Dharm-Aadhyatm : आज का पंचांग और व्रत-त्योहार

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दिनांक 13 फरवरी 2021, दिन शनिवार


विक्रम संवत : 2077, शक संवत : 1942


अयन - उत्तरायण, शिशिर ऋतु


माघ मास, शुक्ल पक्ष


द्वितीया तिथि रात्रि 12:56 बजे तक तत्पश्चात तृतीया


शतभिषा नक्षत्र शाम 03:11 बजे तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद


शिव योग 14 फरवरी रात्रि 01:33 बजे तक तत्पश्चात सिद्ध


राहुकाल - सुबह 10:02 बजे से सुबह 11:27 बजे तक


सूर्योदय - 07:11 बजे, सूर्यास्त - 18:34


दिशाशूल - पूर्व दिशा में


व्रत-त्योहार विवरण


विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)


माघ शुक्ल तृतीया (गौरी तृतीया)


14 फरवरी 2021 रविवार को माघ शुक्ल तृतीया है।

तृतीया तिथि को सार्वत्रिक रूप से गौरी की पूजा का निर्देश है, चाहे किसी भी मास की तृतीया तिथि हो। भविष्यपुराण के अनुसार माघ मास की शुक्ल तृतीया अन्य मासों की तृतीया से अधिक उत्तम है। माघ मास की तृतीया स्त्रियों को विशेष फल देती है। माघ मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को सौभाग्य वृद्धिदायक गौरी तृतीया व्रत किया जाता है। भविष्यपुराण उत्तरपर्व में आज से शुरू होने वाले ललितातृतीया व्रत की विधि का वर्णन है जिसके करने से नारी को सौभाग्य, धन, सुख, पुत्र, रूप, लक्ष्मी, दीर्घायु तथा आरोग्य प्राप्त होता है और स्वर्ग की प्राप्ति होती है।


सौभाग्यं लभते येन धनं पुत्रान्पशून्सुखम्। नारी स्वर्गं शुभं रूपमारोग्यं श्रियमुत्तमाम् ।।


भविष्यपुराण, ब्राह्मपर्व में भगवती गौरी ने धर्मराज से कहा :- माघ मास की तृतीया को गुड़ और लवण (नमक) का दान स्त्रियों एवं पुरुषों के लिए अत्यंत श्रेयस्कर है भगवन शंकर की प्रिये उस दिन मोदक एवं जल का दान करें।


माघमासे तृतीयायां गुडस्य लवणस्य च।

दानंं श्रेयस्करं राजन्स्त्रीणां च पुरुषस्य च।।

तृतीयायां तु माघस्य वामदेवस्य प्रीतये।

वारिदानं प्रशस्तं स्यान्मोदकानां च भारत।।


पद्मपुराण, सृष्टि खंड के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष तृतीया मन्वंतर तिथि है। उस दिन जो कुछ दान दिया जाता है उसका फल अक्षय बताया गया है।


धर्मसिंधु के अनुसार माघ मास में ईंधन, कंबल, वस्त्र, जूता, तेल, रूई से भरी रजाई, सुवर्ण, अन्न आदि के दान का बड़ा भारी फल मिलता है।


माघ में तिलों का दान जरूर जरूर करना चाहिए। विशेषतः तिलों से भरकर ताम्बे का पात्र दान देना चाहिए।


ससुराल मे कोई तकलीफ


किसी सुहागन बहन को ससुराल मे कोई तकलीफ हो तो शुक्ल पक्ष की तृतीया को उपवास रखें। उपवास माने एक बार बिना नमक का भोजन कर के उपवास रखें। भोजन में दाल चावल सब्जी रोटी नहीं खाए, दूध रोटी खा लेें। शुक्ल पक्ष की तृतीया को अमावस्या से पूनम तक की शुक्ल पक्ष में जो तृतीया आती है उसको ऐसा उपवास रखें। नमक बिना भोजन (दूध रोटी) दिन में एक बार खाएं।


अगर किसी बहन से वो भी नहीं हो सकता पूरे साल का तो केवल :


माघ महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया, वैशाख शुक्ल तृतीया और भाद्रपद मास की शुक्ल तृतीया को जरुर ऐसे तीन तृतीया को उपवास करें। जरुर लाभ होगा।


ऐसा व्रत वशिष्ठ जी की पत्नी अरुंधती ने किया था। ऐसा आहार नमक बिना का भोजन वशिष्ठ और अरुंधती का वैवाहिक जीवन इतना सुंदर था कि आज भी सप्त ऋषियों में से वशिष्ठ जी का तारा होता है। उनके साथ अरुंधती का तारा होता है। आज भी आकाश में रात को हम उनका दर्शन करते हैं।


शास्त्रों के अनुसार शादी होती तो उनका दर्शन करते हैं, जो जानकर पंडित होता है वो बोलता है। शादी के समय वर-वधु को अरुंधती का तारा दिखाया जाता है और प्रार्थना करते है कि “जैसा वशिष्ठ जी और अरुंधती का साथ रहा ऐसा हम दोनों पति पत्नी का साथ रहेगा। ऐसा नियम है।


चन्द्रमा की पत्नी ने इस व्रत के द्वारा चन्द्रमा की 27 पत्नियों में से प्रधान हुई। चन्द्रमा की पत्नी ने तृतीया के व्रत के द्वारा ही वो स्थान प्राप्त किया था। तो अगर किसी सुहागन बहन को कोई तकलीफ है तो ये व्रत करें। उस दिन गाय को चंदन से तिलक करें। कुमकुम का तिलक उत्तर दिशा में मुख करके ख़ुद को भी करें। उस दिन गाय को भी रोटी गुड़ खिलाएं।



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