Balliya update : अफसरों के सामने सरेआम हत्या करने का आरोपी धीरेंद्र सिंह गिरफ्तार

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  • दुर्जनपुर गोलीकांड का मुख्य आरोपी को एसटीफ ने लखनऊ में पकड़ा


प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, बलिया


जिले के रेवती थाना क्षेत्र के दुर्जनपुर गांव में खुली पंचायत में अफसरों के सामने गोली मारकर हत्या करने का मुख्य आरोपी धीरेंद्र प्रताप सिंह को एसटीएफ ने रविवार सुबह लखनऊ में गिरफ्तार कर लिया।

इस मामले में पुलिस ने रविवार को बलिया से दो आरोपियों को गिरफ्तार किया था। उधर, इस मामले में बैरिया के भाजपा के विधायक सुरेंद्र सिंह लगातार आरोपी के पक्ष में बयान देकर सरकार की किरकिरी करा रहे हैं।

इस गोलीकांड में भाजपा कार्यकर्ता का नाम जुड़ने से मुख्यमंत्री स्वयं मामले की निगरानी कर रहे हैं। इस प्रकरण को गंभीरता से लेने से पुलिस भी सक्रिय हो गई है।


बलिया पुलिस ने रविवार भोर कोतवाली के वैशाली क्षेत्र से गोलीकांड के नामजद आरोपी संतोष यादव एवं अमरजीत यादव को गिरफ्तार कर किया।


इससे पहले पुलिस मुख्य आरोपी धीरेंद्र प्रताप सिंह के दो भाइयों देवेंद्र एवं नरेंद्र प्रताप सिंह को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने इस गोलीकांड में आठ नामजद एवं 25 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। उसमें से अब तक 8 लोगों को गिरफ्तारी हो चुकी है।


लखनऊ के पॉलीटेक्निक चौराहे से गिरफ्तारी


स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने बलिया की घटना के मुख्य आरोपी धीरेंद्र प्रताप सिंह को लखनऊ से गिरफ्तार किया है। लखनऊ के पॉलीटेक्निक चौराहे से धीरेंद्र उर्फ डब्लू सिंह को यूपी एसटीएफ की टीम ने दबोचा है।


आईजी एसटीएफ अमिताभ यश ने बताया कि सटीक मुखबिरी के आधार पर उसकी गिरफ्तारी हुई है। आरोपी को गिरफ्तार करने के बाद घटना में प्रयुक्त असलहे की बरामदगी के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए आरोपी धीरेंद्र से पूछताछ की जा रही है।


50 हज़ार का इनामी है धीरेंद्र


एसटीएफ के हत्थे चढ़ा बलिया कांड का मुख्य आरोपी धीरेंद्र प्रताप सिंह पर 50 हज़ार का इनामी है। वह मूल रूप से बलिया के दुर्जनपुर के रेवती गांव का रहने वाला है। उसके खिलाफ बलवा, हत्या, छेड़खानी, मारपीट, गालीगलौज, धमकी समेत व 7 सीएल एक्ट समेत आईपीसी की अन्य गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज है।


यह है मामला

बलिया के दुर्जनपुर गांव में सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान के आवंटन के लिए खुली पंचायत चल रही थी। उसमें एसडीएम, सीओ एवं बीडीओ मौजूद थे।

आवंटन में विवाद होने पर मतदान से आवंटन करने का निर्णय लिया गया, जिसका एक पक्ष विरोध करने लगा। विवाद बढ़ने पर खुली पंचायत स्थगित कर दी गई थी। इस वजह से हंगामा होने लगा, तो दूसरा पक्ष गोलीबारी में उतर आया।

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