Sad News : लखनऊ में शिया धर्मगुरु डॉ. कल्बे सादिक का निधन

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  • एरा मेडिकल कॉलेज में ली अंतिम सांस, बुधवार दोपहर बाद होंगे सिपुर्द-ए-खाक
  • सांस लेने में तकलीफ होने पर कराए गए थे भर्ती, 17 नवंबर से चल रहा था इलाज


प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, लखनऊ


ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सलन लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ शिया धर्मगुरु मौलाना डॉ. कल्बे सादिक का मंगलवार देर रात निधन हो गया। उनका इलाज ऐरा मेडिकल कॉेलज में 17 नवंबर से चल रहा था। उनके पुत्र मौलाना कल्बे सिब्ते नूरी ने बताया कि उन्हें सांस लेने में दिक्कत थी, जिससे उन्हें आईसीयू में रखा गया था। कई दिनों से हालत स्थिर बनी हुई थी। उनके रक्तचाप और ऑक्सीजन के स्तर में लगातार गिरावट होने पर मंगलवार शाम आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया था। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना कल्बे सादिक पूरी दुनिया में अपनी उदारवादी छवि के लिए जाने जाते रहे हैं। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में बहुत कार्य किए हैं। उनके निधन से राजधानी समेत पूरी दुनिया में शोक की लहर है। बुधवार को चाैक स्थित इमामबाड़ा गुफरमाब में दोपहर बाद सिपुर्द-ए-खाक होंगे। मौलाना इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि उनका धर्म एवं जाति से ऊपर उठकर समाज को इंसानियत का पाठ पढ़ाया।


छुपकर हिंदी पढ़ने जाया करते थे मौलाना


मौलाना कल्बे सादिक ने शुरुआती शिक्षा में अंग्रेजी तो पढ़ते ही थे लेकिन लालबाग में एक पंडित जी के पास हिंदी पढ़ने भी जाया करते थे। उस ज़माने में उर्दू का ज्यादा चलन था। उस वक्त किसी ने उनको टोका भी कि हिंदी की क्या जरूरत है, क्यों पढ़ने जाते हो? इस पर वह अपने बुजुर्गों से छुपाकर हिंदी पढ़ने जाया करते थे।


बात ऐसे कहते कि दिल में उतर जाए

मौलाना कल्बे सादिक एक बड़े जाकिर थे। उन्हें ज़ाकिरे फातेह- ए- फुरात का लब्ज मिला था। वह बड़ी सरलता से बगैर चीखे अपनी बात कहते कि बात दिल में उतर जाए। उनके सामईन (श्रोता) का दायरा जैसे-जैसे बढ़ता गया, उसी एतबार से उनकी तकरीर के मौजू (विषय) बदलते गए। उनके श्रोताओं में गैर शिया लोग भी हुआ करते थे। वह हमेशा इस बात का ख्याल रखते थे कि हम अपनी बात कहें, कोई ऐसी बात ना करें जिससे किसी के दिल को ठेस पहुंचे।


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