- विपक्ष ने लगाया आरोप, संसद को गुमराह कर रहे हैं केंद्रीय कृषि मंत्री ताेमर
- किसान नेताओं के मुताबिक तीसरी बैठक में स्वीकारी थी कानून की खामियां
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर। फाइल फोटो सौ. सोशल मीडिया। |
तीनों नए कृषि कानूनों को लेकर किसान आंदोलनरत हैं। ऐसे में एक अहम सवाल उठता है कि लंबे समय से आंदोलन चल रहा है ऐसे में आखिर संसद को कौन गुमराह कर रहा है- केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर या फिर किसान और विपक्ष के नेतागण। कांग्रेस के सांसद दीपेन्द्र हुड्डा का केंद्रीय कृषि मंत्री पर सीधा आरोप है। उनका कहना है कि केंद्रीय कृषि मंत्री तीनों कानूनों को लेकर संसद और देश दोनों को गुमराह कर रहे हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री ने हुड्डा को कृषि कानूनों को ठीक से पढ़ने के बाद ही संसद में चर्चा में भाग लेने की हिदायत तक दे डाली है। कृषि मंत्री ने सदन में सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि उन्होंने किसानों और विपक्ष के नेताओं से भी पूछा कानून में काला क्या है तो कोई नहीं बता पाया। लेकिन अब किसान नेताओं ने तोमर द्वारा सदन में दिए बयान की हवा निकालनी शुरू कर दी है।
तीसरी बैठक में कृषि मंत्री ने 13 खामियां स्वीकारी
भारतीय किसान यूनियन (असली, अराजनैतिक) के प्रमुख चौधरी हरपाल सिंह ने कहा कि किसानों के साथ विज्ञान भवन में हुई तीसरी बैठक में ही कृषि मंत्री तोमर कानून में 13 खामियां मान गए थे। उन्होंने संशोधन का प्रस्ताव रखा, लेकिन किसान नेताओं ने कहा कि जब कानून में इतनी खामियां हैं तो उन्हें संशोधन नहीं चाहिए। सरकार को तीनों कानूनों को रद्द करके नए सिरे से कानून लाना चाहिए। चौधरी हरपाल सिंह का कहना है कि राष्ट्रीय किसान मोर्चा अपनी इस मांग पर आज भी कायम है।
सरकार जब चाहे खुली बहस कर ले
चौधरी हरपाल सिंह का कहना है कि सरकार जब चाहे खुली बहस कर ले। चौधरी गुरुनाम सिंह चढ़ूनी समेत सभी किसान नेता तीनों कानूनों में खामियां गिनाने के लिए तैयार हैं। हम सरकार को बता देंगे कि इसमें क्या काला है, लेकिन सरकार से हमें संशोधन नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र अपने तीनों काले कानून वापस ले। किसानों को विश्वास में लेकर नया कानून लाए। चौधरी का कहना है कि खामियां केवल 13 ही नहीं हैं। इससे बहुत ज्यादा हैं। 13 खामियां तो सिर्फ वो हैं जिन्हें कृषि मंत्री ने खुद माना था।
सरकार जिद्दी है तो किसान भी कम नहीं
किसान मामलों के जानकार चौधरी पुष्पेन्द्र सिंह का भी कहना है कि केंद्र सरकार जिद पर अड़ी है। किसान भी अपनी मांग पर अड़े हैं। केन्द्र सरकार किसानों के मामले का समाधान करने में रुचि नहीं दिखा रही है। किसानों के साथ सिर्फ दिखावे के लिए बात करने से समाधान नहीं निकलेगा। केन्द्र सरकार को समझना चाहिए कि किसानों ने कड़ाके की ठंड, बारिश सब झेल ली है। किसान किसी से कम नहीं हैं।
निराकरण किए लौटने वाले नहीं
वह भी बिना अपनी मांग का निराकरण किए लौटने वाले नहीं हैं। चौधरी हरपाल सिंह कहते हैं कि यह कोई नई बात नहीं है। पहले भी सरकारें किसानों की मांग और आंदोलन पर जिद करती रही हैं। पहले कई सरकारों ने अपनी जिद छोड़ी है, लेकिन यह सरकार थोड़ी ज्यादा जिद्दी है।
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