Dharm-Aadhyatm : वृहस्पति के मजबूत होने पर खत्म होगा कोरोना

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  • आपदा एवं महामारी पर संहिता ग्रंथों का अध्ययन करें ज्योतिषी : रमेश चिंतक



प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, कानपुर


इंडियन काउंसिल ऑफ एस्ट्रोलॉजिकल साइंसेस (रजि.) चेन्नई (आईकास) के कानपुर चैप्टर में कोरोना महामारी : ज्योतिष के दर्पण में गोष्ठी का आयोजन किया गया है। मुख्य अतिथि आईकास के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमेश चिन्तक ने दीप प्रज्जवलित कर शुभारंभ किया। रमेश चिन्तक ने बताया कि 20 का अंक बहुत खराब होता है। जब भी सन् में बीस आता है तो जनहानि जैसी आपदा आती है। वर्ष 1620, 1720, 1820 व वर्ष 1920 में विश्व ने भयंकर जनहानि देखी है।


20 के प्रभाव को बताते हुए सूरदास का एक भजन है जिसमें गोपियों ने उधव से कहा था “कहत कत परदेशी की बात नखत वेद ग्रह जोरि अर्धकरि सोई बनत अब खात” ।इसमें सूरदास जी ने गूढ़ बात प्रकट की है कि वेद-4, नक्षत्र-27, ग्रह-9 कुल 40 जिसका आधा 20 यानी विष ही खाते बन रहा है ऐसी बात गोपियों ने कही। चिन्तक ने कहा कि प्राकृतिक आपदा एवं महामारी पर संहिता ग्रंथों का ज्योतिषी कम अध्ययन कर रहे हैं जिसके कारण इस पर सटीक भविष्यवाणी नहीं हो रही है। यदि संहिता ग्रंथों का अनुसंधानपरक अध्ययन किया जाए तो निश्चित रूप प्राकृतिक आपदा एवं महामारी का सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।

 

चैप्टर चेयरमैन अरुण त्रिपाठी ने वैज्ञानिक तत्थ के माध्यम से बताया कि सूर्य में हर 11 साल में एक आणुविक विस्फोट होते हैं और इस बार सूर्य में दो आणुविक विस्फोट हुए जिसका परिणाम संपूर्ण मानव जाति को भुगतना पड़ा है। जब एक आणुविक विस्फोट होता है तब संसार के जीवधारियों के रसायन में परिवर्तन होता है एवं खून पतला होकर रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आती है। इस बार तो सूर्य पर दोहरा आणुविक विस्फोट का कुप्रभाव पूरी मानव जाति पर पड़ा है।


गुरु सुख है शनि दुख है। शनि मस्त हैं अपने घर में और गरु पस्त हैं जब गुरु दुखी है तो संसार दुखी है।  गुरु जैसे बलवान होंगे वैसे वैसे स्थितियां सामान्य होती जाएगी। 

 

वहीं वरिष्ठ उपाध्यक्ष कमलेश गुप्ता ने नाड़ी ज्योतिष के अनुसार बताया कि गुरु के ऊपर लगातार शनि राहु और केतु का दुष्प्रभाव चल रहा है। वायु तत्व की राशि मिथुन तुला और कुंभ पर राहु का दुष्प्रभाव चला और वर्तमान में शनि द्वारा वायु तत्व पीड़ित भी है। गुरु की पूर्णतः बलवान स्थिति उसके कुंभ राशि में संचरण के साथ, अक्तूबर 2021 से प्रारम्भ होगी।  यहां से जीव को बल प्राप्त होगा और पूरे विश्व को इस महामारी से मुक्ति मिलेगी।


उन्होंने बताया कि मकर राशि पर लगातार गुरु का पीड़ित प्रभाव और मिथुन राशि का राहु के संचरण से पीड़ित होने के कारण भारत और अमेरिका को इस रोग ने सर्वाधिक प्रभावित किया है। मकर राशि भारत की राशि है तथा मिथुन राशि अमेरिका की राशि है। उन्होंने उपाय सुझाते हुए बताया कि गुरु के कारक केसर, हल्दी का लगातार सेवन करते रहना और योगा प्राणायाम के माध्यम से प्राणवायु को मजबूत रखना होगा। राहु के प्रभाव से बचने के लिए शुद्ध और सात्विक आहार तथा वातावरण में रहना चाहिए। राहु संक्रमण का कारक है इसलिए दो गज की दूरी और मास्क का प्रयोग अभी अक्टूबर तक विशेष तौर पर जारी रखना होगा।   


सचिव नीरज जोशी ने बताया कि वृहदसंहिता ज्योतिष में सूर्य ग्रहण और सोलर स्पॉट को प्राकृतिक आपदाओं एवं महामारी से जोड़ा गया है। 24 दिसंबर 2019 को सोलर डिस्क पर दो सोलर स्पॉट का दिखना और 26 दिसंबर 2019 का चीन के वोहान का सूर्य ग्रहण जिसमें मिथुन राशि में राहु तथा धनु राशि में बहु ग्रहों की युति के कारण कोरोना का प्रसार हुआ। 6 अप्रैल 2021 को जीवन के कारक ग्रह गुरु अपनी नीच राशि से कुम्भ राशि में संचरण के उपरांत कुछ राहत मिलने की उम्मीद है साथ ही वैक्सीन का असर भी प्रभावकारी होगा। 


संयुक्त सचिव शशिशेखर त्रिपाठी ने बताया कि ज्योतिष प्रवीण एवं नाड़ी में अध्ययन हेतु नवीन सत्र के प्रवेश प्रारम्भ हो गए हैं। संगोष्ठी समापन के साथ सचिव नीरज जोशी ने मुख्यअतिथि का आभार व्यक्त किया। इस संगोष्ठी में उपाध्यक्ष सियाशरण मिश्र, संयुक्त सचिव शशिशेखर त्रिपाठी, रुचि मलहोत्रा, शशि बैजल, गणेश वर्मा, यूपी सिंह, विजय त्रिपाठी, जे.पी.मिश्र, शिल्पा राना, श्रुति मिश्रा, शुभ्राली आदि शामिल रहीं। 

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