आज का पंचांग

0

दिनांक 27 अगस्त 2020, दिन गुरुवार


हिन्दी तिथि : भाद्रपद, शुक्ल, नवमी दोपहर 12: 13 बजे तक

विक्रम संवत - 2077, शक संवत - 1942

अयन - दक्षिणायन

ऋतु - शरद

मास - भाद्रपद

पक्ष - शुक्ल

तिथि - नवमी दाेपहर 12: 13 बजे तक तत्पश्चात दशमी

नक्षत्र - ज्येष्ठा, संध्या 16: 21 बजे तक तत्पश्चात मूल

योग - विष्कम्भ, रात्री 0 9 : 52 बजे तक तत्पश्चात प्रीति

राहुकाल - दोपहर 13: 30 से शाम 15: 0 0 तक

सूर्योदय - 0 5: 40

सूर्यास्त - 18: 20

दिशाशूल - दक्षिण दिशा में


️संस्कृत सुभाषितम


शोचन्ति जामयो यत्र विनश्यत्यासु तत् कुलम्।

न शोचन्ति तु यत्रैता वर्धते तद्धि सर्वदा।।


️भावार्थ :

जिस घर में पुत्री, बहन, पुत्रवधू आदि स्त्रियां शोकग्रस्त होती हैं, वह घर शीघ्र नष्ट हो जाता है। जिस घर में यह स्त्रियां शोकमग्न नहीं होती हैं, वह घर सर्वदा उन्नत होता रहता है। (मनुस्मृति से)


एकादशी व्रत के लाभ


28 अगस्त 2020 शुक्रवार, सुबह 10: 43 बजे से 29 अगस्त शनिवार सुबह 0 9: 31 बजे तक एकादशी है।

विशेष - 29 अगस्त, शनिवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें।

एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है, जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है।

जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है। एकादशी करने वालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं ।इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है। धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है। कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है। परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है। पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि, जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ। भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है। एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है।


एकादशी के दिन करने योग्य

एकादशी को दिया जला के विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें...विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो १० माला गुरुमंत्र का जप कर लें। अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें, ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे।


एकादशी के दिन ये सावधानी रहे


महीने में 15-15 दिन में एकादशी आती है। एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है, लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सके तभी भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए। एकादशी के जो चावल खाता है...तो धार्मिक ग्रन्थ से एक-एक चावल एक-एक कीड़ा खाने का पाप लगता है...ऐसा डोंगरे जी महाराज के भागवत में डोंगरे जी महाराज ने कहा।


Post a Comment

0 Comments

if you have any doubt,pl let me know

Post a Comment (0)
To Top