Health : होम्योपैथी अपनाएं और सर्जरी की नौबत को दूर भगाएं

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  • होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति से इलाज कराने पर नहीं पड़ती सर्जरी की जरूरत
  • ऑपरेशन के बाद सर्जरी की पुनरावृति रोकने में कारगर होम्योपैथिक दवाइयां


जानकारी देते होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. हेमंत मोहन, साथ में डॉ. आरती मोहन।

प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, कानपुर 


होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति में बिना सर्जरी इलाज का प्रावधान है। खासकर पेट रोग, मानसिक रोग, कैंसर सहित अन्य गंभीर बीमारियों में होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति कारगर साबित हुई है। होम्योपैथी को अपनाने से ऑपरेशन कराने की नौबत नहीं आती है। यह जानकारी ग्वालटोली स्थित आरोग्यधाम के होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. हेमंत मोहन एवं डॉ. आरती मोहन ने दी।


उन्होंने बताया कि होम्योपैथी में टॉन्सिलाइटिस, स्पोंडिलाइटिस, स्पाइनल सर्जरी, लंबागो, क्रॉनिक सप्पुरेर्टिव ओटाइटिस मीडिया जैसी असाध्य बीमारियों का इलाज बिना ऑपरेशन के पूरी तरह संभव है। उनका दावा है कि होम्योपैथिक दवाइयां इन बीमारियों के लिए सर्जिकल नाइफ के समान है। इसलिए सर्जरी की नौबत आने पर इस पद्धति से इलाज कराने पर सर्जरी की संभावना को पूरी तरह खत्म कर दी हैं।


होम्योपैथी में ऐसी दवाइयां हैं जो कि किडनी के स्टोन को बिना किसी सर्जरी के पूरी तरह बाहर निकाल देती हैं। किडनी में स्टोन बनने की पुनरावृति भी नहीं होती। इसी तरह होम्योपैथी के इलाज के बाद भगंदर के रोग में भी ऑपरेशन करवाने की जरूरत नहीं पड़ती।


आरोग्यधाम की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. आरती मोहन ने बताया कि महिलाओं की समस्याएं जैसे ओवेरियन सिस्ट, यूटेराइन फाइब्रॉयड एवं एंडोमेट्राइटिस का इलाज होम्योपैथी में बिना सर्जरी के संभव है। उनका कहना है कि यह मरीजों पर निर्भर करता है उन्हें कहां और किस पद्धति से इलाज कराना है। एलोपैथ के सर्जन सैकड़ों की संख्या में हैं। ऐसे में सभी चिकित्सक एक दूसरे पर भरोसा करें। चिकित्सक एक-दूसरे का विरोध करने के बजाय आयुर्वेद चिकित्सकों को साथ लेकर कार्य करें, जो सभी पैथी के चिकित्सकों के लिए हितकारी होगा।

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