जयंती विशेष : विज्ञान के क्षेत्र में देश काे दिलाया अहम मुकाम

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  • देश के लिए अंतरिक्ष कार्यक्रम शुरू करने वाले डॉ. विक्रम साराभाई की जयंती पर विशेष

प्रारब्ध न्यूज डेस्क


विज्ञान के क्षेत्र में अहम योगादान देने के साथ देश को बुलंदियों में पहुंचाने वालों में विक्रम साराभाई प्रमुख हैं। उनकी देखरेख में 40 वैज्ञानिक संस्थाओं की स्थापना की गई। उन्होंने ही उन संस्थाओं को खड़ा किया, जिनके बल पर आज हमारे देश ने चंद्रयान और मिशन मंगल का सफर तय किया। इसरो की स्थापना विक्रम साराभाई की दूरदर्शिता और वैज्ञानिक प्रतिभा का उदाहरण है। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने अपनी किताब अग्नि की उड़ान में इस बात पर फख्र जाहिर किया है कि उन्हें विक्रम साराभाई जैसे प्रतिभाशाली व्यक्ति के साथ काम करने का मौका मिला। उन्होंने साराभाई की नेतृत्व क्षमता की खूबियों की चर्चा की है।


उद्योगपति घराने में जन्म


विक्रम साराभाई का जन्म 12 अगस्त 1919 को गुजरात के अहमदाबाद शहर में हुआ था। साराभाई के पिता अम्बालाल साराभाई उद्योगपति थे। गुजरात में उनकी कई फैक्ट्री थी। वह भारत से इंटरमीडिएट विज्ञान की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद इंग्लैंड चले गए। वहां केम्ब्रिज विश्वविद्यालय के सेंट जॉन कॉलेज में एडिमशन लिया। आगे की पढाई वहीं से पूरी की।


समय परिवर्तन पर शोध  


विक्रम साराभाई ने कास्मिक किरणों के समय परिवर्तन पर शोध किया। विक्रम साराभाई ने सौर तथा अंतरग्रहीय भौतिकी में अनुसंधान के नए क्षेत्रों के अवसरों की कल्पना की थी। वर्ष 1957-1958 को अंतर्राष्ट्रीय भू-भौतिकी वर्ष (आइजीडब्ल्यू) के रुप में भी देखा जाता है।



स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा था परिवार


साराभाई का परिवार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में रहा, जिससे उनके घर महात्मा गांधी, मोतीलाल नेहरू, रबीन्द्रनाथ टैगोर और जवाहरलाल नेहरू अक्सर आते-जाते थे। इन सभी सेनानियों का विक्रम साराभाई के जीवन पर काफी प्रभाव पडा। सितम्बर 1942 को विक्रम साराभाई का विवाह प्रसिद्ध क्लासिकल डांसर मृणालिनी साराभाई से हुआ। उनका वैवाहिक समारोह चेन्नई में आयोजित किया गया था, जिसमें विक्रम के परिवार से कोई उपस्थित नहीं था, क्योंकि उस समय महात्मा गांधी का भारत छोडो आंदोलन चरम पर था, जिसमें विक्रम का परिवार भी शामिल था। विक्रम और मृणालिनी को दो बच्चे हुए, कार्तिकेय साराभाई और मल्लिका साराभाई। मल्लिका साराभाई एक प्रसिद्ध डांसर है, जिन्हें पालमे डी’ओरे पुरस्कार से सम्मानित किया गया।



इसरो की स्थापना


उनकी महान उपलब्धियों में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की स्थापना है। रूसी स्पुतनिक के प्रक्षेपण के बाद उन्होंने भारत जैसे विकासशील देश के लिए अंतरिक्ष कार्यक्रम के महत्व के बारे में सरकार को राज़ी किया। उन्होंने अंतरिक्ष कार्यक्रम के महत्व पर ज़ोर दिया। वह कहते थे कि अगर हमें राष्ट्रीय स्तर और राष्ट्रों के समुदाय में कोई सार्थक भूमिका निभानी है तो हमें मानव और समाज की वास्तविक समस्याओं के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों को लागू करने में किसी से पीछे नहीं रहना चाहिए।


विक्रम साराभाई के नाम पर अंतरिक्ष केंद्र


उनके नाम पर विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (इसरो) का नाम रखा गया, जो सबसे बड़ा एवं सर्वाधिक महत्वपूर्ण का केंद्र है। यह तिरुवनंतपुरम में स्थित है। यहाँ पर रॉकेट, प्रक्षेपण यान एवं कृत्रिम उपग्रहों का निर्माण एवं उनसे सम्बंधित तकनीकी का विकास की जाती है। केंद्र की शुरुआत थम्बा भूमध्यरेखीय रॉकेट प्रक्षेपण केंद्र के तौर पर वर्ष 1962 में हुई। केंद्र का नामकरण भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम साराभाई के सम्मान में किया गया।


पुरस्कार व सम्मान


विज्ञान के क्षेत्र में उपलब्धियों को देखते हुए वर्ष 1962 में उन्हें शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 1966 में ‘पद्मभूषण’ से अलंकृत किया। इसके अतिरिक्त इंडियन अकादमी ऑफ साइंसेज, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेस ऑफ इंडिया, फिजिकल सोसाइटी, लन्दन और कैम्ब्रिज फिलोसाफिकल सोसाइटी ने उन्हें फैलोशिप देकर सम्मानित किया। 

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