाय का गोबर। गाय के गोबर में वे सभी तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर के लिए उपयोगी है। गोबर में, कंडे में, धुएं मे, आग में, राख में, अलग- अलग औषधीय गुण है। ’एकल परिवार’ ने पर्यावरण को स्वच्छ बनाने व गौ माता के संरक्षण को ध्यान में रखते हुए ये कदम उठाया है। यह प्रयास है कि हर सोसाइटी और चैराहों पर भी लकड़ी की जगह गोबर के कंडों और गोबर की लकड़ी से होली जलाई जाए। 480 गाांवों मे महिलाओ को स्वालंबी बनाने के लिए कंडे बनवाए जाएं। ग्राम आचार्य और संच प्रमुखों की निगरानी मे सभी गांवों में गोबर के कंडे से होलिका दहन कर पर्यावरण की सुरक्षा करेंगे।
एकल भारत लोक शिक्षा परिषद की युवा विंग के अध्यक्ष डाॅ प्रवीन कटियार ने नगरवासियों से अपील की गौसंवर्धन व पर्यावरण संरक्षण के लिए इस बार कंडे की होली जलायें तथा पर्यावरण को शुद्ध रखने में अपना सहयोग दें।
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