- सरस्वती महिला महाविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में चिकित्सकों ने गुड टच और बैड टच के बारे में बताया
बच्चों को कौन किस मनोभाव से छू रहा है, उन्हें इसका अहसास जरूर कराएं। कई बार अपने से अधिक उम्र के व्यक्ति का बच्चे को छूने का अंदाज पसंद नहीं आता है। कई बार बच्चे रिएक्ट भी करते हैं। खासकर बच्चियों के मामले में आप और भी संवेदनशील रहें। अगर बच्चियां कोई शिकायत करें तो उन्हें कतई इग्नोर न करें, बल्कि उनकी पूरी बात सुनें। उन्हें गुड टच और बैड टच के बारे में जरूर बताएं। यह बातें विजय नगर स्थित सरस्वती महिला महाविद्यालय में आरोग्यधाम ग्वालटोली के सौजन्य से गुड टच-बैड टच, अनियमित मासिक धर्म एवं व्यवस्थित दिनचर्या पर अायोजित जागरूकता कार्यक्रम में चिकित्सकोें ने छात्राओं और शिक्षिकाओं संग साझा कीं।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि एवं शहर की वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. कंचन माला गुप्ता ने बताया कि महिलाओं को अनियमित मासिक धर्म या स्राव हो तो उसे हल्के में नहीं लें। किसी भी तरह की गांठ को हल्के में नहीं लेना चाहिए। उसकी तत्काल जांच के लिए अल्ट्रासाउंड की जांच कराएं और हार्मोन टेस्ट कराएं। स्तनों में किसी भी तरीके की गांठ अगर लंबे समय तक बनी रहती है और वह अपनी जगह पर दृढ़ है तो स्तन कैंसर की संभावना बन जाती है। मैमोग्राफी टेस्ट द्वारा इसकी जांच अवश्य कराएं।
विशिष्ट अतिथि डॉ. आरती मोहन ने बताया कि महिलाओं में अनियमित मासिक स्राव सबसे बड़ी समस्या हैं। इसमें मैनोरेजिया के कारण महिलाओं का रक्त शरीर से बाहर चला जाता है। इस वजह से देश की 70 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया की शिकार हो जाती हैं। इससे बचने के लिए महिलाओं को पौष्टिक भोजन का सेवन करना चाहिए।
शीलिंग हाउस एवं जयपुरिया स्कूल की कोऑर्डिनेटर डॉ. प्रिया रहेजा ने बताया कि बच्चों को बचपन से उम्र के अनुसार गुड टच और बैड टच की जानकारी समय-समय पर देते रहनी चाहिए। साथ ही उन्हें अनजान व्यक्तियों से एक निश्चित शारीरिक दूरी का पालन करना भी सिखाना चाहिए।
वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. हेमंत मोहन ने बताया कि वर्तमान परिदृश्य में महिलाओं में धूप एवं विटामिन डी की कमी से महिलाओं में ल्यूकोरिया की शिकायत होती है। देश की 70 प्रतिशत महिलाओं में कैल्शियम की कमी होती, जिससे उन्हें कमर एवं जोड़ों के दर्द की शिकायत होती है। अतः महिलाओं को नियमित दिनचर्या के साथ-साथ योग एवं व्यायाम के साथ दूध का सेवन अवश्य करना चाहिए। ऐसा करेके उनके शरीर में कैल्शियम की कमी से होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है।
डॉ. संतोष तिवारी ने बताया कि पीसीओडी (पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज) में सही समय पर उचित होम्योपैथिक उपचार लेने पर आशातीत एवं चमत्कारिक परिणाम मिलते हैं। इसके लिए मरीजों को चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही दवाएं नियमित लेनी चाहिए। बताए गए परहेज का भी पालन करना जरूरी है। तभी दवाओं का लाभ मिलता है।
कार्यक्रम के अंत में सरस्वती महिला महाविद्यालय के प्रबंधक लायन बंदना निगम (आईपीडीजी) ने अतिथियों का स्वागत किया। विद्यालय की प्रिंसिपल डॉ. नीरु सिकोरिया ने अतिथियों का धन्यवाद किया। इस दौरान रुचिरा त्रिपाठी, भावना सिंह, मनोज सिंह, सरिता यादव, शिवम खन्ना, सौम्या समेत विद्यालय के अन्य शिक्षक व स्टाफ उपस्थित रहे।
if you have any doubt,pl let me know