विक्रम संवत - 2077, शक संवत - 1942
उत्तरायण अयन, वसंत ऋतु
माघ मास, शुक्ल पक्ष
द्वादशी तिथि शाम 06:05 बजे तक तत्पश्चात त्रयोदशी
पुनर्वसु नक्षत्र दोपहर 01:17 बजे तक तत्पश्चात पुष्य
सौभाग्य योग 25 फरवरी प्रातः 03:10 बजे तक तत्पश्चात शोभन
राहुकाल - दोपहर 12:52 बजे से दोपहर 02:19 बजे तक
सूर्योदय - 07:04 बजे, सूर्यास्त - 18:39 बजे
दिशाशूल - उत्तर दिशा में
व्रत पर्व विवरण
भीष्म द्वादशी, वराह-तिल द्वादशी, प्रदोष व्रत
विशेष
द्वादशी को पूतिका (पोई) अथवा त्रयोदशी को बैंगन खाना माना होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
माघ मास की तीन तिथियाँ महत्वपूर्ण
25, 26 एवं 27 फरवरी को माघ मास की अंतिम 3 तिथियाँ हैं। माघ मास के शुक्ल पक्ष की अंतिम 3 तिथियाँ :- त्रयोदशी से लेकर पूर्णिमा तक की तिथियाँ पवित्र और शुभकारक हैं, जो सम्पूर्ण माघ मास में ब्रह्म मुहूर्त में पुण्य स्नान, व्रत, नियम आदि करने में असमर्थ हो, वह यदि इन 3 तिथियों में उसे करे तो माघ मास का पूरा फल पा लेता है। वैसे तो माघ मास की हर तिथि पुण्यमयी होती है और इसमें सब जल गंगाजल तुल्य हो जाते हैं। सतयुग में तपस्या से जो उत्तम फल होता था, त्रेता में ध्यान के द्वारा, द्वापर में भगवान् की पूजा के द्वारा और कलियुग में दान-स्नान के द्वारा तथा द्वापर, त्रेता, सतयुग में पुष्कर, कुरुक्षेत्र, काशी, प्रयाग में 10 वर्ष शुद्धि, संतोष आदि नियमों का पालन करने से जो फल मिलता है, वह कलियुग में माघ मास में अंतिम 3 दिन- त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णिमा को प्रातः स्नान करने से मिल जाता है।
माघ मास प्रातः स्नान सब कुछ देता है। आयुष्य लम्बी, अकाल मृत्यु से रक्षा, आरोग्य, रूप, बल, संतान की वृद्धि ,सदाचरण और सत्संग देता है। वृत्तियाँ निर्मल होती हैं और विचार ऊंचे होते हैं। अक्षय धन (जिसका कभी क्षय नहीं ), रुपया पैसा भी बरकत वाला हो जाता है और विद्या भी अक्षय धन में बदल जाती है। सकाम भाव से स्नान करते हैं तो मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है, निष्काम भाव से भगवान् की प्रीति पाने के लिए स्नान करते तो वो भी सहेज में हो जाती है। माघ मास स्नान, सत्संग स्नान जिसने किया उसे नरक का डर नहीं रहता, दरिद्रता और पाप उसके छू हो जाते हैं। ईश्वर प्राप्ति न भी करनी हो तो भी माघ मास का स्नान स्वर्ग लोक तो तुम्हारा सहज में ही रिज़र्व करा देता है। जो माघ मास की अंतिम ३ तिथियों में ‘गीता’, ‘श्री विष्णु सहस्रनाम’ , ‘भागवत’ शास्त्र का पठन व श्रवण करता है वह महा पुण्यवान हो जाता है।
ऐसे बदलें दुर्भाग्य को सौभाग्य में
25 फरवरी 2021 गुरुवार को सूर्योदय से दोपहर 01:17 तक गुरुपुष्यामृत योग है। बरगद के पत्ते पर गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें।
वराह-तिल द्वादशी
24 फरवरी 2021 बुधवार को वराह-तिल द्वादशी। तिल का उपयोग करें स्नान में, प्रसाद में, हवन में, दान में और भोजन में और तिल के तेल के दिये जलाकर सम्पूर्ण व्याधियों से रक्षा की भावना करोगे तो ब्रम्हपुराण कहता है कि तुम्हे व्याधियों से रक्षा मिलेगी।
पंचक
11 मार्च प्रात: 9.19 बजे से 16 मार्च प्रात: 4.45 बजे तक
7 अप्रैल दोपहर 3 बजे से 12 अप्रैल प्रात: 11.30 बजे तक
व्रत-त्योहार
23 फरवरी : जया एकादशी
24 फरवरी : प्रदोष व्रत
27 फरवरी : माघ पूर्णिमा
09 मार्च : विजया एकादशी
10 मार्च : प्रदोष व्रत
13 मार्च : फाल्गुनी अमावस्या
25 मार्च : आमलकी एकादशी
26 मार्च : प्रदोष व्रत
28 मार्च : फाल्गुन पूर्णिमा
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