Khas Khabar : अयोध्या की शोभा बढ़ाएंगी श्रीराम व संजीवनी बूटी लाते हनुमान

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  • दीपावली में होने वाले दीपोत्सव के दौरान सीएसजेएमयू के शिक्षक व छात्रों की मूर्तियां होंगी सुशोभित
  • ‘जन-जन के राम’ थीम पर वन प्रस्थान के दृश्यों को श्रीराम, हनुमान व जटायू की मूर्तियों से दर्शाया

प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, कानपुर


दीपावली के एक दिन पहले अयोध्या में होने वाले दीपोत्सव में ‘भक्तों को आशीर्वाद देते मर्यादा पुरूषोत्म श्रीराम‘, ‘लक्ष्मण के प्राण बचाने के लिए संजीवनी बूटी ले जाते संकट मोचन हनुमान’ व ‘माता सीता की रक्षा करने के लिए रावण से युद्ध करते गिद्धराज जटायू’ के दृश्य आकर्षण का केंद्र होंगे। 


यह दृश्य किसी नाटक के मंचन के नहीं बल्कि मूर्तिकला का वह नायाब नमूना होंगे जिन्हें छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के शिक्षक व छात्रों ने तैयार किया है।


विश्वविद्यरालय के फाइन आर्ट विभाग के चार शिक्षक व दो छात्रोें ने इन मूर्तियों को राज्य स्तरीय मूर्तिशिल्प शिविर में विकसित किया है। ललित कला अकादमी के इस शिविर में प्रदेश के एक से बढ़कर एक मूर्तिकार, शिक्षक व छात्र छात्राएं चयनित किए गए हैं जो इन दिनों अपनी कारीगरी से मूर्तियों में जान डाल रहे हैं। 


शिविर के समन्वयक व विश्वविद्यालय के शिक्षक अजय कुमार ने बताया कि उन्होंने रामभक्त हनुमान के संजीवनी बूटी लाने का दृश्य अपनी मूर्तिकला से दर्शाया है। यह मूर्ति उन्होंने क्ले व मोल्ट प्रक्रिया से गुजरने के बाद फाइबर में कास्टिंग करके तैयार की है। फाइबर में फिनिशिंग के बाद मूर्ति को एक्रेलिक रंग से सजाया गया है। उन्हें यह मूर्ति तैयार करने में सात दिन का समय लगा।


राम के पैर से छूते ही अहिल्या का उद्धार


विश्वविद्यालय के शिक्षक जीऊत बली यादव ने अहिल्या का उद्धार दिखाया है। उन्होंने मूर्तिकला से दिखाया है कि किस तरह श्रीराम के पैर छूते ही अहिल्या का उद्धार हुआ। इसमें उन्होंने फाइबर ग्लास रंगों का प्रयोग करके उसे आकर्षक बनाया है। इसके अलावा एमए मूर्तिकला के छात्र कुलदीप सरोज ने श्रीराम के जटायू को गोद बिठाने का दृश्य अपनी मूर्ति में उकेरा है। इसके अलावा समुद्र देव पर क्रोधित श्रीराम, स्वर्ण मृग का पीछा करते श्रीराम, श्रीराम पादुका, राम केवट संवाद, सबरी प्रसंग, भरत मिलाप व श्रीलंका में राम रावण युद्ध इन दृष्यों को भी विश्वविद्यालय की टीम में शामिल शिक्षक व छात्र छात्राओं ने मूर्तिकला से जीवंत किया है। शिविर में भाग लेने वालों में शिवांगी कनौजिया व नूपुर कटियार शिक्षकों के अलावा एमए अंतिम वर्ष मूर्तिकला के छात्र राकेश कश्यप ने भी अपनी मूर्तिकला प्रतिभा बिखेरी।


‘मूर्तिकला में प्रदेश से चुने गए 30 कलाकार भाग ले रहे हैं। इनमें 14 मूर्तिकाल अपने होम स्टूडियो से व 16 कलाकार अकादमी में कलाकृतियों का सृजन कर रहे हैं। दीपोत्सव स पहले मूर्तियों की यह प्रदर्शनी गुरूवार को अकादमी में लगाई गई।’

  • डाॅ. बृजेश स्वरूप कटियार, फाइन आर्ट विभागाध्यक्ष, छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर।


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