Good News : रास्ते में पड़े अज्ञात को न करें नजरअंदाज, आपके रिश्तेदार भी हो सकते

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  • न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष नर्सिंग एवं पैरामेडिकल कर्मचारियों को अक्सर देते हैं नसीहत
  • बाल रोग की स्टाफ नर्स के पिता बेसुध पड़े मिले, अज्ञात में ब्रेन सर्जरी कर बचाई जान

प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, कानपुर


अस्पताल परिसर या रास्ते में पड़े किसी भी अज्ञात को नजरअंदाज न करें। उसमें से कोई आपका अपना या सगे-संबंधी में कोई भी हो सकता है। रास्ते में पड़े अज्ञात को इलाज के लिए अस्पताल जरूर पहुंचाएं, ताकि समय से इलाज मुहैया कर जान बचाई जा सके। अज्ञात बुजुर्ग बर्रा में बेसुध पड़े मिले थे, उन्हें पुलिस हैलट इमरजेंसी लेकर आई। सिर में गंभीर चोट होने पर न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष एवं उनकी टीम ने पहले सीटी स्कैन कराया। सिर पर गंभीर चोट लगने से ब्रेन में खून का बड़ा थक्का था। तत्काल सर्जरी कर जान बचाई। बाद में पता चला कि अज्ञात बुजुर्ग हैलट के बाल रोग अस्पताल में कार्यरत स्टॉफ नर्स के पिता हैं। स्टॉफ नर्स एवं उनके स्वजनों ने सर्जिकल टीम के प्रति आभार जताया है।


बर्रा ई ब्लॉक में 18 जनवरी की शाम को 60 वर्षीय बुजुर्ग बेसुध पड़े थे। राहगीरों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने उन्हें हैलट इमरजेंसी में शाम छह बजे लेकर आई। उनकी स्थिति को देखते हुए न्यूरो सर्जरी यूनिट में भेज दिया। जूनियर रेजीडेंट डॉ. विशाल एवं डॉ. प्रेणना मिंज ने तत्काल सीटी स्कैन कराया और सिर में खून का बड़ा थक्का हाेने पर विभागाध्यक्ष डॉ. मनीष सिंह को अवगत कराया। डॉ. सिंह ने जान बचाने के लिए तत्काल ऑपरेशन कर खून का थक्का निकाला। ऑपरेशन के बाद मरीज को पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। अब उनकी स्थिति बेहतर है।


आपसी चर्चा से पता चल सका


डॉ. मनीष सिंह की चर्चा बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. यशवंत राव से हो रही थी। बात-बात में ही उन्होंने एक अज्ञात बुजुर्ग के ऑपरेशन की चर्चा की। इस पर डॉ. राव ने कहा कि अस्पताल की स्टाफ नर्स मिथिलेश के पिता घर से निकले थे, लेकिन दो दिन हो गए हैं। घर नहीं पहुंचे हैं, गायब हैं।


स्टाफ नर्स की झलक आईं आखें



स्टाफ नर्स मिथिलेश जब सूचना पाकर वहां पहुंची तो अपने पिता को देखते ही उसकी आखें झलक पड़ीं। अपने पिता को सही-सलाम देखकर डॉ. मनीष एवं उनके जूनियर रेजीडेंट का आभार जताया। उसने बताया कि उसके पिता 60 वर्षीय राम चरन कानपुर देहात के भोगनीपुर से छोटी बहन सपना के बर्रा स्थित घर के लिए 18 जनवरी की दोपहर दो बजे चले थे। उसके बाद से घर नहीं पहुंचे। उनकी हर जगह तलाश की पर मिले नहीं।


डॉ. मनीष सिंह।
अपने यहां के जूनियर रेजीडेंट एवं पैरामेडिकल स्टॉफ को अज्ञात एवं लावारिस मरीजों बेहतर इलाज, देखभाल के लिए समझाता और डांटता भी हूं। हर अज्ञात को अपना समझ कर देखभाल करें। उसमें किसी तरह की कमी न हो। अगर कोई कहीं पड़ा मिले तो तत्काल अस्पताल में भर्ती कराएं। जैसे स्टाफ नर्स के पिता को अज्ञात के बाद भी बेहतर इलाज मिला। ऐसे ही हर अज्ञात को समय से इलाज मुहैया कराकर जान बचाई जा सके।

  • डॉ. मनीष सिंह, न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर।



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