- कमजोरी, सांस फूलने व हाथ-पैर की मांसपेशियो में कमजेारी की शिकायल लेकर पहुंच रहे मरीज
प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, लखनऊ
कोरोना वायरस के संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों की दुश्वारियां कम नहीं हो रही हैं। उन्हें सांस फूलने, कमजोरी एवं हाथ-पैर की मांसपेशियों में कमजोरी की शिकायत हो रही है। उन्हें चलने फिरने से लेकर किसी काम करने की हिम्मत नहीं रही है। इन समस्याओं को लेकर मरीज डॉक्टरों के पास पहुंचने लगे हैं। कई मरीज तो ऑक्सीजन तक लगानी पड़ रही है।
कोरोना वायरस नाक और मुंह के जरिए फेफड़े तक पहुंच कर संक्रमण करता है। इस वजह से फेफड़े के गैस एक्सचेंज चैबर में सूजन (इंफ्लेमेट्री रिस्पांस) करते हैं। इस वजह से फेफड़े के टिश्यू सिकुड कर आपस में चिपक जाते हैं। ऐसे में फेफड़े की रक्तनलिकाएं हवा से ऑक्सीजन लेकर ब्लड को नहीं दे पाती और न ही ब्लड से कार्बन डाई ऑक्साइड (सीओ टू) लेकर बाहर निकालत पाती हैं। इस वजह से फेफड़े की छोटी-छोटी रक्तनलिकों में खून की थक्के जमने शुरू हो जाते हैं। संक्रमण का स्तर तेजी से बढ़ने लगता है। इसका असर यह है तो है कि शरीर को न पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती है। इस वजह से ब्लड प्रेशर तेजी से गिरने लगता है। ऐसे में संक्रमण की स्थिति का पता लगाने के लिए आइएल-6 जांच बहुत ही जरूरी है। खासकर उनके लिए, जिन्हें दूसरी गंभीर बीमारियां भी हैं। इलाज के दौरान फेफड़े की सही ढंग से निगरानी कर दवाएं नहीं चलाए जाने से ही ठीक होने के बाद भी दिक्कत हो रही है। बड़ी संख्या में ऐसे इलाज के लिए पहुंचने लगे हैं।
फेफड़े की स्थिति जानने को कराएं सीटी स्कैन
संक्रमण के उपरांत फेफड़े तेजी से सिकुड़ने लगते हैं। इसलिए फेफड़े की स्थिति जानने के लिए डिजिटल एक्सरे एवं सीटी स्कैन जांच जरूरी है। इससे फेफड़े में निमोनिया के धब्बों का पता चल जाता है। उसके हिसाब से ही इलाज किया जाता है।
यह मरीज हाई रिस्क पर
मधुमेह, हाइपरटेंशन, दिल के मरीज, ब्रेन स्टोक व सर्जरी, किडनी, लिवर, कैंसर के मरीज व गर्भवती।
इस पर जरूर दें ध्यान
कोरोना से ठीक होने के बाद सांस फूलना घातक
चेस्ट विशेषज्ञ या फिजीशियन को जरूर दिखाएं
फेफड़े में कड़ेपन से कम हो रही कार्य की क्षमता
काेरोना से ठीक हुए लोगों की स्पायरोमेट्री जांच कराएं
जरूरी होने पर कॉर्टिको स्टेरायड दवाएं का कोर्स कराएं।
- फेफड़े को स्थाई डैमेज से बचाने के लिए जरूरी कॉर्टिको स्टेरायड।
- दिक्कत अधिक होने पर सीटी स्कैन जांच भी जरूर कराएं।
- जरूरी होने पर एंटी फाइब्रोटिक दवाए भी चलाएं।
कोरोना का असर फेफड़े, हार्ट और ब्रेन पर अधिक पड़ रहा है। मरीज सांस फूलने, थकान एवं मांसपेशियों में कमजोरी की शिकायत लेकर आ रहे हैं। इसकी मुख्य वजह कोरोना से फेफड़े में होने वाला डैमेज है। अभी यह नई बीमारी है, इसलिए बहुत अधिक अध्ययन नहीं हुआ है, लेकिन फेफड़े कड़े हो रहे हैं, ऑक्सजीन ठीक से नहीं ले पा रहे हैं। इसलिए कोरोना से ठीक होने के बाद ऐसी दिक्कतें होने पर फिजीशियन एवं चेस्ट विशेषज्ञ को जरूर दिखाएं। डॉक्टर भी मरीजों का गंभीरता से चेकअप करें और उनकी समस्याएं भी सुनें। उसके हिसाब से इलाज का मुकम्मल इंतजाम करें।
- डॉ. सूर्यकांत, विभागाध्यक्ष, रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग, किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी।
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