व्रत रखने से कम होती ब्लड शुगर, मधुमेह व मोटापे से बचाव

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  • मधुमेह और मोटापा नियंत्रण में भारतीय खानपान बेहतर, पोषक तत्वों से भरपूर
  • डायबिटीज एसोसिएशन के पांचवें वार्षिक अधिवेशन वर्चुअल केडीएकॉन-2020 का आयोजन

प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, कानपुर


वर्चुअल केडीएकॉन 2020 का शुभारंभ करतीं डॉ. नंदिनी रस्तोगी व अन्य।
मधुमेह और मोटापा नियंत्रण में भारतीय खानपान कारगर है। देश-विदेश में हुए शोध में यह प्रमाणित हुआ है। फिर भी लोग पाश्चात्य खानपान की तरफ भागते हैं। यह बातें शनिवार को कानपुर डायबिटीज एसोसिएशन के पांचवें वार्षिक अधिवेशन वर्चुअल केडीएकॉन-2020 में दिल्ली से जुड़े वरिष्ठ मधुमेह विशेषज्ञ डॉ. अनूप मिश्रा ने कहीं।

उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में व्रत का चलन आदिकाल से है। इसमें 16 से 24 घंटे के अंतराल में अन्न ग्रहण करते हैं। इसी तरह सूर्यास्त के बाद अन्न नहीं ग्रहण न करने का जिक्र धर्म ग्रंथों में भी है। विदेशों में भी हुए शोध में भी यह प्रमाणित हो चुका है कि व्रत रखने से शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा कम होती है, जो मधुमेह और मोटापा दोनों से बचाव करती है। 8-10 घंटे के अंतराल में कुछ न खाना भी सेहत के लिए लाभकारी है। विदेशी विशेषज्ञ भी स्वीकारने लगे हैं कि भारतीय खानपान में संपूर्ण पोषण तत्व होते हैं। रसोई घर के मसाले भी औषधीय गुणों से भरपूर हैं। उसमें ध्यान यह रखना है कि मसाले व तेल का संतुलित समन्वय होना चाहिए। इसमें हल्दी, काली मिर्च, दालचीनी, मोटी इलायची, धनिया, लहसुन, अदरक, नीम और करेला के फायदेमंद हैं। वहीं, सरसों का तेल और देशी घी भी लाभकारी है। बशर्ते, दोनों का सेवन सीमित मात्रा में किया जाए। 

वर्चुअल केडीएकॉन 2020 का शुभारंभ करतीं डॉ. नंदिनी रस्तोगी, डॉ. ब्रज मोहन व अन्य।

इससे पहले अधिवेशन का शुभारंभ कैंट स्थित स्टेट्स क्लब में आर्गेनाइजिंग चेयरपर्सन डॉ. नंदिनी रस्तोगी, केडीए अध्यक्ष डॉ. भास्कर गांगुली, डॉ. ब्रज मोहन, डॉ. प्रीति आहूजा व डॉ. दीपक याज्ञनिक ने किया। डॉ. नंदिनी ने बताया कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की यूपी ब्रांच से केडीएकॉन को आठ क्रेडिट आवर्स मिले हैं। कार्यक्रम में कोलकाता से डॉ. सुजय घोष, प्रयागराज से डॉ. सरिता बजाज व डॉ. सुधीर चौधरी भी शामिल हुए।


इंसुलिन से पहले इंजेक्शन लगाने से फायदा

अहमदाबाद से शामिल हुए रिसर्च सोसाइटी फॉर स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया के अध्यक्ष डॉ. बंशी साबू ने कहा कि इंजेक्शन के रूप में जीएलपी-वन दवा आई है, जो मधुमेह नियंत्रण के साथ गुर्दा व हृदय रोग में फायदेमंद है। इस पर हुए शोध में सामने आया है कि इंसुलिन लेने से पहले इंजेक्शन लगाने के बेहतर रिजल्ट मिलते हैं।


मधुमेह पीड़ितों की थायराइड जांच जरूरी

मुंबई से एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. शशांक जोशी ने कहा कि मधुमेह में थायराइड संबंधी समस्या भी होती है। इसलिए टाइप-वन डायबिटीज पीड़ित थायराइड की जांच जरूर कराएं। समस्या हो तो दवा भी जरूर करें।


मधुमेह के साथ हार्ट व गुर्दा का रखें ध्यान

अमेरिका से जुड़े डॉ. जब्बार सर्ज ने कहा कि मधुमेह के इलाज के साथ गुर्दा और हार्ट का भी ध्यान रखा जाए। इसलिए इन मरीजों को ऐसी दवाएं चलाई जाएं जो उनके गुर्दा व हार्ट को प्रभावित न करें। पहले से समस्या वालों के लिए भी लाभकारी हो। वहीं, अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. वीवीएन फोन्सिका ने मधुमेह की नई दवाओं के शोधों के बारे में जानकारी दी।


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