आयकर दाताओं को प्रधानमंत्री मोदी का बड़ा तोहफा

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  • आयकर प्रणाली में बड़ा सुधार, करदाताओं को मिले तीन बड़े अधिकार

प्रारब्ध न्यूज डेस्क


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयकर दाताओं काे बड़ा तोफहा दिया है। आयकर प्रणाली में बड़ा सुधार किया है, जिससे करदाताओं को तीन बड़े अधिकारी मिल गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि ईमानदारी से कर चुकाने वाले करदाताओं के लिए 'पारदर्शी कराधान - ईमानदार का सम्मान' नामक एक प्लेटफॉर्म का शुभारंभ किया है। इस नए कर प्लेटफॉर्म के तहत करदाता को फेसलेस असेसमेंट, टैक्सपेयर्स चार्टर, फेसलेस अपील की सुविधा मिलेगी। अब कर देने में आसानी होगी और तकनीक की सहायता से लोगों पर भरोसा जताया जाएगा।

वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर मौजूद रहे। इसके अलावा आयकर विभाग के अधिकारियों एवं पदाधिकारियों के अलावा विभिन्न वाणिज्य मंडलों, व्यापार संघों एवं चार्टर्ड अकाउंटेंट संघों के साथ-साथ जाने-माने करदाता भी शामिल हुए। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के जरिए योजना के बारे में विस्तार से बताया। 


संबोधन की खास बातें


  • देश में संरचनात्मक सुधार का सिलसिला आज एक नए पड़ाव पर है। 'पारदर्शी कराधान - ईमानदार का सम्मान' 21वीं सदी के टैक्स सिस्टम की नई व्यवस्था होगी। 
  • इसमें में फेसलेस एसेसमेंट, फेसलेस अपील और टैक्सपेयर्स चार्टर जैसे बड़े रिफॉर्म्स हैं। फेसलेस एसेसमेंट और टैक्सपेयर्स चार्टर आज से लागू होगा। 
  • फेसलेस अपील की सुविधा 25 सितंबर यानि दीन दयाल उपाध्याय जी के जन्मदिन से देशभर में लागू होगी। टैक्स सिस्टम फेसलेस हो रहा है, लेकिन टैक्सपेयर को ये फेयरनेस और फेयरलेसनेस का विश्वास देने वाला है।
  • ईमानदार टैक्सपेयर राष्ट्रनिर्माण में बड़ी भूमिका निभाते हैं। टैक्सपेयर का जीवन आसान होगा तो वह देश का विकास होगा और आगे भी बढ़ेगा।
  • आज से शुरू हो रहीं नई व्यवस्थाएं, नई सुविधाएं, मिनिमम गवर्मेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को और मजबूत करती हैं। देशवासियों के जीवन से सरकार के दखल को कम करने की दिशा में भी अहम कदम है। 
  • भारत के टैक्स सिस्टम में मौलिक और संरचनात्मक सुधार की आवश्यकता थी, क्योंकि यह सिस्टम अंग्रेजों के समय का है, जो धीरे-धीरे विकसित हुआ। आजादी के बाद इसमें थोड़े बहुत परिवर्तन किए गए, लेकिन बड़े तौर पर सिस्टम का ढांचा पुराना ही रहा। 
  • प्रक्रियाओं की जटिलताओं के साथ-साथ देश में कर भी कम किया गया है। 5 लाख रुपये की आय पर अब जीरो टैक्स है। बाकी स्लैब में भी टैक्स कम हुआ है। कारपोरेट कर के मामले में दुनिया में सबसे कम कर लेने वाले देशों में से एक हैं। 
  • टैक्स प्रणाली को निर्बाध, निर्जीव, फेसलेस करने पर जोर। अब आयकर विभाग करदाता को उलझाने के बजाय समस्या सुलझाने के लिए काम करे। इसमें सभी नियम सरल होंगे। 
  • टैक्सपेयर्स चार्टर भी देश की विकास यात्रा में बड़ा कदम है। अब टैक्सपेयर को उचित, विनम्र और तर्कसंगत व्यवहार का भरोसा दिया गया है। आयकर विभाग को टैक्सपेयर के गौरव का संवेदनशीलता के साथ ध्यान रखना होगा। 
  • वर्ष 2012-13 में जितने टैक्स रिटर्न्स होते थे, उसमें से 0.94 फीसदी की स्क्रूटनी (जांच) होती थी। वर्ष 2018-19 में ये आंकड़ा घटकर 0.26 फीसदी पर आ गया है। यानि केस की स्क्रूटनी, करीब-करीब 4 गुना कम हुई है। 
  • 6-7 वर्षों में इनकम टैक्स रिटर्न भरने वालों की संख्या में करीब ढाई करोड़ की वृद्धि हुई है। ये भी सही है कि 130 करोड़ के देश में ये अभी बहुत कम है। इतने बड़े देश में सिर्फ डेढ़ करोड़ साथी ही इनकम टैक्स जमा करते हैं।

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