ब्रह्मपुत्र के पार, बादलों के बीच : एक
- अजय शुक्ल
नाहर सिंह भंडारी। मेरा दोस्त। पता नहीं, कहां है? है भी या नहीं! यह भी नहीं जानता। सब जगह ढूंढ़ा था मैंने उसे। अंत में उसके ऑफिस भी गया। सीडब्ल्यूई आफिस, एसई फॉल्स, शिलॉन्ग। एस ई यानी स्प्रेड ईगल। यह बात कभी नाहर ने ही बताई थी...गोरालेन के आगे एक झरना है जो पंख फैलाए ईगल की तरह लगता है...उसी के बगल में है मेरा आफिस।
नाहर के बॉस कर्नल बलजीत सिंह सिद्धू का कमरा खुला हुआ था। मैंने हाथ उठा कर अनुमति मांगी। "येस, कम इन" कर्नल ने मुझे अंदर आने की परमिशन दे दी।
"सर" मैं कर्नल सिद्धू से मुखातिब था, "सर, कैप्टेन नाहर सिंह भंडारी...।"
"क्या...क्या-क्या" कर्नल सिद्धू नाहर का नाम सुनते ही हड़बड़ा कर खड़े हो गए। "आप भंडारी के घर से आए हैं?"
"नहीं, मैं भंडारी का दोस्त हूं। पटना से आया हूं। सुनील साव...दरअसल छह जून तक वह मेरे साथ पटना में ही था।"
मेरे इतना कहते ही कर्नल की आंखों में एक फ़ौज़ी की सख्ती आ गई। "सचसच बताओ–हू आ यू...मेरा ऑफिसर 15 मई से लापता है और तुम बताते हो कि वह आपके साथ पटना में था..मिस्टीरियस!" वे मुझको घूर रहे थे। उनकी आवाज़ कड़क थी।
"कर्नल साब, आपको शक़ करने का हक़ है। पर मैं कोई किडनैपर या मर्डरर नहीं। वी ग्रू-अप टुगेदर–मी एन भंडारी। बीटेक भी साथ-साथ, रुड़की से। मैं भी असिस्टेंट एनजिनिअर हूं। पीडब्ल्यूडी बिहार।"
"आयम सॉरी मिस्टर साव" मेरी बात और ओहदे से फ़र्क़ पड़ा। कर्नल बोले, "आप पूरी बात बताइए। भंडारी आपका दोस्त है तो मेरा भी बच्चा है। हीज़ प्रिटी यंग। मैं भी उसे ढूंढ़ने में जी-जान से लगा रहा हूं। देखिए यह चिट्ठी मैंने हेडक्वार्टर्स को भेजी है।" उन्होंने एक फाइल खोलकर मेरे आगे रख दी। उसमें लिखा था:
कैप्टेन एनएस भंडारी, एएसडब्ल्यू हैज़ नॉट रिपोर्टेड टु वर्क सिन्स मे 15, 1979...हिज़ फ्लैट हैज़ बीन फाउंड लॉक्ड फ्रॉम आउटसाइड। वी ट्राइड टु ट्रैक हिम डाउन ऐट हिज़ गढ़वाल एड्रेस आल्सो। ही वाज़ नॉट देयर, आइदर। हिज़ पेरेंट्स निउ नथिंग एक्सेप्ट दैट ही लेफ्ट देम फोर मन्थ्स बैक।
"कर्नल साब" मैंने कहा, "भंडारी का एक कज़िन बिल्लू बैंगलोर में पढ़ाता है।...क्या आपका फोन...?"
"बिल्कुल, आप नम्बर बताइए..मैं ट्रंककॉल बुक कर देता हूं।"
क़रीब पौन घंटे बाद कॉल कनेक्ट हो पाई। मैंने बात की। वह बिल्लू भइया से तीन साल से नहीं मिला था। चिट्ठी भी नहीं डालता–उन्होंने बताया। इस बीच कर्नल साहब ने चाय और सैंडविच मेज़ पर लगवा दिए।
(येस आयम डेटिंग अ भूत : पढ़ें कल)
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