Dharm-Aadhyatm : पंचांग एवं व्रत-त्योहार

0

15 जनवरी 2021, शुक्रवार


विक्रम संवत 2077, शक संवत 1942


उत्तरायण अयन, शिशिर ऋतु, पौष मास, शुक्ल पक्ष


द्वितीया तिथि सुबह 08:04 बजे तक तत्पश्चात तृतीया


धनिष्ठा नक्षत्र 16 जनवरी प्रातः 05:17 बजे तक तत्पश्चात शतभिषा


सिद्धि योग रात्रि 08:23 बजे तक तत्पश्चात व्यतिपात


राहुकाल सुबह 11:26 बजे से दोपहर 12:48 बजे तक


सूर्योदय भोर 07:19 बजे, सूर्यास्त संध्या 18:15 बजे

(सूर्योदय और सूर्यास्त के समय मे जिलेवार अंतर संभव है)


दिशाशूल : पश्चिम दिशा में


व्रत पर्व विवरण


द्वितीया को बृहती (छोटा वैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

अगर जीवन में धन और नौकरी संबंधी समस्याएं हों तो भोलेनाथ को गंगाजल अर्पित करें। ध्यान रखें कि गंगाजल पीतल के लोटे में रखें। उसमें बिल्वपत्र और कमल का पुष्प डालकर भोलेनाथ को अर्पित करें। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख-संपन्नता का वास होता है। नौकरी संबंधी सस्याएं भी दूर हो जाती हैं।

कर्ज से परेशान जातक को घर में गंगाजल जरूर रखना चाहिए। ध्यान रखें कि गंगाजल को किसी पीतल की बोतल में रखें। उसे कमरे में उत्तर-पूर्व कोण में ही रखें। मान्यता है कि ऐसा करने से जातक को कर्ज से तो मुक्ति मिलती है। साथ ही जीवन की अन्य परेशानियां भी हल हो जाती हैं।

यदि कोई जातक किसी बीमारी से पीड़ित हो, या परिवार को कोई सदस्य हमेशा बीमार रहता हो तो पुराणों के अनुसार उसे गंगाजल का नियमित सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति को आरोग्य की प्राप्ति होती है। हमेशा घर में रखने से सुख और संपदा बनी रहती है। इसलिए एक पात्र में हमेशा गंगाजल भरकर रखें।


व्यतिपात योग


व्यतिपात योग में जप, पाठ व प्राणायम, माला जप या मानसिक जप करने से भगवान की विशेष की कृपा प्राप्त होती है। खासकर भगवान सूर्यनारायण प्रसन्न होते हैं। व्यतिपात योग में जो कुछ भी किया जाता है उसका एक लाख गुना फल प्राप्त होता है। वाराह पुराण में व्यतिपात योग की महत्ता का जिक्र किया गया है।


व्यतिपात योग का मतलब


देवताओं के गुरु बृहस्पति की धर्मपत्नी तारा पर चन्द्र देव की गलत नजर थी। इस वजह से सूर्य देव अप्रसन्न और नाराज हो गए। उन्होंने चन्द्रदेव को समझाया पर चन्द्रदेव ने उनकी बात को अनसुना कर दिया। इसका सूर्यदेव को दुःख हुआ। उनका मानना था कि मैने सही बात बताई फिर भी ध्यान नहीं दिया। सूर्यदेव को अपने गुरुदेव की याद आई कि गुरुदेव के लिए कैसा आदर, प्रेम और श्रद्धा होनी चाहिए। उन्हें इतना नही थोडा भूल रहा है। सूर्यदेव को गुरुदेव की याद आई और उनकी आँखों से आँसू बहने लगे वो समय ही व्यतिपात योग कहलाता है। इसलिए उस समय किया हुआ जप, सुमिरन, पाठ, प्रायाणाम, गुरुदर्शन की खूब महिमा बताई है वाराह पुराण में।

विशेष : 15 जनवरी 2021 शुक्रवार रात्रि 08:24 बजे से 16 जनवरी, शनिवार को संध्या 07:12 बजे तक व्यतिपात योग है।


पंचक


15 जनवरी संध्या 5.04 बजे से 20 जनवरी दोपहर 12.37 बजे तक

12 फरवरी रात्रि 2.11 बजे से 16 फरवरी रात्रि 8.55 बजे तक


जनवरी 2021


रविवार, 24 जनवरी 2021- पौष पुत्रदा एकादशी

रविवार, 07 फरवरी 2021- षटतिला एकादशी


प्रदोष


26 जनवरी : भौम प्रदोष व्रत


11 फरवरी : दर्श अमावस्या, माघ अमावस्या


Post a Comment

0 Comments

if you have any doubt,pl let me know

Post a Comment (0)
To Top