प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, वाराणसी
भूतभावन भगवान शिव की नगरी काशी में महाशिवरात्रि पर औघड़दानी पर आधारित झांकियों ने सभी का मन मोह लिया। वहीं, सुबह शिवालयों में दर्शन पूजन के बाद दोपहर में शिव बरात में स्वांग धरे शिव गणों ने काशी को बम-बम कर दिया। भूत प्रेत और शिव के गण का रूप धरे लोगों ने बाराती का रूप धरा तो दोपहर में शिवबरात की झांकियों को देखकर सभी भक्ति रस में गोते लगाने लगे। काशी की गली और घाट से लेकर बाबा दरबार तक आस्था का सैलाब उमड़ता-घुमड़ता रहा। वहीं तिल भाण्डेश्वर महादेव मंदिर से निकलने वाले शिवबरात की ताशा पार्टी की धुन ने श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया।
विभिन्न शिव समितियों की ओर से सुबह से ही शिव बरात पर विभिन्न थीम पर आधारित झांकियों को तैयार करने का क्रम शुरू हुआ और दोपहर में शिवभक्तों के साथ भगवान शिव के गणों का रूप धरकर उनके भक्तों ने धूनी रमाई तो काशी हर हर महादेव के उद्षोष से गूंज उठी। बाबा के गीतों संग नाचते गाते शिवभक्तों की आस्था का कोई ओर छोर ही न रहा। शिव की बरात में किसी ने भस्म लगाया तो किसी ने स्वांग धर कर उनके अनन्य भक्त होने की सुबूत पेशकर औघड़दानी को शिवमय कर दिया। विभिन्न मठों और मंदिरों से निकलने वाली शिव बरातों में इस बार कोरोना संक्रमण के खतरों के बीच काफी सर्तकता भी बरती जा रही है।
औघड़दानी और भगवान शिव की नगरी काशी में महाशिवरात्रि के मौके पर भगवान शिव और पार्वती के विवाह की परंपरा का निर्वहन करने के साथ ही सुबह शिवालयों में जहां जलाभिषेक की परंपरा का निर्वहन होता है वहीं दोपहर में शिव बरात और झांकियों के एक एक कर निकलने की सदियों की परंपरा शुरू होते ही काशी का हर क्षेत्र शिव की आस्था में डूब जाता है। झांकियों के साथ शिवगणों की अनोखी साज सज्जा इन आयोजनों की विशेषता होती है। भगवान शिव के विवाह के बाद ही काशी पूरी तरह होलियाने मूड में आती है।
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