प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, कानपुर
नाइजीरिया में खपत के हिसाब से महज तीन फीसद ही चीनी का उत्पादन है, जबकि 97 फीसद उन्हें ब्राजील, मलेशिया या अन्य देशों से आयात करना पड़ता है।
नाइजीरिया में गन्ने का उत्पादन अच्छा है। इसलिए वहां के विशेषज्ञाें ने एनएसआइ के अधिकारियों से विचार-विमर्श किया था। इस समस्या के निराकरण के लिए चीनी उद्योग की स्थापना के लिए एनएसआइ और नाइजीरिया के नेशनल शुगर डेवलेपमेंट काउंसिल के बीच जनवरी 2019 में मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुए थे।
चीनी उद्योग को आगे ले जाने के लिए मास्टर प्लान बनाया। खुद को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भारतीय तकनीक की मदद मांगी।
नाइजीरिया को चीनी उत्पादन के लिए तकनीकी रूप से सक्षम बनाने पर काम कर रहे हैं। गन्ना उत्पादन, रस की मात्रा, चीनी मिलों की क्षमता को बेहतर किया जाएगा।
सबसे पहले वहांं एनएसआइ की तर्ज पर संस्थान की स्थापना करना है। ताकि विशेषज्ञों और कर्मचारियों काे प्रशिक्षित किया जा सके। इसलिए वहां के संस्थान से रेगुलर कोर्स शुरू करना है। वहां की चार फैकल्टी को शुगर टेक्नोलॉजी, शुगर इंजीनियरिंग और इनवायरमेंटल साइंस में दाखिला दिया गया है।
कोविड-19 के प्रभाव की वजह से ऑनलाइन प्रशिक्षण चल रहा है। वहां के संस्थान का कोर्स भी डिजाइन किया जा रहा है। यहां के विशेषज्ञ समय-समय पर विशेष प्रशिक्षण के लिए नाइजीरिया जाते रहेंगे।
- प्रो. नरेंद्र मोहन, निदेशक, राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर।
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