Khas Khabar : कोरोना को हराया, मधुमेह ने आ घेरा

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  • कोविड हॉस्पिटल से स्वस्थ होकर जाने वालों में से 3.5 फीसद में मधुमेह की समस्या
  • विशेषज्ञों का कहना, कोरोना वायरस पैंक्रियाज की बीटा सेल को कर रहा क्षतिग्रस्त

प्रारब्ध रिसर्च डेस्क


कोरोना वायरस के संक्रमण से पैंक्रियाज पर भी असर हो रहा है। कुछ ऐसे मरीज सामने आए हैं, जिनका कोरोना से उबरने के बाद वजन कम होने और भूख घटने की समस्या लेकर हैलट के विशेषज्ञों को दिखाने आए। पता चला कि उनकी ब्लड शुगर अनियंत्रित थी। अचानक हुए परिवर्तन पर विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस पैंक्रियाज की बीटा सेल को क्षतिग्रस्त कर रहा है, जिसका दुष्प्रभाव मधुमेह के रूप में सामने आ रहा है। विदेशों में हुए अध्ययनों में इसकी पुष्टि हो चुकी है। अब यहां शोध की तैयारी हो रही है।


हैलट के कोविड हॉस्पिटल में बीते छह माह में 2542 कोरोना संक्रमित भर्ती हुए हैं, उनमें से 2163 संक्रमित स्वस्थ होकर जा चुके हैं। उनमें शहर के अलावा आसपास के जिलों के भी हैं। कुछ ऐसे मरीज सामने आए हैं, जिन्हें कोरोना के संक्रमण से ऊबरने के 20-25 दिन बाद से मधुमेह के लक्षण उभरने लगे। उनका वजन तेजी से गिरने लगा। भूख घट गई और दिन भर गला सूखने लगा। कमजोरी महसूस होने लगी। जब हैलट के मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. एसके गौतम को दिखाया। उन्होंने मधुमेह की जांच कराई। रिपोर्ट देखकर चकरा गए, क्योंकि इन मरीजों के ब्लड में शुगर का स्तर 500-600 पहुंच चुका था। ऐसे में तत्काल मधुमेह नियंत्रित करने के लिए दवाएं शुरू कीं।


अब तक 76 मरीजों में समस्या


काेरोना से ऊबरने वाले 76 मरीजों में मधुमेह की समस्या सामने आई है। यह आंकड़ा कुल स्वस्थ हुए मरीजों का लगभग 3.5 फीसद है। इनमें से किसी को न कभी मधुमेह की समस्या थी। इनके परिवार में भी कभी किसी को मधुमेह (डायबिटीज) की समस्या ही नहीं हुई। मधुमेह का कोई परिवारिक इतिहास भी नहीं था, लेकिन मधुमेह अनियंत्रित पाई गई।


यह है स्थिति


डॉ. गौतम का कहना है कि एंजियोटेनसिन कंवर्टर इंजाइम (एसीई) जिसे एसटू रिसेप्टर भी कहते हैं, यह फेफड़े (लंग्स) में पाए जाते हैं। ठीक ऐसे ही एसटू रिसेप्टर पैंक्रियाज में भी होते हैं। कोरोना वायरस लंग्स से होते हुए पेट के रास्ते एसटू रिसेप्टर के जरिए पैंक्रियाज की बीटा सेल में चिपक जाते हैं। बीटा सेल को क्षतिग्रस्त करने लगते हैं, जिससे इंसुलिन बनाने की क्षमता प्रभावित होती है। इसलिए कोरोना से ठीक होने के बाद मधुमेह की समस्या हो रही है।


विदेश में हुए शोध


कोरोना और मधुमेह को लेकर चाइना में दो शोध हो चुके हैं। पहली बार 56 मरीजों पर अध्ययन किया गया, जिसमें से 11 व्यक्तियों के पैंक्रियाज में दिक्कत की वजह से मधुमेह बढ़ी पाई गई। दूसरी बार 281 मरीजों पर अध्ययन किया गया, जिसमें से 40 की मधुमेह अनियंत्रित थी। उसकी वजह पैंक्रियाज की बीटा सेल क्षतिग्रस्त हो गईं थीं।


लेवल-थ्री कोविड हॉस्पिटल में कोरोना संक्रमित गंभीर मरीज ही भर्ती होते हैं। कुछ संक्रमित की भर्ती होने के समय मधुमेह अनियंत्रित थी। अन्य संक्रमिताें स्वस्थ होने के बाद मधुमेह की समस्या हुई, जिससे प्रमाणित होता है कि कोरोना पैंक्रियाज की बीटा सेल को प्रभावित कर रहा है। इसका डाटा एकत्र कर रहे हैं, एथिकल कमेटी से अनुमति लेकर जल्द ही शोध शुरू करेंगे।

  • डॉ. एसके गौतम, एसोसिएट प्रोफेसर, मेडिसिन विभाग, जीएसवीएम मेडिकल काॅलेज

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