- कोविड हॉस्पिटल के आइसीयू से डिस्चार्ज होने के बाद समस्या लेकर आ रहे
- कोरोना से उबरने के बाद भी सुकून से नींद नहीं आने से बिगड़ रही है सेहत
प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, कानपुर
स्वरूप नगर निवासी 54 वर्षीय पुरुष गंभीर स्थिति में हैलट के कोविड आइसीयू में भर्ती थे। फेफड़ों में संक्रमण होने से 75 फीसद ऑक्सीजन लेवल पर आए थे। आइसीयू में 10 दिन वेंटीलेटर पर रहे। 21 दिन आइसीयू में रहने के बाद डिस्चार्ज होकर घर गए। उन्हें नींद नहीं आ रही। घबराहट और बेचैनी बढ़ने पर हैलट के कोविड आइसीयू के विशेषज्ञों को समस्या बताई।
केशव नगर निवासी 64 वर्षीय बुजुर्ग का जब कोरोना संक्रमित होने पर दम फूलने लगा तो हैलट आए। उनका ऑक्सीजन लेवल 82 फीसद था। हाइपरटेंशन से पीड़ित होने पर उन्हें आइसीयू में वेंटीलेटर पर रखा गया। 19 दिन तक आइसीयू में रहने के बाद स्थिति में सुधार हुआ। जब से घर गए हैं, उन्हें नींद न आने की समस्या है। परेशानी बढ़ने पर स्वजन उन्हें हैलट लेकर पहुंचे।
गंभीर कोरोना संक्रमितों को कोविड आइसीयू में 20-25 दिन तक रहना पड़ता है। जब कोरोना से उबरने के बाद घर जाते हैं तो उन्हें नींद न आने की समस्या हो रही है। इस वजह से उन्हें घबराहट और बेचैनी हो रही है। उनका ब्लड प्रेशर भी बढ़ने लगा है। इस पर हैलट के कोविड हॉस्पिटल के विशेषज्ञों के पास पहुंचने लगे हैं। देखने में आ रहा है कि कोरोना से उबरने के बाद उनका स्लीप साइकिल (निंद्रा चक्र) गड़बड़ा गया है।
आइसीयू में दिन-रात का अंतर नहीं
आइसीयू के नोडल डॉ. चंद्रशेखर सिंह का कहना है कि आइसीयू में 20-25 दिन रहने के दौरान दिन-रात का अंतर नहीं पता चलता है। 24 घंटे लाइटें जलती हैं। कभी इंजेक्शन, कभी ऑक्सीजन लेवल तो कभी कोई प्रोसिजर होता रहता है। नींद पूरी नहीं होती है, जिससे सरकेडियन रिदम क्लॉक गड़बड़ा जाती है। ऐसी समस्या होने पर फिजीशियन और मनो रोग विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए।
गड़बड़ा रहे न्यूरो ट्रांसमिशन
मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. प्रेम सिंह का कहना है कि आइसीयू में लंबे समय तक रहने से ब्रेन के न्यूरो ट्रांसमिशन गड़बड़ा जाते हैं। उसमें से एक न्यूरो ट्रांसमिशन मेलाटॉनिन है, जो नींद के लिए जिम्मेदार होता है। इसका बनना कम हो जाता है। इसकी कमी से पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसआर्डर (पीटीएसडी) की समस्या होने लगती है। व्यक्ति को सुकून से नींद नहीं आती है। इस वजह से उलझन और ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है।
आइसीयू में लंबे समय तक रहने की वजह से सूर्य की रोशनी नहीं दिखाई पड़ती है। इस वजह से सरकेडियन रिदम क्लॉक गड़बड़ा रही है, जिससे निंद्रा चक्र प्रभावित हो रहा है। इसलिए घर जाने के बाद भी नींद नहीं आती है। इसे ठीक होने में तीन से चार हफ्ते का समय लगता है।
- डॉ. गणेश शंकर, असिस्टेंट प्रोफेसर, मनोरोग विभाग, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज।
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