- उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान चिकित्सा विश्वविद्यालय के नाराज जूनियर डाॅक्टरों ने इमरजेंसी सेवाएं कीं ठप
सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के ट्रामा सेंटर के गेट पर धरने पर बैठे जूनियर डॉक्टर्स। |
काेरोना काल में संक्रमितों का इलाज करने वाले जूनियर डॉक्टरों से अभद्रता एवं मारपीट करने से भी हिचक नहीं रहे हैं। उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई के जूनियर डॉक्टरों के साथ मरीज के संग आए परिवारीजनों ने सोमवार शाम को मारपीट की। मारपीट से नाराज जूनियर डॉक्टरों ने इमरजेंसी सेवाएं ठप कर दीं। गेट पर ही धरने पर बैठ गए।
भरथना निवासी 72 वर्षीय जयराम सिंह को दिल का दौरा पड़ने पर परिजन उन्हें यूनिवर्सिटी में लेकर आए थे। डॉक्टरों ने उनका कोरोना का सैंपल लेकर ओपीडी के तीन नंबर फ्लोर पर भर्ती करा दिया। उनका इलाज डॉ. सुशील कुमार की यूनिट में इलाज चल रहा था। उस समय जूनियर डॉक्टर डॉ. विक्रम गौतम अपनी टीम के साथ ड्यूटी पर थे।
जयराम सिंह की कोविड रिपोर्ट निगेटिव आने से पहले 10 मिनट पहले ही देर शाम दम तोड़ दिया। उनके साथ आए 10-12 परिवारीजन एवं रिश्तेदार डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाकर हंगााम करने लगे। उनका आरोप था कि डॉक्टर ने मरीज का गला दबाकर मार डाला। इसको लेकर विवाद इतना बढ़ गया कि सभी मिलकर डॉक्टरों के साथ मारपीट करने लगे।
मारपीट का खबर जैसे ही साथी जूनियर डॉक्टरों को हुई सभी इमरजेंसी के ट्रामा सेंटर में एकत्र हो गए। इमरजेंसी सेवाओं को बंद करा दिया। गेट के बाहर धरना पर बैठ गए। नाराज डॉक्टरों ने दो लोगों को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया। हंगामे की सूचना पर थाना प्रभारी वीरेंद्र बहादुर सिंह पुलिस बल के साथ ट्रामा सेंटर पहुंच गए। आसपास के थानों की फोर्स भी बुला ली।
जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाएंगी तब तक इमरजेंसी सेवाएं बहाल नहीं करेंगे। उनकी मांग है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन पिछले दो वर्ष से इमरजेंसी में बाउंसर तैनात करने की बात कह रहा है, लेकिन आज तक तैनाती नहीं हो सकी है। आए-दिन होने वाली घटनाओं को देखते हुए सुरक्षा के इंतजाम जरूरी हैं। मारपीट कर भागे आरोपियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने की मांग की है। काम करने वाले जूनियर डॉक्टरों पर अनावश्यक दबाव न बनाया जाए।
देर रात प्रतिकुलपति डॉ. रमाकांत यादव एवं चिकित्साधीक्षक डॉ. आदेश कुमार ट्रामा सेंटर पहुंचे। जूनियर डॉक्टरों को समझाने का प्रयास किया लेकिन वह मानने को तैयार नहीं थे। उनका कहना था कि बिना सुरक्षा एवं मांग पूरी हुए काम पर नहीं लौटेंगे।
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