मृतका के परिजन एसआइटी की जांच से असंतुष्ट, पुलिस के रवैये से नाराजगी
फोरेंसिक व पोस्टमार्टम में छिपाई गई दुष्कर्म की बात, घर में थे पुलिस कर्मी
प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, हाथरस
देश के बहुचर्चित बूलगढ़ी कांड में मृतक युवती के परिजन पुलिस की नजरबंदी से दो दिन बाद मुक्त हुए हैं। पुलिस एवं प्रशासन के रवैये से उनमें भारी नाराजगी है। उनके घर पहुंचे मीडिया कर्मियों के समझ बेबाकी से अपनी बात रखी। उनका सवाल है कि उन्हें घर में नजर बंद क्याें रखा गया। हम पीड़ित हैं और पहरा हमारे यहां ही बैठा दिया। स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (एसआइटी) की जांच से भी असंतुष्ट हैं। भाई का आरोप है कि पुलिस ने उनके मोबाइल फोन भी स्विच ऑफ करा दिए थे। वहीं, उसके भाई ने नार्को टेस्ट कराने से इंकार किया है। उनका कहना है कि झूठ हम नहीं, प्रशासन बोल रहा है।
शनिवार को मृतका के भाई ने आरोप लगाते हुए कहा कि एसआइटी सिर्फ एक दिन ही आई। वे अब तक की जांच से संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि बहन के साथ दुष्कर्म हुआ। ये बात फोरेंसिक और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी छिपाई गई है। इन दोनों ही रिपोर्ट पर हमें विश्वास नहीं हैं।
चारों आरोपित को फांसी दी जाए। इस प्रकरण को दबाने में लगे हुए पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों को भी सजा दी जाए। जब भाजपा के नेता गांव आ सकते हैं तो पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों ने हमें बाहर जाने व मीडिया को गांव में आने से क्यों रोका।
वहीं, मृतका की भाभी और बहन का कहना है कि पहले दिन ताे पुलिस घर में ही थी। रात होने के बाद भी यहां से गई नहीं। जब आपत्ति जताई कि अपने घर में कहां सोए। कहां बैठे, कहां खाएं। इस आपित्त के बाद पुलिसकर्मी कमरे से बाहर तो आ गई, लेकिन घर के बाहर एवं छतों पर डटे रहे।
मृतका की बहन के मुताबिक ऊपर से आरोप लगा रहे हैं कि उन्होंने ही उसे मार दिया। क्या आरोप लगाने वाले अपने ही बहन-भाई और स्वजन को मार सकते हैं। उसकी मां ने पूरी जांच पर असंतुष्टि जताई है।
मृतका के बड़े भाई का कहना है कि पहले दिन बहन की स्थित ठीक नहीं थी। मैं खेत पर था, लेकिन काफी दूर था। मां घास लेकर घर जा चुकी थी। तब तक मैं बहन के संपर्क में आया, आरोपित वहां से चले गए थे। बाद में पता चला कि उसके साथ दुष्कर्म हुआ है।
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