कोरोना संक्रमितों की पीसीटी जांच से आसान होगी इलाज की राह

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  • सौ से अधिक संक्रमितों की केस स्टडी में पता चली प्रो कैल्शिटोनिन टेस्ट की महत्ता
  • संक्रमण की पुष्टि के बाद पीसीटी से शुरूआत में ही दूसरे संक्रमण चल जाएगा पता

प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, कानपुर


जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज काे लेकर अध्ययन में प्रो कैल्शिटोनिन टेस्ट (पीसीटी) की अहमियत पता चली है। अगर संक्रमित के अस्पताल में आते ही पीसीटी जांच कराई जाए ताे इलाज के बेहतर रिजल्ट मिलेंगे। इससे उसके इलाज की दिशा तय करना भी आसान होगा। इसलिए अध्ययन करने वाले डॉ. सुधीर चौधरी ने भर्ती होने के साथ ही सभी कोरोना संक्रमित का पीसीटी टेस्ट अनिवार्य रूप से कराने का सुझाव दिया है।

प्रदेश समेत कानपुर में कोरोना का कहर अप्रैल माह से जारी है। अब गंभीर मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है, जिससे मौतों के आंकड़े ने रफ्तार पकड़ ली है। इसे देखते हुए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के रेस्पिरेट्री मेडिसिन के प्रोफेसर एवं पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. सुधीर चौधर अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने अब तक विभिन्न शहरों के 100 से अधिक संक्रमितों की केस स्टडी की है। कोरोना वायरस श्वसन तंत्र के जरिए फेफड़े के निचले हिस्से में पहुंच कर गैस एक्सजेंच चैबर में संक्रमण करता है। जिससे फेफड़े की छोटी-छोटी रक्तनलिकाओं में खून के थक्के जमने से सांस लेने में दिक्कत शुरू होती है। शरीर में ऑक्सीजन की तेजी से कमी होने से बैक्टीरियल इंफेक्शन तेजी से होता है। इन मरीजों की पीसीटी जांच कराई गई।


पीसीटी सामान्य यानी सिर्फ कोरोना


प्रो. चौधरी का कहना है कि पीसीटी सामान्य आने से स्पष्ट है कि ऐसे मरीज को सिर्फ वायरस का ही संक्रमण है। उन्हें एंटी वायरल ड्रग चलाने के साथ ऑक्सीजन की माॅनीटरिंग से करते हुए आसानी से जान बचा सकते हैं।


पीसीटी बढ़ने का मतलब सेकेंड्री इंफेक्शन


अगर पीसीटी बढ़ा हुआ है तो स्पष्ट है कि वायरस के संक्रमण के साथ ही फेफड़े में सेकेंड्री इंफेक्शन शुरू हो चुका है। इसके इलाज में जरा सी लापरवाही से बैक्टीरियल इंफेक्शन से फेफड़े तेजी से खराब हो जाएंगे। ऐसे मरीजों को तत्काल अच्छी एंटी बायोटिक चलाई जाएं। इसमें जरा भी चूक जानलेवा साबित होती है।


अध्यन को आए शहरों के केस

शहर के हैलट के कोविड अस्पताल, इटावा, बांदा, कन्नौज, इटावा, फर्रुखाबाद, जलौन, फतेहपुर एवं उन्नाव समेत अन्य शहरों के विशेषज्ञ गंभीर मरीजों के केस भेज कर इलाज का सुझाव भी ले रहे हैं।


अस्पताल में भर्ती होते ही हर कोरोना संक्रमित का पीसीटी टेस्ट जरूर कराएं। शुरूआती अवस्था में स्थिति का पता लगाकर उसके हिसाब से इलाज की दिशा तय की जाए। वायरस अथवा वायरस संग बैक्टीरियल इंफेक्शन का पता लगने पर बेहतर इलाज प्रबंधन से मौतों काे नियंत्रित कर सकते हैं। यह जांच महंगी होने की वजह से मेडिकल कॉलेजों में नहीं होती है। सिर्फ लखनऊ की किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी एवं संजय गांधी स्नाकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में ही होती है।

  • डॉ. सुधीर चौधरी, प्रोफेसर, रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज।

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