- आईएएस की पत्नी अध्यापक की नौकरी और सुख-सुविधाएं छोड़कर जनसेवा में जुटी
प्रारब्ध चुनाव डेस्क, लखनऊ
बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार मैदान में नए और युवा चेहरे सामने आ रहे हैं, जो राजनीति की दिशा एवं दशा बदलने का माद्दा रखते हैं। ऐसी एक उम्मीदवार की दिलचस्प कहानी है। उनकी कार कीचड़ में एक बार क्या फंसी, उन्होंने गांव की राह पकड़ ली। गांव में विकास की ऐसी इबारत लिख दी, जिसकी आज राष्ट्रीय फलक में पहचान हो गई है।
जी हां, बात कर रहे हैं आईएएस की पत्नी रितु जायसवाल की। उन्होंने अध्यापक की नौकरी और सुख-सुविधाएं छोड़कर जनसेवा में जुटी हैं। अब लोकप्रिय महिला मुखिया रितु को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने सीतामढ़ी जिले के परिहार विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया है।
रितु सीतामढ़ी जदयू महिला मोर्चा की अध्यक्ष थी, लेकिन उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। यह माना जा रहा था कि नीतीश कुमार उन्हें जदयू से टिकट देकर चौंका सकते थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला। वहीं, राजद ने उनकी साफ-सुथरी छवि और लोगों के बीच लोकप्रियता को देखते हुए टिकट थमाया है। वह इस सीट से राजद की 'लालटेन' जलाने की पुरजोर कोशिश करती नजर आएंगी।
फिलहाल रितु सोनबरसा ब्लॉक के सुदूर राज सिंहवाहिनी पंचायत की मुखिया हैं। मुखिया रितु जायसवाल अपने काम के कारण बिहार ही नहीं देश भर में लोकप्रिय हैं। कुछ साल पहले ही केंद्र सरकार ने पंचायती राज में उनके सराहनीय कार्य को लेकर सम्मानित किया था।
नौकरी छोड़ समाजसेवा में जुटीं
राजद द्वारा टिकट दिए जाने के बाद अब रितु विधानसभा चुनाव के मैदान में उतर चुकी हैं। उनके पति 1995 बैच के आईएएस अरुण कुमार हैं। उन्होंने दिल्ली के एक पब्लिक स्कूल की नौकरी छोड़ने और अपने आईएएस पति के साथ आरामदायक जीवन को छोड़कर समाज सेवा में जुटी हुई हैं।
जीवन में यूं आया बदलाव
शादी के 15 साल तक रितु पति की साथ-साथ जाती थीं, जहां उनकी पोस्टिंग होती थी। 15 साल बाद उन्होंने अपने पति से ससुराल जाने की बात की। उनके घर के सभी लोग नरकटिया गांव जाने के लिए तैयार हो गए। रास्ते में गांव पहुंचने से कुछ दूरी पर उनकी कार कीचड़ में फंस गई। लाख कोशिशों के बाद भी कार कीचड़ से नहीं निकली तो बैलगाड़ी पर सवार होना पड़ा। कुछ दूर जाते ही वो भी कीचड़ में फंस गई। इस घटनाक्रम के बाद रितु ने उस क्षेत्र का विकास करने के लिए ठान लिया। गांव का पिछड़ापन देखखर काफी द्रवित भी हुईं। गांव में न बिजली थी और न सड़क। रितु से यह सब देखा नहीं गया। उन्होंने गांव को पिछड़ेपन से निकालने का बीड़ा उठा लिया। उन्होंने पंचायत चुनाव में हिस्सा लेने का फैसला किया। चुनाव में जीत हासिल कर सिंहवाहिनी पंचायत की मुखिया बन गईं।
उपराष्ट्रपति से लेकर केंद्रीय मंत्री से सम्मानित
रितु के बेहतर काम को देखते हुए उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने चैंपियंस ऑफ चेंज अवार्ड से सम्मानित किया। केंद्रीय पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर रितु को प्रतिष्ठित दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तीकरण पुरस्कार-2019 से सम्मानित कर चुके हैं।
रितु सरपंच और पंचायत सचिवों के क्षमता निर्माण कार्यक्रम के लिए केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय द्वारा चयनित बिहार के पंचायती मुखियाओं (ग्राम प्रधानों) में से एक थीं। इसके अलावा ग्राम पंचायत विकास योजना को लोगों के बीच पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान द्वारा चयनित नौ पैनलिस्ट में रितु का भी नाम था। वहीं, आईआईटी मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में रितु ने बिहार का प्रतिनिधित्व किया था।
महिलाओं ने चुनाव लड़ने को किया प्रेरित
रितु जायसवाल ने बताया कि सार्वजनिक जीवन में मेरे काम को देखकर लोग काफी प्रसन्न हैं। खासकर महिलाओं ने मुझे मुखिया का चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया और मैं जीत भी गई। मेरी पंचायत के हर गांव में सड़क, सोलर वाटर पंप और टंकियां हैं। खुले में शौच से मुक्त है। पंचायत में हर घर में बिजली और सड़क पर लाइट की व्यवस्था है। कोविड-19 महामारी के दौरान पंचायत के लोगों ने एकजुट होकर जरूरतमंदों की मदद में मेरा पूरा सहयोग किया। मैं क्षेत्र के लिए बिना थके काम करना चाहती हूं।
टिकट मिलने पर जताई खुशी
रितु जायसवाल ने कहा कि इस बार विधानसभा चुनाव में उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने की योजना बनाई थी। लेकिन तभी राजद की तरफ से टिकट का ऑफर आया। उन्होंने कहा कि राजद द्वारा टिकट दिए जाने से वह बेहद खुश हैं। चुनाव जीतने पर मैं उसी प्रकार विकास के कार्य करूंगी, जिस तरह मैंने मुखिया रहने के दौरान किया है।
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