जन्माष्टमी : नंदगोपाल को खुश करने के लिए अपनाएं यह पूजन विधि

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प्रारब्ध न्यूज डेस्क 

जन्माष्टमी का पर्व मनाने के लिए देश भर में तैयारियां शुरू है। हालांकि कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए इस बार विशेष एहतियात बरते जा रहे हैं। इस बार लोग जन्माष्टमी का पर्व घर पर ही श्रद्धाभाव से मनाने के प्रयास भी आरंभ हैं। जन्माष्टमी के पर्व पर घरों में झांकी सजाने की परंपरा है। इस साल यह पर्व 12 अगस्त, बुधवार को मनाया जएगा।

हिंदू पंचांग की मानें तो भगवान कृष्ण को समर्पित यह पावन त्योहार, हर साल भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाता है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान के शृंगार के लिए इत्र, बाल गोपाल के नए पीले वस्त्र, सुंदर बांसुरी, मोरपंख, गले के लिए वैजयंती माता, सिर के लिए मुकुट, हाथों के लिए चूड़ियां और पैरों के लिए पैजनिया पहले ही एकत्रित करके पूजा स्थान पर रख लें। पूजन सामग्री के लिए कुछ फल, सब्जी, एक चौकी, पीला साफ कपड़ा, बाल कृष्ण की मूर्ति, एक सिंहासन, पंचामृत, गंगाजल, दीपक, दही, शहद, दूध, दीपक, गाय का देसी घी, धूपबत्ती, गोकुलाष्ट चंदन, अक्षत (साबुत चावल), तुलसी के पत्ते, माखन, मिश्री और अन्य भोग सामग्री का होना भी जरूरी है।

दक्षिणावर्ती शंख से बालगोपाल का अभिषेक

इस माह रोज सुबह स्नान के बाद घर के मंदिर में बालगोपाल की पूजा करें। श्रीगणेश की पूजा के बाद बालगोपाल का दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करना चाहिए। इसके लिए दूध में केसर मिलाएं और बाल गोपाल को अर्पित करें। उसके बाद जल से स्नान कराएं। पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें। भगवान को माखन-मिश्री का भोग लगाएं। ध्यान रखें, भोग में तुलसी दल जरूर रखें। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जाप करें।

ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के पूजन में 10 चीजों का होना जरूरी है। आइए, आपको बताते हैं पूजन के लिए जरूरी चीजें कौन सी हैं :

  • आसन

कृष्ण की मूर्ति स्थापना सुंदर आसन पर करनी चाहिए। आसन लाल, पीले या केसरिया रंग का व बेलबूटों से सजा होना चाहिए।

  • पाद्य

जिस बर्तन में भगवान के चरणों को धोया जाता है, उसे पाद्य कहते है। इसमें शुद्ध पानी भरकर, फूलों की पंखुड़ियां डालना चाहिए।

  • पंचामृत

यह शहद, घी, दही, दूध और शक्कर- इन पांचों को मिलाकर तैयार करना चाहिए। फिर शुद्ध पात्र में उसका भोग भगवान को लगाएं।

  • अनुलेपन

पूजा में इस्तेमाल में आने वाले दूर्वा, कुंकुम, चावल, अबीर, अगरु, सुगंधित फूल और शुद्ध जल को अनुलेपन कहा जाता है।

  • आचमनीय

आचमन (शुद्धिकरण) के लिए प्रयोग में आने वाला जल आचमनीय कहलाता है। इसमें सुगंधित द्रव्य व फूल डालना चाहिए।

  • स्नानीय

श्रीकृष्ण के स्नान के लिए प्रयोग में आने वाले द्रव्यों (पानी, इत्र व अन्य सुगंधित पदार्थ) को स्नानीय कहा जाता है।

  • फूल

भगवान श्रीकृष्ण की पूजा में सुगंधित और ताजे फूलों का विशेष महत्व है। इसलिए शुद्ध और ताजे फूलों का ही इस्तेमाल करना चाहिए।

  • भोग

जन्माष्टमी की पूजा के लिए बनाए जा रहें भोग में मिश्री, ताजी मिठाइयां, ताजे फल, लड्डू, खीर, तुलसी के पत्ते जरूर शामिल करें।

  • धूप

विभिन्न पेड़ों के अच्छे गोंद तथा अन्य सुगंधित पदार्थों से बनीं धूप भगवान कृष्ण की बहुत प्रिय मानी जाती हैं।

  • दीप

चांदी, तांबे या मिट्टी के बने दीए में गाय का शुद्ध घी डालकर भगवान की आरती विधि-विधान पूर्वक उतारनी चाहिए। 

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