Breaking News : बैंककर्मियाें के वेतन निर्धारण को बने आयोग, हाईकोर्ट पहुंची संस्था

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  • वी बैंकर्स वेतन आयोग बनाने की मांग पर अड़ा  
  • श्रमायुक्त की मध्यस्थता में  नहीं निकला समाधान 
प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो,


कानपुरबैंक कर्मचारियों के वेतन और पेंशन का मसला हाईकोर्ट पहुंच गया है। युवा बैंक कर्मचारियों की संस्था वी बैंकर्स वेतन एवं पेंशन निर्धारण के लिए वेतन आयोग बनाने की मांग पर अड़ा हुआ है। इस मामले में उसे इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) की मध्यस्थता भी मंजूर नहीं है। इसलिए वेतन पुनर्निधारण (वेज रिजवीन) को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गया है। हाईकोर्ट ने सरकार के अधिवक्ता को जवाब दाखिल करने के लिए 15 अक्टूबर तक का समय दिया है। उसी दिन इस मामले की फिर से सुनवाई होगी।  


बैंक कर्मचारियों के हितों से जुड़े अहम फैसले लंबे समय से इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) लेता आ रहा है। उसके द्वारा दिए गए‌ प्रस्तावों को केंद्र सरकार भी अमल में ला रही है। कई कर्मचारी विरोधी फैसले होने के बाद बैंककर्मियों ने आपत्ति उठाई। 


विरोध में वी बैंकर्स खुलकर सामने आ आ गया  है। उसके पदाधिकािरयों का कहना है कि वर्ष 2010 के बाद से मूल वेतन में ढ़ाई से तीन फीसद का ही इजाफा होता आ रहा है। इसलिए बैंककर्मियों का वेतन-पेंशन केंद्र और राज्य कर्मचारियों की तुलना में काफी कम हो गया है। संगठन ने आईबीए द्वारा वेतन एवं पेंशन निर्धारण के फैसले लिए जाने को चुनौती दी है। वेतन निर्धारण के लिए आयोग बनाने की मांग प्रमुखता से उठाई है। ताकि भविष्य में कर्मचारियों के हित में लिए जाने वाले निर्णय आयोग या सरकार की देखरेख में हो सकें। 


हाईकोर्ट के अधिवक्ता आशुतोष शर्मा ने बताया कि मध्यस्थता फेल होने के बाद केंद्र सरकार को इस मामले में कोई निर्णय लेना चाहिए था, लेकिन अभी तक नहीं लिया जा सका है। हाईकोर्ट ने सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी की रिपोर्ट मांगी है। इसके लिए सुनवाई की तिथि 15 अक्टूबर निर्धारित की है।


एमओयू से वेतन निर्धारण

वी बैंकर्स के महासचिव आशीष मिश्रा का कहना है कि इंडियन बैंक्स एसोसिएशन संवैधानिक संस्था नहीं है। सोसायटी एक्ट के तहत इस संस्था का पंजीकरण भी नहीं है। या राष्ट्रीय कृत सरकारी और निजी बैंकों के चेयरमैन के स्तर के अधिकारियों का संगठन है जो मेमोरेंडम आफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) के तहत अहम फैसले लेता है।


आरबीआई को है अधिकार

अधिवक्ता आशुतोष बताते हैं कि बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट में सभी अधिकार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को दिए गए हैं। इसके बावजूद आरबीआई निर्णय ना ले कर आइए बैंक कर्मचारियों से जुड़े अहम फैसले लेता आ रहा है। बैंक कर्मचारियों को वित्त मंत्रालय के अधीन माना जाता है लेकिन बैंक कर्मियों के लिए अलग से आज तक कोई भी वेतन आयोग नहीं बनाया जा सका है। या बहुत ही निराशाजनक और दुर्भाग्यपूर्ण है।


वर्ष 2017 में दी थी हड़ताल की नोटिस

वी बैंकर्स ने 11वें वेतन समझौते के तहत मूल वेतन में 2 से ढाई फीसद वृद्धि के निर्णय पर एतराज जताया था। संस्था के पदाधिकारियों ने वर्ष 2017 में हड़ताल की नोटिस दी थी। इसके लिए श्रमायुक्त के स्तर से मध्यस्था की गई, लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका। 11 जून 2020 को मध्यस्थता फेल होने पर श्रमायुक्त ने केंद्र सरकार को विस्तृत रिपोर्ट भेजी थी। केंद्र सरकार के स्तर से निर्णय होने से पहले ही जुलाई 2020 में आईबीए ने वेतन वृद्धि पर एमओयू साइन कर लिया।


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