प्रारब्ध बिजनेस डेस्क
वॉलेंटरी प्रॉविडेंट फंड (VPF) की मदद से अपनी धनराशि बढ़ाने के साथ ही टैक्स छूट (Tax Saving) का लाभ भी उठा सकते हैं। वहीं, रिटायरमेंट के बाद अच्छा खासा फंड (Retirement Fund) भी मिलेगा। इसमें किया गया निवेश पूरी तरह से सुरक्षित (Safe Investment) होता है। इसे निवेश को केंद्र सरकार का पूरा समर्थन है। इसमें अाप अपनी स्वेच्छा से योगदान कर सकते हैं। इसलिए जब आप की इच्छा हो निवेश बंद भी कर सकते हैं। आए इसके बारे में विस्तार से।
कर्मचारी भविष्य निधि यानी इम्पलाइज प्रॉविडेंट फंड (EPF) कर्मचरियों (Employees) का पसंदीदा निवेश है। इसका निवेश टैक्स-फ्री (Tax Free) होता है। साथ ही आयकर (IT) की धारा-80सी के तहत छूट भी मिलती है। इसलिए अधिकतर कंपनियां आपके वेतन का एक निश्चित हिस्सा काटकर ईपीएफ खाते (EPF Account) में जमा कराती हैं, उतना ही हिस्सा कंपनी भी उस अकाउंट में अपनी तरफ से भी जमा कराती है। ईपीएफ में निवेश की सीमा है। अगर आप ईपीएफ में योगदान बढ़ाना चाहते हैं तो वॉलेंटरी प्रॉविडेंट फंड (VPF)के जरिए कर सकते हैं।
वीपीएफ के जरिये आपके ईपीएफ खाते में हर महीने कंपनी की ओर से ही पैसा काट कर जमा कराया जाएगा। नियामानुसार कंपनी मूल वेतन का 12 फीसदी हिस्सा हर माह काटकर ईपीएफ में जमा कराती है। उतनी ही रकम कंपनियां भी अपनी तरफ से आपके ईपीएफ खाते में जमा कराती है। इसमें से 8.33 फीसदी इम्पलाइ पेंशन स्कीम (EPS) में जाता है, जो यह 15,000 रुपये की अधिकतम मूल वेतन या 1,250 रुपये तक सीमित होता है। इम्लाइज प्रॉविडेंट फंड्स एंड मिसलेनियस प्रोविजंस एक्ट, 1952 के तहत यह अनिवार्य है।
वीपीएफ में ईपीएफ पर घोषित दर से ही ब्याज
मासिक योगदान (Monthly Contribution) और समय गुजरने के साथ जुड़ने वाला ब्याज (Interest) रिटायरमेंट के लिए मोटा फंड तैयार (Retirement Fund) करता है। अगर 12 फीसदी योगदान के अलावा आप अपने वेतन का अधिक हिस्सा ईपीएफ अकाउंट में जमा कराते हैं तो यह स्वैच्छिक योगदान वॉलेंटरी प्रॉविडेंट फंड के तौर पर माना जाएगा। आपका अतिरिक्त निवेश ईपीएफओ की ओर से हर साल ईपीएफ स्कीम के लिए घोषित किए जाने वाले ब्याज का हकदार भी होगा। इस पर ईपीएफ की ही तरह आयकर का लाभ भी मिलेगा। साथ ही इस पर भुगतान के भी समान नियम लागू होते हैं।
ब्याज, मैच्योरिटी की राशि पर टैक्स नहीं
वीपीएफ की राशि के योगदान पर धारा-80सी के तहत लाभ मिलता है। साथ ही निवेश की अवधि में जमा ब्याज पर भी कोई टैक्स नहीं पड़ता है। मैच्योरिटी की रकम भी टैक्स-फ्री होती है। इसे ऐस भी समझ सकते हैं कि वीपीएफ आपकी ईपीएफ स्कीम का ही एक्सटेंशन है। इसमें निवेश, एक्युमुलेशन और मैच्योरिटी स्टेटस तीनों पर टैक्स की छूट भी मिलती है।
वीपीएफ से बढ़ जाता है रिटायरमेंट फंड
टैक्स विशेषज्ञ एवं बीमा सलाहकार संतोष पांडेय का कहना है कि चक्रवृद्धि ब्याज की वजह से रिटायरमेंट फंड में अच्छी खासी बढ़ोतरी हो जाती है। मान लीजिए, आपका मूल वेतन 50,000 रुपये है और आपका ईपीएफ योगदान 6,000 रुपये महीना है। आपके रिटायर होने में अभी 20 साल का समय है। इस हिसाब से आप 8.5 फीसदी ब्याज दर से आपका रिटायरमेंट फंड 67.4 लाख रुपये हो जाएगा। अगर आप वीपीएफ योगदान के तौर पर मूल वेतन का 4 फीसदी अलग से निवेश करते हैं तो ये फंड 79.94 लाख रुपये बनेगा, जो 12.54 लाख रुपये अधिक होगा।
जल्द कटाना शुरू करें वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड
कोई भी कर्मचारी अपनी कंपनी के जरिये वीपीएफ में योगदान करना शुरू कर सकता है। कई कंपनियां इसके लिए ऑनलाइन सुविधा देती हैं। इसके लिए केवाईसी की जरूरत भी नहीं पड़ती। स्वैच्छिक होने के कारण वीपीएफ में आप कभी भी योगदान शुरू या बंद कर सकते हैं। अपनी सहूलियत और जरूरत के हिसाब से योगदान की रकम हर महीने घटा-बढ़ा सकते हैं। कुछ कंपनियां वित्त वर्ष की शुरुआत में मौका देती हैं। ऐसे में इसका पता आपको करते रहना होगा। आपका ईपीएफ निवेश धारा-80C की 1.5 लाख रुपये की सीमा तक नहीं पहुंचता है तो वीपीएफ इस अंतर को पूरा कर सकता है।
वीपीएफ से निकाल सकते हैं रकम
सामान्य तौर पर कर्मचारी को अपने ईपीएफ और वीपीएफ से रकम रिटायरमेंट पर ही निकालनी चाहिए। इसकी आंशिक निकासी आपकी रिटायरमेंट प्लानिंग को प्रभावित करती है। फिर भी अगर आपको पैसे की जरूरत पड़ती है तो कुछ खास मकसद के लिए ऐसा कर सकते हैं। इनमें अपना घर खरीदने, घर की मरम्मत, घर के जीर्णोद्धार, गंभीर बीमारी, अपनी, भाई-बहनों या बच्चों की शादी और बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए पैसे का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसलिए आप वही पैसा वीपीएफ में लगाएं, जिसका भविष्य में कोई इस्तेमाल न करना हो।
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