- माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत का जानें महात्म्य
प्रारब्ध आत्यात्मिक डेस्क
हिंदू पंचांग के अनुसार माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर साधक प्रदोष व्रत करते हैं। यह व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस बार 28 अक्टूबर, बुधवार को प्रदोष व्रत है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। प्रदोष पर व्रत एवं पूजन-अर्चन कैसे करें। इसके महात्म्य को जानें। इस दिन क्या उपाय करने से भाग्योदय हो सकता है। आई जानिए…
ऐसे करें व्रत व पूजन
- प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शंकर, पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराएं।
- तत्पश्चात बेल पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची भगवान को चढ़ाएं।
- पूरे दिन निराहार (संभव न हो तो एक समय फलाहार) कर सकते हैं। शाम को दोबारा इसी तरह से शिव परिवार का पूजन करें।
- भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं। आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं।
- भगवान शिव की आरती करें। भगवान को प्रसाद चढ़ाएं और उसी से अपना व्रत भी तोड़ें। उस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।
ये उपाय करें, होंगे फलकारी
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद तांबे के लोटे से सूर्यदेव को अर्ध्य दें। पानी में अकौड़े के फूल जरूर मिलाएं। अकौड़े के फूल भगवान शिव को विशेष प्रिय हैं। यह उपाय करने से सूर्यदेव सहित भगवान शिव की कृपा भी बनी रहती है। जातक का भाग्योदय भी होता है।
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